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📖 - उत्पत्ति ग्रन्थ

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अध्याय - 44

1) इसके बाद यूसुफ़ ने अपने घर के प्रबन्धक को यह आज्ञा दी, ''इन लोगों के बोरों में उतना अनाज भर दो जितना ये लोग ले जा सकें और प्रत्येक की चाँदी उसके अपने बोरे के ऊपरी भाग में रख दो।

2) मेरा चाँदी का प्याला सब से छोटे भाई के बोरे में, उसके अनाज की चाँदी के साथ रख दो।''

3) उसने यूसुफ़ की आज्ञा का पालन किया। पौ फटने पर उन लोगों को अपने गधों के साथ विदा किया गया।

4) अभी वे नगर से थोड़ी ही दूर पहुँचे थे कि यूसुफ़ ने अपने घर के प्रबन्ध को आज्ञा दी, ''उन आदमियों का तुरन्त पीछा करों। तब वे तुम को मिले तो तुम यह कहा, 'तुम लोगों ने भलाई के बदले बुराई क्यों की? तुम मेरा चाँदी का प्याला क्यों चुरा लाये?

5) यह मेरे स्वामी के पीने का प्याला हैं, इस से वह सगुन विचारते हैं। तुमने जो किया, वह बुरा है'।''

6) जब वह उन लोगों के पास पहुँचा, उसने उन से यही बातें कहीं।

7) उन्होंने उसे उत्तर दिया, ''महोदय! आप इस प्रकार की बातें क्यों कर रहे हैं? आपके ये दास ऐसा कभी नहीं कर सकते।

8) देखिए, जो चाँदी हमारे बोरों में ऊपर ही रखी गयी थी, उसे ही हम कनान से आपके पास ले आये, फिर हम आपके स्वामी के घर से चाँदी सोना क्यों चुराने लगे?

9) यदि वह आपके इन दासों में से किसी के पास निकले, तो उसे मृत्युदण्ड मिले और हम आपके दास हो जायें।''

10) उसने कहा, ''तुम्हारा कहना ठीक है, लेकिन वह जिसके पास निकलेगा, केवल वही मेरा दास होगा। शेष निर्दोष माने जायेंगे।''

11) फिर प्रत्येक ने जल्दी से अपना बोरा नीचे उतारा और उसका मुँह खोला।

12) उसने सबसे बड़े के बोरे से ले कर सब से छोटे तक के सभी बोरों की तलाश की और तब वह प्याला बेनयामीन के बोरे में मिला।

13) इस पर उन्होंने अपने-अपने वस्त्र फाड़ डाले। वे फिर अपने गधों को लाद कर नगर लौट गये।

14) जब यूदा और उसके भाई यूसुफ़ के घर पहुँचे, तब वह वहीं था। वे उसके पैर पड़ने लगे।

15) यूसुफ़ ने उन से कहा, ''तुमने यह क्या किया है? क्या तुम्हें यह नहीं मालूम था कि मेरे-जैसा व्यक्ति सगुन विचारता हैं?''

16) यूदा ने कहा, ''हम अपने स्वामी से क्या कहें? हम अपने को निर्दोष प्रमाणित करने के लिए क्या बोलें? ईश्वर ने ही आपके इन दासों का अपराध प्रकट कर दिया है। हम अपने स्वामी के दास हो गये हैं - हम और वह भी, जिसके पास वह प्याला पाया गया है।''

17) उसने कहा, ''नहीं, मैं ऐसा कभी नहीं करूँगा। केवन वही, जिसके पास वह प्याला पाया गया है, मेरा दास होगा। बाकी लोग अपने पिता के पास सुरक्षित जा सकते हैं।''

18) इस पर यूदा ने यूसुफ़ के पास जा कर कहा, ''महोदय! मुझे आज्ञा दें। मैं आप से एक निवेदन करना चाहता हूँ। आप मुझ पर क्रोध न करें। आप तो फिराउन के सदृश हैं।

19) महोदय ने हम लोगों से यह प्रश्न किया था कि 'क्या तुम लोगों के पिता और भाई भी है?'

20) और हमने उत्तर दिया था, 'हम लोगों के एक वृद्ध पिताजी हैं और उनके एक किशोर पुत्र है, जिसका जन्म उनकी वृद्धावस्था में हुआ है। उस लड़के का सगा भाई मर गया है; वह अपनी माता की एकमात्र जीवित सन्तान है और उसके पिता उसे प्यार करते हैं।'

21) आपने हम से कहा था, 'उसे मेरे पास ले आओ; मैं उसे देखना चाहता हूँ'।

22) हमने अपने स्वामी से कहा कि वह लड़का अपने पिता को नहीं छोड़ सकता। यदि वह अपने पिता से अलग हो जायेगा, तो उसके पिता मर जायेंगे।

23) तब आपने हम, अपने दासों, से कहा, 'यदि तुम्हारा कनिष्ठ भाई तुम्हारे साथ नहीं आयेगा, तो तुम्हें मुझ से फिर मिलने की अनुमति नहीं मिलेगी'।

24) इसलिए हमने आपके दास, अपने पिता, के पास जाकर उन्हें ये बातें बतायीं

25) जब हमारे पिता ने हम से कहा, 'फिर अनाज खरीदने जाओ',

26) तो हमने उत्तर दिया, 'हम नहीं जा सकते। जब तक हमारा कनिष्ठ भाई हमारे साथ नहीं हो, तब तक हम नहीं जायेंगे; क्योंकि यदि हमारा कनिष्ठ भाई हमारे साथ नहीं होगा, तो हमें उस मनुष्य से मिलने की अनुमति नहीं मिलेगी।'

27) इस पर आपके दास हमारे पिता ने हम से कहा, 'तुम जानते ही हो कि अपनी पत्नी से मुझे दो ही पुत्र हुए हैं।

28) एक मुझे छोड़ कर चला गया और मेरा अनुमान है कि किसी जानवर ने उसे टुकडे-टुकड़े कर दिया है; क्योंकि आज तक मैंने उसे फिर कभी नहीं देखा।

29) यदि तुम इसे भी मुझ से ले जाओगे और यह किसी विपत्ति का शिकार होगा, तो तुम मुझ पके बाल वाले को शोक से मार कर अधोलोक पहुँचा दोगे।'

30) (३०-३१) इसलिए यदि अब मैं, आपका दास, अपने पिता के पास पहुँच जाता और यह लड़का हमारे साथ न होता, तो उसे न देख कर हमारे पिता निश्चय ही मर जाते; क्योंकि उनका जीवन इस लड़के पर निर्भर है और हम, आपके ये दास, पके बाल वाले आपके दास अपने पिता को शोक के साथ अधोलोक पहुँचाते।

32) मैं, आपका दास, अपने पिता से यह कहते हुए इस लड़के का उत्तरदायी बना कि यदि मैं इसे आपके पास सुरक्षित न ला सका, तो मैं आपके प्रति आजीवन दोषी बना रहूँगा।

33) इसलिए मैं आप से प्रार्थना करता हूँ कि आप इस लड़के के बदले मुझे, अपने इस दास को, अपना दास बना लें और इस लड़के को इसके भाइयों के साथ घर जाने दें।

34) इस लड़के के बिना मैं अपने पिता के पास कैसे लौट सकता हूँ? मैं अपने पिता पर आने वाली विपत्ति नहीं देखना चाहता।''



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