📖 - लेवी ग्रन्थ

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अध्याय 24

1) प्रभु ने मूसा से कहा,

2) ''इस्राएलियों को आदेश दो कि वे दीपवृक्ष के लिए जैतून से निकाला हुआ शुद्ध तेल तुम्हारे पास ले आयें, जिससे दीपक निरन्तर जलते रहें।

3) हारून दर्शन-कक्ष में, अन्तरपट के सामने, जिसके पीछे विधान की मंजूषा रखी रहती है, दीपवृक्ष को शाम से सबेरे तक प्रभु के सामने प्रज्वलित रखे। यह तुम्हारी सब पीढ़ियों के लिए चिरस्थायी आदेश है।

4) वह दीपक तैयार कर उन को शुद्ध सोने के दीपवृक्ष पर रखें, जिससे वे प्रभु के सामने निरन्तर जलते रहें।

5) तुम चार-चार सेर मैदे की बारह रोटियाँ पकवा कर

6) उन को छह-छह की दो पंक्तियों में शुद्ध सोने की मेज़ पर प्रभु के सामने रखो।

7) प्रत्येक पंक्ति के साथ शुद्ध लोबान रखो। लोबान रोटी का प्रतीक बन कर होम-बलि के रूप में प्रभु को चढ़ाया जायेगा।

8) प्रत्येक विश्राम-दिवस पर इस्राएली लोगों की ओर से प्रभु के सामने नयी रोटियाँ रखी जायें। यह एक चिरस्थायी आदेश है।

9) उन रोटियों पर हारून और उसके पुत्रों का अधिकार है। वे रोटियाँ एक शुद्ध स्थान में खायी जायें, क्योंकि वे परमपवित्र हैं। यह प्रभु को अर्पित चढ़ावों में उनका चिरस्थायी भाग है।

10) इस्राएलियों के साथ एक ऐसा व्यक्ति भी आया था, जिसकी माँ इस्राएली थी, किन्तु जिसका पिता मिस्री था। शिविर में उसका एक इस्राएली के साथ झगड़ा हो गया।

11) उस इस्राएली स्त्री के पुत्र ने ईश-निन्दा की और प्रभु के नाम को कोसा। इस पर उसे मूसा के पास लाया गया। उसकी माँ का नाम शलोमीत था, जो दान वंश के दिब्री की पुत्री थी।

12) उसे उस समय तक हवालात में रखा गया, जब तक कि प्रभु की वाणी द्वारा उसका न्याय नहीं हुआ।

13) प्रभु ने मूसा से कहा,

14) ''उस ईश-निन्दक को शिविर के बाहर ले जाया जाये। जिन लोगों ने उसके अपशब्द सुने थे, वे उसके सिर पर हाथ रखें और सारा समुदाय उसे पत्थरों से मार डाले।

15) इस्राएलियों से कहो : जो अपने ईश्वर की निन्दा करता है, वह दोषी माना जायेगा।

16) जो व्यक्ति प्रभु के नाम को कोसता है, वह मार डाला जाये। सारा समुदाय उसे पत्थरों से मार डाले। चाहे वह प्रवासी हो या इस्राएली। जो प्रभु के नाम को कोसता है, उसे मार डाला जाये।

17) जो किसी मनुष्य का वध करे, वह मार डाला जाये।

18) जो किसी पशु को मार डाले, वह उसकी क्षतिपूर्ति करे पशु के बदले पशु।

19) यदि कोई अपने देश-भाई को घायल करें, तो उसे उसी तरह घायल किया जाये।

20) अस्थि भंग के बदले अस्थि भंग, आँख के बदले आँख, दाँत के बदले दाँत। जिस प्रकार का घाव उसने दूसरे का किया है, उसी प्रकार का उसका भी किया जाये।

21) जो किसी पशु को मार डाले, वह विधान क्षतिपूर्ति करे। जो किसी मनुष्य का वध करे, उसका वध किया जाये।

22) यह विधान प्रवासी और इस्राएली, दोनों के लिए समान होगा, क्योंकि मैं प्रभु, तुम्हारा ईश्वर हूँ।

23) जब मूसा इस्राएलियों से कह चुका, तब लोग ईश-निन्दक को शिविर के बाहर ले गये और उन्होंने उसे पत्थरों से मार डाला, जैसा कि प्रभु ने मूसा को आदेश दिया था।



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