📖 - योशुआ का ग्रन्थ

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अध्याय 11

1) जब हासोर के राजा याबीन ने यह सुना, तब उसने मादोन के राजा योबाब, शिम्रोन के राजा, अक्षाफ़ के राजा

2) और उत्तरी पहाड़ी प्रदेश में, किन्नेरोत के दक्षिण अराबा में, निचले प्रदेश में, पश्चिमी दिशा के दोर के आसपास रहने वाले राजाओं,

3) पूर्व और पश्चिम में रहने वाले कनानियों, अमोरियों, हित्तियों, परिजि़्ज़यों पहाडी प्रदेश में रहने वाले यबूसियों और मिस्पा प्रदेश में हेरमोन की तलहटी में रहने वाले हिव्वियों को बुला भेजा।

4) वे अपनी सारी सेनाएँ लेकर चल पडे़। समुद्र तट के रेत कणों के समान एक बड़ी सेना एकत्रित हो गई और उनके साथ बडी संख्या में घोडे़ और रथ भी।

5) उन सब राजाओं ने अपनी सेनाएँ सम्मिलित कर कूच किया और इस्राएलियों के विरुद्ध लड़ने मेरोन के जलाषय के पास पड़ाव डाला।

6) प्रभु ने योशुआ से कहा, "उनसे नहीं डरो। मैं कल इस समय तक उन सबों को इस्राएलियों के हवाले करूँगा और वे मारे जायेंगे। तुम उनके घोड़ों की नस काट कर उन्हें पंगु बना दोगे और उनके रथ जला दोगे।"

7) योशुआ अपनी सारी सेना के साथ मेरोम के जलाषय की ओर बढ़ा और अचानक उन पर आक्रमण कर बैठा।

8) प्रभु ने उन्हें इस्राएलियों के हाथ दे दिया। उन्होंने उन्हें पराजित कर उनका पीछा महा-सीदोन, मिस्रफ़ोत-मईम और पूर्व दिशा के मिस्पा की घाटी तक किया। उन्होंने उनको इस प्रकार हरा दिया कि कोई भी जीवित नहीं रहा।

9) प्रभु ने योशुआ को जैसी आज्ञा दी थी उसने वैसा ही किया। उसने उनके घोड़ों को पंगु कर दिया और उनके रथ जला डाले।

10) तब योशुआ पीछे मुड़ा और उसने हासोर को अधिकार में कर लिया और उसने राजा को तलवार से मार डाला। पहले हासोर उन सब राज्यों का केन्द्र था।

11) उन्होंने वहाँ रहने वाले सब प्राणियों का संहार किया और उन्हें तलवार के घाट उतार दिया। कोई भी प्राणी शेष न रहा। बाद में उसने हासोर को जला कर भस्म कर दिया।

12) योशुआ ने उन राजाओं के सब नगरों और उनके सारे राजाओं को अपने अधीन कर लिया और जैसी प्रभु के सेवक मूसा की आज्ञा थी उसने सबों को तलवार के घाट उतारा और उन नगरों का पूरा संहार किया।

13) हासोर के अतिरिक्त जिसे योशुआ ने जलाया था इस्राएल ने टीलों पर बसे हुए अन्य नगरों में से किसी को नहीं जलाया

14) इस्राएलियों ने उन नगरों का सारा माल और उनके सारे पशु लूट लिये और सब निवासियों को तलवार के घाट उतारा। उन्होंने किसी भी प्राणी को जीवित नहीं छोड़ा।

15) प्रभु ने अपने सेवक मूसा को जैसा आदेश दिया था, मूसा ने योशुआ को वैसा ही आदेश दिया और योशुआ ने उसका पालन किया। प्रभु ने मूसा को जो आदेश दिये थे योशुआ ने सब का पालन किया।

16) इस प्रकार योशुआ ने सारे देश को अधिकार में कर लिया: पहाडी प्रांत, सारा नेगेब, गोसेन का सारा प्रांत, निचला प्रदेश, अराब इस्राएल का पहाडी भाग और उसकी ढलानें

17) सेईर की चढ़ायी की ओर के हालाक पर्वत से लेकर हेरमोन पर्वत श्रेणी की तलछटी पर लेबालोन की तराई में स्थित बाल-गाद तक उसने उसके सब राजाओं को बंदी बनवा कर उनका वध किया।

18) इन सब राजाओं से योशुआ को युध्द करना पड़ा।

19) गिबओन में रहने वाले हिव्वियों के अतिरिक्त और कोई नगर ऐसा नहीं था जिसने इस्राएलियों के साथ संधि की हो। उन्होंने सब से युद्ध कर उनको पराजित किया।

20) क्योंकि प्रभु ने उनके हृदय को कठोर बना दिया था, जिससे वे इस्राएलियों के विरुद्ध लडे़ और उनका दया किये बिना पूर्ण रूप से संहार कर दिया जाये। जैसा प्रभु ने मूसा को आदेश दिया था।

21) उस समय योशुआ ने प्रस्थान किया और पहाडी प्रदेश, हेब्रोन, दबीर, अनाब तथा यूदा के सारे पहाडी प्रांत और इस्राएल के सारे पहाड़ी प्रांत में अनाकियों का विनाश किया। योशुआ ने उनका और उनके नगरों का संहार किया।

22) इस्राएली प्रदेश में कोई अनाकी जीवित नहीं रहा केवल गाज़ा, गत और अषदोद में से कुछ जीवित रह गये।

23) प्रभु ने मूसा को जैसा आदेश दिया था उसके अनुसार योशुआ ने सारा देश अधिकार में कर लिया और उसे विभाजित कर इस्राएली वंशो को विरासत के रूप में दे दिया। इसके बाद युद्ध समाप्त हुआ और देश को शांति मिली।



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