📖 - योशुआ का ग्रन्थ

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अध्याय 13

1) जब योशुआ वृद्ध हो गया और उसकी अवस्था बहुत अधिक को गयी, तो प्रभु ने उस से कहा, "तुम्हारी अवस्था बहुत अधिक हो गयी है और देश के अनेक बड़े भाग अब तक तुम्हारे अधिकार में नहीं आये।

2) वे इस प्रकार हैं: फिलिस्तियों के सब प्रदेश; गशूूरियों का सारा देश,

3) मिस के पूर्व शीहोर से लेकर उत्तर दिशा के एक्रोन की सीमा तक, जो कनानी देश समझा जाता है (इस में फिलिस्तियों के पाँच शासक हैं: गाजा, अशदोद, अशकलोन, गत और एक्रोन के) ; अव्वियों के प्रान्त;

4) दक्षिण में कनानियों का सम्पूर्ण प्रदेश; सीदोनियों की गुफा से ले कर अफे़क तक अमोरियों का प्रदेश;

5) फिर गिबलियों का देश और सारा लेबानोन: पूर्व में हेरमोन की तलहटी पर स्थित बाल-गाद से ले कर उस स्थान तक, जहाँ से हमात का मार्ग शुरू होता है।

6) लेबानोन के पहाड़ी प्रान्त से मिस्रफोतमईम तक के सब निवासियों को, अर्थात सब सीदोनियों को मैं स्वयं इस्राएल के लोगों के सामने से भगा दूँगा। मैंने तुम को जैसा आदेश दिया है, तुम वैसा ही चिट्टी डाल कर उसे इस्राएलियों को विरासत के रूप में दोगे

7) और उसे नौ वंशों और मनस्से के आधे वंश में विरासत के रूप में बाँट दोगे।"

8) मनस्से के आधे वंश, रूबेन और गाद के वंशों ने अपना दायभाग प्राप्त किया था, जिसे मूसा ने उन्हें यर्दन के पूर्व में दिया था, अर्थात्-

9) अरनोन की घाटी के किनारे पर स्थित अरोएर से और घाटी के बीच के नगर से दीबोन तक मेदेबा की सारी पठार भूमि

10) और अम्मोनियों की सीमा तक हेशबोन में निवास करने वाले अमोरियों के राजा सीहोन के सब नगर।

11) फिर गिलआद और गशूरियों तथा माकातियों का प्रान्त, सारी हेरमोन पर्वतश्रेणी और सलका तक का सारा बाशान,

12) अर्थात बाशान में ओग का सारा राज्य। ओग अश्तारोत और एद्रेई में निवास करता था और रफ़ाइयों का अन्तिम वंशज था। मूसा ने उन को पराजित कर भगा दिया था।

13) परन्तु इस्राएली न तो गशूरियों को भगा पाये थे और न माकातियों को। इसलिए गशूरी और माकाती अपने-अपने निवासस्थानों में आज तक इस्राएलियों के बीच रहते हैं।

14) केवल लेवी वंश को दायभाग नहीं मिला था। प्रभु इस्राएल के ईश्वर की अर्पित होम बलियाँ ही उसे दायभाग में मिली थीं, जैसा कि उसने उस से कहा था।

15) मूसा ने रूबेन वंश के विभिन्न कुलों को दायभाग के रूप में यह दिया था:

16) अरनोन की घाटी के किनारे स्थित अरोएर से आगे वह नगर, जो घाटी के बीच में है, फिर मेदेबा के पास की सारी पठार भूमि,

17) हेशबोन और पठार भूमि पर स्थित उसके सब नगर, दीबोन, बामोत-बाल, बेत-बाल-मेओन,

18) यहसा, केदेमोत और मेफ़ात,

19) किर्याताईम, सिबमा और घाटी की पहाड़ी पर सेरेत-शहर,

20) फिर बेत-पओर, पिसगा की तराइयाँ और बेत-यशिमोत,

21) अर्थात पठार के सब नगर, हेशबोन में रहने वाले अमोरियों के राजा सीहोन का सारा राज्य, जिसे मूसा ने मिदयान के नेताओं के साथ पराजित किया था, अर्थात एवी, रेकेम, सूर, हूर और रेबा को, जो सीहोन प्रदेश में रहने वाले क्षेत्रपति थे।

22) इस्राएलियों ने युद्ध में मारे हुए लोगों के अतिरिक्त शकुन विचारने वाले बओर के पुत्र बिलआम को भी तलवार के घाट उतार दिया था।

23) रूबेन वंशियों की सीमा यर्दन थी। यह प्रदेश उसके नगरों और उनके गाँवों के साथ रूबेन वंशी कुलों को विरासत के रूप में मिला था।

24) मूसा ने गादवंशियों के विभिन्न कुलों को यह प्रदेश दिया था:

25) यजेर और गिलआद के सब नगर, रब्बा के सामने स्थित अरोएर तक अम्मनियों का आधा देश,

26) हेशबोन के रामत-मिस्पे और बटोनीम तक और महनयीम से दबीर के प्रान्त तक,

27) तराई में बेत-हराम, बेत-निम्रा, सुक्कोत और साफ़ोन, अर्थात हेशबोन के राजा सीहोन का शेष राज्य, यर्दन और यर्दन के उस पार पूर्व में किन्नेरेत समुद्र तक का देश।

28) यही उनके नगरों और गाँवों के साथ गादवंशी कुलों को विरासत के रूप में मिला था।

29) मूसा ने मनस्से के आधे वंश के विभिन्न कुलों को यह प्रदेश दिया था:

30) महनयीम से ले कर सारा बशान, बाशान के राजा ओग का सारा राज्य और बाशान में याईर के सब नगर, कुल मिला कर साठ नगर।

31) फिर बाशान में ओग की राजधानियाँ अश्तारोत और एद्रेई के साथ गिलआद का आधा भाग। यह मनस्से के पुत्र माकीर के वंशजों अर्थात् आधे माकीरियों के विभिन्न कुलों को मिला था।

32) ये वे भाग हैं, जिन्हें मूसा ने यर्दन के उस पार, येरीखों के पूर्व मोआब के मैदानों में दायभाग के रूप में विभाजित किया था।

33) लेकिन मूसा ने लेवी वंश को दायभाग के रूप में कुछ नहीं दिया था। प्रभु इस्राएल का ईश्वर उसका दायभाग है, जैसा उसने उन से कहा था।



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