📖 - राजाओं का पहला ग्रन्थ

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अध्याय 01

1) राजा दऊद बूढ़ा और बड़ी उम्र का हो गया था। कपड़े ओढ़ाये जाने पर भी वह गरमाता नहीं था।

2) इसलिए उसके सेवकों ने उस से कहा, "हमारे स्वामी और राजा के लिए एक ऐसी कन्या ढूँढ़ी जाये, जो राजा की सेवा-सुश्रूषा करे। यदि वह उनकी गोद में सोयेगी, तो हमारे राजा गरमायेंगे।"

3) इसलिए इस्राएल के सब प्रान्तों में एक सुन्दर कन्या की खोज की गयी। शूनेम में अबीशग मिली और वह राजा के पास लायी गयी।

4) वह कन्या बड़ी सुन्दर थी। उसने राजा की सेवा-सुश्रूषा की, परन्तु राजा का उस से संसर्ग नहीं हुआ।

5) हग्गीत के पुत्र अदोनीया ने सिर उठाया और कहा कि मैं ही राजा बनूँगा। उसने अपने लिए रथ और घोड़े तैयार करवाये और अपने सामने दौड़ने के लिए पचास आदमी।

6) (उसके पिता ने उसे कभी यह कहते हुए नहीं डाँटा कि तुम ऐसा क्यों करते हो। वह बहुत सुन्दर था और वह अबसालोम के बाद उत्पन्न हुआ था।)

7) उसने सरूया के पुत्र योआब और याजक एबयातर से बातचीत की थी और उन्होंने अदोनीया का समर्थन किया।

8) परन्तु याजक सादोक और यहोयादा के पुत्र बनाया, नबी नातान, शिमई, रेई और दाऊद के वीर योद्धाओं ने अदोनीया का साथ नहीं दिया।

9) एक दिन अदोनीया ने एन-रोगेल के झरने की बग़ल में, ज़ोहेलेथ के पत्थर के पास भेड़ों, बैलों और मोटे बछड़ों की बलि चढ़ायी। उसने अपने सब राजकुमार भाइयों और यूदा के सब राजकीय अधिकारियों को निमन्त्रित किया,

10) लेकिन नबी नातान, बनाया, वीर योद्धाओं और अपने भाई सुलेमान को निमन्त्रित नहीं किया।

11) तब नातान ने सुलेमान की माँ बत-शेबा से कहा, "आपने सुना नहीं कि हग्गीत का पुत्र अदोनीया राजा बन गया है और हमारे स्वामी दाऊद को इसका पता भी नहीं, है?

12) अब मैं आप को ऐसी सलाह दूँगा, जिससे आप अपने और अपने पुत्र सुलेमान के प्राण बचा सकें।

13) आप तुरन्त राजा दाऊद के पास जा कर उन से कहें, ‘मेरे स्वामी और राजा! क्या आपने अपनी दासी को यह शपथ नहीं दी कि तुम्हारा पुत्र सुलेमान मेरे बाद राजा बनेगा और मेरे सिंहासन पर बैठेगा? अब अदोनीया क्यों राजा बन बैठा है?’

14) और जब आप राजा से बात करती होंगी, तो मैं भीतर आ जाऊँगा और आपकी बातों का समर्थन करूँगा।

15) बत-शेबा राजा के पास उसके कमरे में गयी। (राजा अब बहुत बूढ़ा हो चुका था और शूनेम की अबीशग राजा की सेवा कर रही थी।)

16) बत-शेबा ने झुक कर राजा को प्रणाम किया। राजा ने पूछा, "तुम क्या चहती हो?"

17) उसने उस से कहा, "मेरे स्वामी! आपने पुभु, अपने ईश्वर के नाम पर अपनी इस दासी को शपथपूर्वक वचन दिया था कि तुम्हारा पुत्र सुलेमान मेरे बाद राजा बनेगा और मेरे सिंहासन पर बैठेगा;

18) लेकिन अब अदोनीया राजा बन बैठा है और मेरे स्वामी और राजा को इस बात का पता नहीं।

19) उसने बहुत-से बैलों, मोटे बछड़ों और भेड़ों की बलि चढ़ायी और सब राजकुमारों, याजक एबयातर और सेना पति योआब को भोज में निमन्त्रित किया है, परन्तु उसने आपके दास सुलेमान को निमन्त्रण नहीं दिया।

20) मेरे स्वामी, राजा! सब इस्राएलियों की आँखें आप पर टिकी हुई हैं। वे आप से जानना चाहते हैं कि मेरे स्वामी और राजा के सिंहासन पर उनके बाद कौन बैठेगा?

21) नहीं तो मेरे स्वामी और राजा के अपने पितरों के पास चले जाने के बाद मेरे और मेरे पुत्र सुलेमान के साथ अपराधियों-जैसा व्यवहार किया जायेगा।"

22) वह राजा से इस प्रकार बात कर ही रही थी कि नबी नातान आ गया।

23) राजा को यह सूचना दी गयी कि नबी नातान आया है। उसने राजा के सामने आ कर और पृथ्वी पर सिर नवा कर प्रणाम किया।

24) फिर नातान ने कहा, "मेरे स्वामी और राजा! क्या आपने यह घोषित किया है कि अपने बाद अदोनीया राजा बनेगा और आपके सिंहासन पर बैठेग़ा?

25) क्योंकि आज अदोनीया ने बहुत-से बैलों, मोटे बछड़ों और भेड़ों की बलि चढ़ायी और सब राजकुमारों, सेनाध्यक्षों और याजक एबयातर को निमन्त्रित किया है। अब वे उसके साथ खाते-पीते और कहते हैं- राजा अदोनीया की जय!

26) परन्तु उसने न तो मुझे, आपके इस दास को, न याजक सादोक को, न यहोयादा के पुत्र बनाया को निमन्त्रित किया और न आपके दास सुलेमान को।

27) यदि मेरे स्वामी और राजा ने ऐसा प्रबन्ध किया है, तो आपने अपने सेवकों को यह क्यों नहीं बताया कि मेरे स्वामी और राजा के बाद सिंहासन पर कौन बैठेगा?"

28) इसके उत्तर में राजा दाऊद ने यह आदेश दिया, "बत-शेबा को मेरे पास बुलाओ।" वह राजा के पास आयी।

29) जब वह राजा के पास आयी, तब राजा ने शपथपूर्वक उस से कहा, "उस प्रभु की शपथ, जिसने मुझे सब प्रकार की विपत्तियों से बचाया है!

30) मैंने तुम्हारे लिए इस्राएल के ईश्वर की शपथ खायी थी कि मेरे बाद तुम्हारा पुत्र सुलेमान राजा बनेगा और मेरे सिंहासन पर बैठेगा। आज मैं इसे पूरा कर दूँगा।"

31) इस पर बत-शेबा ने प्थ्वी तक सिर झुका कर और राजा को नमन कर कहा, "मेरे स्वामी राजा दाऊद चिरायु हों।"

32) इसके बाद दाऊद ने यह आदेश दिया, "याजक सादोक, नबी नातान और यहोयादा के पुत्र बनाया को मेरे पास बुलाओ।" वे राजा के सामने उपस्थित हुए।

33) राजा ने उन्हें आज्ञा दी, "अपने स्वामी के सेवकों को अपने साथ ले जा कर मेरे पुत्र सुलेमान को मेरे निजी खच्चर पर बिठाओ और उसे गिहोन कुएँ के पास ले जाओ।

34) वहाँ याजक सादोक और नबी नातान उसका इस्राएल के राजा के रूप में अभिषेक करें; फिर तुम सिंगा बजवाओ और घोषित करो- राजा सुलेमान की जय!

35) इसके बाद तुम उसके साथ आओ और वह मेरे सिंहासन पर बैठेगा और मेरे स्थान में राजा होगा; क्योंकि मैंने इसे इस्राएल और यूदा का शासक नियुक्त किया है।"

36) यहोयादा के पुत्र बनाया ने राजा को उत्तर दिया, "ऐसा ही होगा। यह प्रभु, मेरे स्वामी और राजा के ईश्वर का कथन है।

37) जैसे प्रभु ने मेरे स्वामी और राजा का साथ दिया, वैसे ही वह सुलेमान का भी साथ दे और उनका सिंहासन मेरे स्वामी और राजा दाऊद के सिंहासन से भी अधिक महान् बनाये।"

38) इसलिए याजक सादोक, नबी नातान और यहोयादा का पुत्र बनाया करेतियों और पलेतियों के साथ नीचे उतरे और वे सुलेमान को राजा दाऊद के खच्चर पर बिठा कर गिहोन के पासे ले गये।

39) याजक सादोक ने तम्बू से तेल-भरा सींग निकाल कर सुलेमान का अभिषेक किया। इस पर सिंगा बजाया गया और सब लोगों ने ऊँचे स्वर से कहा, "राजा सुलेमान की जय!"

40) इसके बाद सब लोग उसके पीछे फिर ऊपर आ गये। बाँसुरियाँ बजने लगीं और लोगों ने इतना जयजयकार किया कि पृथ्वी गूँज उठी।

41) भोज समाप्त होने पर था, जब अदोनीया और उसके सब अतिथियों ने यह आवाज़ सुनी। सिंगे की ध्वनि सुन कर योआब ने पूछा, "नगर में यह कोलाहल क्यों?"

42) वह बोल ही रहा था कि याजक एबयातर का पुत्र योनातान आ पहुँचा। अदोनीया ने उस से कहा, "आओ, तुम सुयोग्य व्यक्ति हो और अवश्य ही अच्छा समाचार लाये हो"।

43) लेकिन योनातान ने अदोनीया को उत्तर दिया, "जी नहीं; हमारे स्वामी राजा दाऊद ने सुलेमान को राजा बनाया है।

44) राजा ने याजक सादोक, नबी नातान और यहोयादा के पुत्र बनाया तथा करेतियों और पलेतियों को उसके साथ भेजा।

45) उन्होंने उसे राजा के खच्चर पर बिठाया और जब याजक सादोक और नबी नातान ने उसका गिहोन के पास राजा के रूप में अभिषेक किया, तो इसके बाद वे वहाँ से आनन्द मनाते हुए ऊपर चढ़े। इसी से नगर में कोलाहल हो रहा है। यह वही आवाज़ थी, जो आपने सुनी।

46) सुलेमान राजसिंहासन पर विराजमान हैं।

47) राजा के सेवक हमारे स्वामी राजा दाऊद को बधाइयाँ देने और यह कहने भी आये थे कि आपका ईश्वर सुलेमान का नाम आपके नाम से भी अधिक प्रसिद्ध और उनका सिंहासन आपके सिंहासन से भी अधिक महान् बनाये।

48) राजा ने भी अपनी शय्या पर लेटे हुए प्रभु को दण्डवत् किया और कहा, "प्रभु, इस्राएल का ईश्वर धन्य है, जिसने आज मुझे ऐसा सौभाग्य प्रदान किया है कि मैं अपनी आँखों से अपने सिंहासन पर अपने उत्तराधिकारी को देख रहा हूँ।"

49) यह सुन अदोनीया के सभी अतिथि डर गये और उठ कर चले गये।

50) अदोनीया भी सुलेमान से डरता था; इसलिए उसने उठ कर और जा कर वेदी के कंगूरों को पकड़ लिया।

51) सुलेमान को यह सूचना दी गयी कि राजा सुलेमान के डर के कारण अदोनीया ने यह कहते हुए वेदी के कंगूरों को पकड़ लिया है, "राजा सुलेमान आज मुझे शपथपूर्वक यह वचन दे कि वह अपने दास को तलवार से नहीं मारेगा।"

52) सुलेमान ने कहा, "यदि वह एक योग्य व्यक्ति की तरह आचरण करेगा, तो उसका बाल भी बाँका नहीं होगा। परन्तु यदि उस में कोई बुराई पायी गयी, तो उसकी मृत्यु हो जायेगी।"

53) इसके बाद राजा सुलेमान ने उसे वेदी पर से बुलवा भेजा। जब राजा सुलेमान के पास आ कर उसने प्रणाम किया, तो सुलेमान ने उस से कहा, "अपने घर जाओ।"



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