📖 - राजाओं का दुसरा ग्रन्थ

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अध्याय 08

1) एलीशा ने उस स्त्री से, जिसके पुत्र को उसने जीवित कर दिया था, यह कहा था, "तुम परिवार-सहित कहीं जा कर प्रवासी के रूप में रहो; क्योंकि प्रभु के विधान से अकाल पड़ने वाला है, जो देश में सात वर्ष तक रहेगा"।

2) उस स्त्री ने ईश्वर-भक्त के परामर्श के अनुसार किया था और वह चली गयी थी। वह परिवार-सहित जा कर फ़िलिस्तयों के देश में प्रवासी के रूप में सात वर्ष रही थी।

3) सात वर्ष बीतने पर वह फ़िलिस्तयों के देश से लौटी और अपने घर तथा अपने खेत पुनः प्राप्त करने राजा के पास गयी।

4) उस समय राजा ईश्वर-भक्त के सेवक गेहज़ी से बातें कर रहा था और उसने उस से कहा, "मुझे एलीशा के सब महान् कार्यो के बारे में बताओ"।

5) जिस समय वह राजा को यह बात रहा था कि उसने किसी मृतक को जीवित कर दिया था, ठीक उसी समय वह स्त्री, जिसके पुत्र को उसने जीवित किया था, अपने घर और खेत पुनः प्राप्त करने, राजा के पास आ पहुँची। गेहज़ी ने कहा, "मेरे स्वामी और राजा! यह वही स्त्री है और यही है उसका पुत्र, जिसे एलीशा ने पुन:जीवित किया था"।

6) राजा के पूछने पर स्त्री ने सब हाल बताया। इसके बाद राजा ने यह कहते हुए एक अधिकारी को उसका काम करने की आज्ञा दी, "इसे उसका घर-द्वार, धन-सम्पत्ति सब वापस दिला दो और उसके चले जाने के बाद से उसके खेत की आज तक की उपज भी वापस दिलाओ"।

7) एक बार एलीशा दमिश्क आया। उस समय अराम का राजा बेन-हदद बीमार था। जैसे ही उसे यह समाचार मिला कि ईश्वर-भक्त यहाँ आया है,

8) राजा ने हज़ाएल को आज्ञा दी, "एक भेंट ले कर उस ईश्वर-भक्त से मिलने जाओ और उसके द्वारा प्रभु से पूछो कि क्या मैं इस बीमारी से अच्छा हो जाऊँगा।"

9) हज़ाएल चालीस ऊँटों पर दमिश्क की सर्वोत्तम चीज़ें लाद कर उन्हें भेंट स्वरूप एलीशा के पास ले गया। वह उसके पास आ कर बोला, "अराम के राजा, आपके पुत्र बेन-हदद आप से पूछते हैं कि क्या वह इस बीमारी से अच्छे हो जायेंगे।"

10) एलीशा ने उसे उत्तर दिया, "जाओ और उस से कहो कि आप अच्छे तो अवश्य हो जायेंगे, परन्तु प्रभु ने मुझ पर प्रकट किया है कि उसकी मृत्यु हो जायेगी"।

11) इसके बाद ईश्वर-भक्त निर्विकार भाव से उसे देखता रहा और रोने लगा।

12) हज़ाएल ने पूछा, "मेरे स्वामी रो क्यों रहे हैं?" उसने उत्तर दिया, "मैं जानता हूँ कि तुम इस्राएलियों के साथ कितना बुरा व्यवहार करोगे। तुम उनके गढ़ भस्म कर दोगे, उनके युवकों को तलवार के घाट उतारोगे, उनके बच्चों को ज़मीन पर पटक दोगे और गर्भवती स्त्रियों के पेट फ़ाड़ डालोगे।"

13) हज़ाएल ने कहा, "आपका यह दास, यह कुत्ता, क्या है कि वह यह सब कर पायेगा?" एलीशा ने उत्तर दिया, "प्रभु ने मुझ पर प्रकट किया है कि तुम अराम के राजा बनोगे"।

14) इसके बाद वह एलीशा के यहाँ से अपने स्वामी के पास लौटा। उसने उस से पूछा, "एलीशा ने तुम से क्या कहा है?" उसने उत्तर दिया, "उसने कहा कि आप अवश्य अच्छे हो जायेंगे"।

15) पर दूसरे दिन उसने चादर ली और उसे पानी में डुबा कर उसके सिर पर रखा। इसी से उसकी मृत्यु हो गयी। उसकी जगह स्वयं हज़ाएल राजा बन गया।

16) इस्राएल के राजा अहाब के पुत्र यहोराम के पाँचवें वर्ष यहोशाफ़ाट का पुत्र यहोराम यूदा का राजा बना।

17) जब वह शाासन करने लगा, उस समय उसकी अवस्था बत्तीस वर्ष थी। उसने येरूसालेम में आठ वर्ष तक राज्य किया।

18) वह अहाब के घराने की तरह इस्राएल के राजाओं के मार्ग पर चलने लगा, क्योंकि अहाब की एक पुत्री उसकी पत्नी थी। उसने वही किया, जो प्रभु की दृष्टि में बुरा है।

19) प्रभु ने अपने सेवक दाऊद के कारण यूदा को नष्ट नहीं किया; क्योंकि उसने प्रतिज्ञा की थी कि वह दाऊद और उसके वंशजों के लिए सदा एक दीपक जलाये रखेगा।

20) उसके शासनकाल में एदोम ने यूदा के विरुद्ध विद्रोह कर अपने लिए एक अलग राजा नियुक्त किया।

21) इसलिए यहोराम अपने सब रथों के साथ साईर गया। उसने और उसकी रथ-सेना के अध्यक्षों ने रात को उठ कर उन एदोमियों पर धावा बोल दिया, जो उन्हें घेरे हुए थे; परन्तु यहोराम के सैनिक अपने घर भाग निकले।

22) इस प्रकार एदोम यूदा से पृथक हो गया और यही स्थिति आज तक चली आ रही है। उसी समय लिबना ने भी विद्रोह किया।

23) यहोराम का शेष इतिहास और उसका कार्यकलाप यूदा के राजाओं के इतिहास-ग्रन्थ में लिखा है।

24) यहोराम अपने पितरों से जा मिला और अपने पितरों के पास दाऊदनगर में दफ़नाया गया। उसका पुत्र अहज़्या उसकी जगह राजा बना।

25) इस्राएल के राजा अहाब के पुत्र यहोराम के बारहवें वर्ष यहोराम का पुत्र अहज़्या यूदा का राजा बना।

26) जब अहज़्या शासन करने लगा, उस सयम उसकी अवस्था बाईस वर्ष थी। उसने येरूसालेम में एक वर्ष शासन किया। उसकी माता का नाम अतल्या था। वह इस्राएल के राजा ओम्री की पौत्री थी।

27) अहज़्या की अहाब के घराने के मार्ग पर चलता था, क्योंकि अहाब के घराने से उसका वैवाहिक सम्बन्ध था। उसने अहाब के घराने की तरह वही किया, जो ईश्वर की दृष्टि में बुरा है।

28) अहज़्या अहाब के पुत्र यहोराम के साथ अराम के राजा हज़ाएल से लड़ने गिलआद के रामोत गया। वहाँ अरामियों ने यहोराम को घायल कर दिया।

29) अराम के राजा हज़ाएल से लड़ते समय अरामियों ने उसे रामोत में घालय कर दिया और राजा यहोराम घावों का उपचार कराने यिज़एल लौट गया। यूदा के राजा यहोराम का पुत्र अहज़्या अहाब के पुत्र यहोराम को देखने यिज्ऱाएल गया, क्योंकि वह घायल था।



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