📖 - राजाओं का दुसरा ग्रन्थ

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अध्याय 20

1) उन दिनों हिज़कीया इतना बीमार पड़ा कि वह मरने को हो गया। आमोस के पुत्र नबी इसायाह ने उसके यहाँ जा कर कहा, "प्रभु यह कहता है- अपने घरबार की समुचित व्यवस्था कीजिए, क्योंकि आपकी मृत्यु होने वाली है। आप अच्छे नहीं हो सकेंगे।"

2) हिज़कीया ने दीवार की ओर मुहँ कर प्रभु से यह प्रार्थना की,

3) "प्रभु! कृपया याद कर कि मैं ईमानदारी और सच्चे हृदय से तेरी सेवा करता रहा ओर जो तुझे प्रिय है, वही करता रहा" और हिज़कीया फूट-फूट कर रोने लगा।

4) इसायाह मध्यवर्ती प्रांगण से निकला भी नहीं था कि प्रभु की वाणी यह कहते हुए उसे सुनाई पड़ी,

5) मेरी प्रजा के शासक हिज़कीया के पास लौट जाओ और उस से कहो, ‘तुम्हारे पूर्वज दाऊद का प्रभु-ईश्वर यह कहता है- मैंने तुम्हारी प्रार्थना सुनी और तुम्हारे आँसू देखे। देखो मैं तुम्हें अच्छा कर दूँगा और तुम तीसरे दिन ईश्वर के मन्दिर जाओगे।

6) मैं तुम्हारी आयु पन्द्रह पर्ष बढ़ा दूँगा। मैं अस्सूर के राजा से तुम्हारी और इस नगर की रक्षा करूँगा। मैं अपने तथा अपने सेवक दाऊद के कारण इस नगर की रक्षा करूँगा।"

7) इसायाह ने अंजीर की एक रोटी लाने को कहा। वह लायी गयी और उसके फोड़े पर रख दी गयी। उसके बाद वह अच्छा हो गया।

8) हिज़कीया ने इसायाह से पूछा, "प्रभु मुझे चंगा करेगा और मैं परसों प्रभु के मन्दिर जा सकूँगा; मैं किस चिह्न से यह जान सकता हूँ?"

9) इसायाह ने उत्तर दिया, "प्रभु अपना वचन पूरा करेगा, उसके प्रमाणस्वरूप प्रभु आप को यह चिह्न देगा-बताइए, छाया दस सोपान आगे जाये, या दस सोपान पीछे?"

10) हिज़कीया ने उत्तर दिया, "छाया दस सोपान आगे जाये, यह तो सामान्य बात है। यह नहीं। वह दस सोपान पीछे जाये।"

11) अब नबी इसायाह ने प्रभु से प्रार्थना की और उसने आहाज़ की सीढ़ी पर छाया को दस सोपान पीछे लौटाया।

12) उस समय बलअदान के पुत्र, बाबुल के राजा मरोदक- बलअदान ने हिज़कीया के पास दूतों द्वारा भेंट और पत्र भेजा, क्योंकि उसने सुना था कि हिज़कीया बीमार है।

13) हिज़कीया ने दूतों का स्वागत कर अपने भण्डारों की समस्त चाँदी, सोना, मसाले और सुगन्धित तेल, अपना षास्त्रागार और अपनी सारी धन-सम्पत्ति दिखायी। उसके महल और उसके सारे राज्य में ऐसा कुछ न रहा, जिसे हिज़कीया ने उन्हें न दिखाया हो।

14) तब नबी इसायाह ने राजा हिज़कीया के पास आ कर उस से पूछा, "उन दूतों ने क्या कहा और वे आपके पास कहाँ से आये थे?" हिज़कीया ने कहा, "वे दूर देश से, बाबुल से आये थे"।

15) फिर उसने पूछा, "उन्होंने आपके महल में क्या देखा?" हिज़कीया ने कहा, "उन्होंने वह सब कुछ देखा, जो मेरे महल में है। मेरे भण्डारों में ऐसा कुछ नहीं, जिसे मैंने उन्हें न दिखाया हो।"

16) इस पर इसायाह ने हिज़कीया से कहा, "प्रभु का कहना सुनिएः

17) वह दिन आ रहा है जब वह सब कुछ, जो तुम्हारे महल में है और वह सब कुछ, जो तुम्हारे पूर्वजों ने आज तक एकत्रित किया है, बाबुल ले जाया जायेगा। कुछ भी शेष नहीं रहेगा। यह प्रभु का कथन है।

18) आपके अपने पुत्रों में से भी कईयों को ले जाया जायेगा और वे बाबुल के राजा के महल में कंचुकियों का काम करेंगे।"

19) इस पर हिज़कीया ने इसायाह से कहा, "प्रभु का यह कथन, जो आपने सुनाया है, अच्छा ही है"। उसने सोचा कि इसका अर्थ यह है कि मेरे जीवन काल में षन्ति और सुरक्षा रहेगी।

20) हिज़कीया का शेष इतिहास, उसकी विजयें, उसका कार्यकलाप और किस प्रकार वह कुण्ड और नहे बनवा कर नगर के अन्दर पानी ले गया, यह सब यूदा के राजाओं के इतिहास-ग्रन्थ में लिखा है।

21) हिज़कीया अपने पितरों से जा मिला और उसका पुत्र मनस्से उसकी जगह राजा बना।



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