📖 - पहला इतिहास ग्रन्थ

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अध्याय 12

1) जब दाऊद कीश के पुत्र साऊल के दरबार से निर्वासित किया गया था,

2) तो ये वीर योद्धा दाऊद के पास सिकलग आये और युद्ध में उसकी सहायता किया करते। वे धनुर्धारी थे और दायें-बायें, दोनों हाथों से तीर चला और गोफन के पत्थर फेंक सकते थे। बेनयामीनवंशी, साऊल के भाइयों में ये थेः

3) उनका मुखिया अहीयेज़र और योआस-दोनों गिबआवासी शमाआ के पुत्र; अज़मावेत के पुत्र यज़िएल और पेलेट, बराका, अनातोतवासी येहू,

4) गिबओन का यिशमाया, तीस प्रमुख वीरों में एक और उनका प्रधान;

5) यिरमया, यहज़ीएल, योहानान और गेदरा का योज़ाबाद,

6) एलऊज़य यरीमोत, बअल्या, शमर्या, हरूफ़ का शफट्या,

7) एल्काना, यिश्शीया, अज़रएल, योएजे़र और याशोबआम, जो कोरह के वंशज थे

8) तथा गदोरवासी यरोहाम के पुत्र योएला और ज़बद्या।

9) गादवंशियों में यही दाऊद के पास उजाड़खण्ड के बीहड़ों में आये। ये वीर और अनुभवी योद्धा थे-ढाल और भाले से सज्जित, सिंह-जैसे निर्भीक और पहाड़ी चिकारे-जैसे तेज़।

10) पहला एजे़र, जो मुखिया था, दूसरा ओबद्या, तीसरा एलीबआब,

11) चौथा मिशमन्ना, पाँचवाँ यिरमया,

12) छठा अत्तय, सातवाँ एलीएल,

13) आँठवाँ योहानान, नौवाँ एल्ज़ाबाद,

14) दसवाँ यिरमया और ग्यारहवाँ मकबन्नय।

15) यही गादवंशी थे, जो सेना में अध्यक्ष थे। इन में जो सब से छोटा था, वह सौ के बराबर था और इन में जो बड़ा था, वह हज़ार के बराबर था।

16) उन्होंने वर्षा के पहले महीने में तब यर्दन पार किया था, जब उस में बाढ़ आयी थी और उन्होंने पूर्वी और पश्चिमी मैदान के सभी निवासियों को भगा दिया था।

17) बेनयामीन और यूदा के वंश से कुछ लोग उजाड़खण्ड के बीहड़ों में दाऊद के पास आये।

18) दाऊद उन से मिलने बाहर आया और बोला, "यदि तुम सद्भाव से मेरी सहायता करने आये हो, तो मैं सारे हृदय से तुम्हारा स्वागत करने को तैयार हूँ; किन्तु यदि तुम विश्वासघात से मुझ निर्दोष को मेरे शत्रुओें के हाथ सौंपना चाहते हो, तो हमारे पूर्वजों का ईश्वर यह देख ले और तुम्हें द्ण्डित करे"।

19) तब तीसों का प्रधान अमासय आत्मा की प्रेरणा से बोल उठाः "दाऊद! हम तुम्हारे हैं, यिशय के पुत्र! हम तुम्हारे साथ हैं! शान्ति! तुम्हें शान्ति! तुम्हारे सहायकों को शान्ति! क्योंकि तुम्हारा ईश्वर तुम्हारी सहायता करता है।" तब दाऊद ने उन्हें स्वीकार कर अपने दल के नेता बना दिया।

20) जब दाऊद साऊल के विरुद्ध फ़िलिस्तियों के साथ लड़ने लगा, तब मनस्सेवंशियों में कुछ लोग उसके पास आये। वह फ़िलिस्तियों की कुछ भी सहायता नहीं कर पाया, क्योंकि फ़िलिस्तियों के शासकों ने आपस में सलाह कर यह कहते हुए उसे लौटा दिया था, "सम्भव है, वह अपने स्वामी का पक्ष ले और हमारे सिर पर विपत्ति आ पड़े"।

21) जब दाऊद सिकलग गया, तब मनस्सेवंशियों में ये लोग उसके पास आयेः अदनाह, योज़ाबाद, यदीआएल, मीकाएल, ऐज़ाबाद, एलीहू और सिल्लतय, जो मनस्से के सहस्रपति थे।

22) उन्होंने दाऊद और उसके दल की सहायता की, क्योंकि वे सब वीर योद्धा थे और सेना के अध्यक्ष बने।

23) प्रतिदिन दाऊद की सहायता करने लोग उसके पास आये, जिससे उसकी सेना बहुत बड़ी हो गयी।

24) विभिन्न दलों के सशस्त्र सैनिकों की संख्या यह है, जो-जैसा कि प्रभु ने कहा था-हेब्रोन में दाऊद के पास आये, जिससे वे साऊल का राज्य दाऊद को सौंपेः

25) यूदा के छः हजार आठ सौ ढाल और भालाधारी सशस्त्र सैनिक;

26) सिमओन के सात हज़ार एक सौ सशस्त्र वीर योद्धा;

27) लेवी के चार हज़ार छः सौ

28) और हारून के कुटुम्ब के मुखिया यहोयादा के साथ तीन हज़ार सात सौ सैनिक,

29) वीर युवक सादोक और उसके घराने के बाईस मुखिया;

30) बेनयामीन के तीन हज़ार लोग; वे साऊल के सम्बन्धी और अधिकांश अब तक साऊल के घराने के नौकर थे;

31) एफ्ऱईम के बीस हज़ार आठ सौ वीर योद्धा, जो अपने-अपने कुलों में प्रसिद्ध थे;

32) मनस्से के आधे कुल के अठारह हज़ार पुरुष, जो दाऊद को राजा बनाने के लिए भेजे गये थे;

33) इस्साकार के दो सौ मुखिया और उनके अधीन के सब सम्बन्धी, जो समय पहचानते थे और यह जानते थे कि इस्राएलियों को अब क्या करना चाहिए;

34) जबुलोन के पचास हज़ार अनुभवी सैनिक, जो हर प्रकार के शस्त्र से सुसज्जित थे और सारे हृदय से दाऊद की सहायता करने को तैयार थे;

35) नफ़्ताली के एक हज़ार मुखिया और सैंतीस हज़ार ढाल और भालाधारी सैनिक;

36) दान के अट्ठाईस हजार छः सौ युद्ध-योग्य सैनिक;

37) आशेर के चालीस हज़ार सशस्त्र सैनिक;

38) यर्दन के उस पार रूबेन, गाद और आधे मनस्से वंश के, हर प्रकार के शस्त्रों से सुसज्जित, एक लाख बीस हज़ार सैनिक।

39) ये सब सैनिक, जो युद्ध के लिए तत्पर थे, केवल इस उद्देश्य से हेब्रोन आये थे कि वे दाऊद को समस्त इस्राएलियों का राजा बनायें। अन्य सभी इस्राएली भी एकमत हो कर दाऊद को राजा बनाना चाहते थे।

40) वे दाऊद के यहाँ तीन दिन तक खाते-पीते रहे; क्योंकि उनके भाई-बन्धुओं ने उनके भोजन का प्रबन्ध कर रखा था।

41) आसपास रहने वालों में इस्साकार, ज़बुलोन और नफ़्ताली तक के लोग भी गधों, ऊटों, खच्चरों और बैलों पर लाद कर प्रचुर मात्रा में खाद्य-सामग्री लाये थेः आटा, अंजीर की रोटिया, किषमिष, अंगूरी, तेल, बैल और बहुत-सी भेडे़ं, इस्राएल में खुशी की एक लहर-



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