📖 - दुसरा इतिहास ग्रन्थ

अध्याय ➤ 01- 02- 03- 04- 05- 06- 07- 08- 09- 10- 11- 12- 13- 14- 15- 16- 17- 18- 19- 20- 21- 22- 23- 24- 25- 26- 27- 28- 29- 30- 31- 32- 33- 34- 35- 36- मुख्य पृष्ठ

अध्याय 01

1) राजसत्ता दाऊद के पुत्र सुलेमान के हाथ में दृढ़ हो गयी। ़प्रभु, उसका ईश्वर उसके साथ था और उसने उसे महान् बनाया।

2) सुलेमान ने सारे इस्राएल को, सहस्रपतियों, शतपतियों, न्यायाधीशों, इस्राएल भर के नेताओं, अर्थात् घरानों के मुखियाओं को सम्बोधित किया।

3) इसके बाद सुलेमान सारी सभा के साथ गिबओन के पहाड़ी पूजास्थान गया, क्योंकि वहीं ईश्वर का वह दर्शन- कक्ष था, जिसे प्रभु के सेवक मूसा ने उजाड़खण्ड में बनवाया था।

4) दाऊद ईश्वर की मंजूषा को किर्यत-यआरम से उस स्थान ले आया था, जिसे दाऊद ने उसके लिए तैयार कराया था-उसके लिए उसने येरूसालेम में एक तम्बू खड़ा किया था।)

5) ऊरी के पुत्र और हूर के पौत्र बसलएल ने काँसे की जो वेदी बनायी थी, वह भी वहाँ प्रभु के निवास के सामने थी। सुलेमान और जनसमुदाय उसके दर्शन के लिए वहाँ पहुँचे।

6) सुलेमान ने दर्शन-कक्ष के पास, प्रभु के सामने काँसे की वेदी तक पहुँच कर उस पर एक हज़ार होम-बलियाँ चढ़ायीं।

7) उसी रात ईश्वर ने सुलेमान को दर्शन दिये ओर उस से कहा, "बताओं, मैं तुम्हें क्या दे दूँ?"

8) सुलेमान ने ईश्वर को यह उत्तर दिया, "तूने मेरे पिता दाऊद पर बड़ी कृपा की और मुझे उनके स्थान पर राजा बनाया।

9) प्रभु-ईश्वर! तूने मेरे पिता दाऊद से जो कहा, था, वह अब पूरा हो; क्योंकि तूने मुझे एक ऐसी प्रजा का शासक बनाया, जो पृथ्वी के रेतकणों की तरह असंख्य है।

10) अब मुझे प्रज्ञा और विवेक प्रदान कर, जिससे मैं इस प्रजा का नेतृत्व कर सकूँ। नहीं तो, कौन तेरी प्रजा, इस महान् राष्ट्र का शासन कर सकता है?"

11) ईश्वर ने सुलेमान से कहा, "चूँकि तुमने यह चाहा, चूँकि तुमने न तो धनसम्पत्ति, न वैभव, न अपने शत्रुओं का विनाश और न लम्बी आयु, बल्कि अपने लिए प्रजा और विवेक माँगा, जिससे तुम मेरी प्रजा का शासन कर सको, जिसका मैंने तुम्हें राजा बनाया है,

12) इसलिए तुम्हें प्रज्ञा और विवेक प्रदान किया जायेगा और मैं तुम को उतना धन और वैभव दूँगा, जितना न तो तुम्हारे पहले किसी राजा के पास था और न तुम्हारे बाद किसी के पास होगा।"

13) इसके बाद सुलेमान गिबओन की पहाड़ी से, दर्शन-कक्ष के स्थान से, येरूसालेम लौट आया और इस्राएल पर राज्य करने लगा।

14) सुलेमान ने अपने लिए रथों और घुड़सवारों का प्रबन्ध किया। उसके पास एक हज़ार चार सौ रथ और बारह हज़ार घुड़सावर थे। उसने उन्हें रक्षा-नगरों में और अपने पास येरूसालेम में रखा।

15) राजा ने येरूसालेम में चाँदी और सोने को पत्थर जैसा सस्ता बना दिया और देवदार को निचले प्रदेश में पाये जाने वाले गूलर-जैसा प्रचुर।

16) सुलेमान के लिए मिस्र और कुए से घोड़े लाये जाते थे। राजा के व्यापारी दाम दे कर उन्हें कुए से ख़रीद लाते थे।

17) मिस्र से लाये जाने वाले रथ का मूल्य-छः सौ शेकेल। और घोड़े का डेढ़ सौ चाँदी के शेकेल। इन व्यापारियों द्वारा सबी हित्ती और अरामी राजा रथ और घोड़े ख़रीदते थे।

18) सुलेमान ने प्रभु के नाम की प्रतिष्ठा के लिए एक मन्दिर और अपने लिए राजमहल बनाने का निश्चय किया।



Copyright © www.jayesu.com