📖 - दुसरा इतिहास ग्रन्थ

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अध्याय 02

1) सुलेमान ने सत्तर हज़ार बोझा ढोने वालों और पहाड़ी प्रदेश में अस्सी हज़ार संगतराषों को काम पर लगाया था। उनके निरीक्षकों की संख्या तीन हज़ार छह सौ थी।

2) तब सुलेमान ने तीरुस के राजा हीराम के पास यह कहला भेजाः "आपने मेरे पिता दाऊद के लिए प्रबन्ध किया था और उनके पास देवदार की लकड़ी भेजी थी, जिससे वह अपना निवास बनवा सकें।

3) मैं भी प्रभु, अपने ईश्वर के नाम की प्रतिष्ठा के लिए एक मन्दिर बनवाना चाहता हूँ। मैं उसे इसलिए प्रतिष्ठित करूँगा कि उस में उसके लिए सुगन्धित द्रव्यों कीभेंट चढ़ायी जाये, निरन्तर भेंट की रोटियाँ रखी जायें और प्रातः और सन्ध्या समय, विश्राम-दिवसों, अमावस के दिनों तथा प्रभु हमारे ईश्वर के निर्धारित उत्सवों पर होम-बलियाँ चढ़ायी जायें। यह इस्राएल के लिए सदा बना रहने वाला आदेश है।

4) जो मन्दिर मैं बनवा रहा हूँ, वह भव्य होगा; क्योंकि हमारा ईश्वर सब अन्य देवताओं से महान् है।

5) प्रभु के लिए मन्दिर बनवाने का सामर्थ्य किस में है, जब कि वह आकाश और सारे ब्रह्माण्ड में नहीं समा सकता? मैं कौन हूूँ, जो उसके लिए मन्दिर बनवाऊँ? वह मात्र एक स्थान हो, जहाँ उसके सामने चढ़ावे जलाये जायें।

6) इसलिए अब मेरे पास एक ऐसा व्यक्ति भेजिए, जो सोने, चाँदी, काँसे और लोहे के काम करने में निपुण हो; जो बैंगनी, किरमिजी और नीले कपड़ों पर कढ़ाई और नक़्क़ाषी का काम भी जानता हो। वह उन कलाकारों के साथ काम करेगा, जो मेरे साथ सदा यूदा और येरूसालेम में हैं औए जिन्हें मेरे पिता दाऊद ने नियुक्त कर रखा है।

7) मुझे लेबानोन से देवदार, सनोवर और चन्दन की लकड़ी भी भेजिए; क्योंकि मैं जानता हूँ कि आपके आदमी लेबानोन के वृक्ष काटने में निपुण हैं।

8) मेरे आदमी आपके आदमियों के साथ रह कर मेरे लिए बहुत-सी लकड़ी तैयार करेंगे; क्योंकि मैं जो मन्दिर बनवाने जा रहा हूँ, वह महान् और भव्य होगा।

9) मैं आपके लकड़ी काटने वाले आदमियों के लिए बीस लाख मन गेहूँ, बीस लाख मन जौ, नौ लाख लिटर अंगूरी और नौ लाख लिटर तेल दे रहा हूँ।"

10) तीरुस के राजा हीराम ने सुलेमान को भेजी हुई एक चिट्ठी में लिखा थाः "प्रभु अपनी प्रजा से प्रेम करता है, इसलिए उसने आप को उसका राजा बनाया है।" हीराम ने यह भी कहा, "धन्य है प्रभु, इस्राएल का ईश्वर, जिसने स्वर्ग और पृथ्वी को बनाया है!

11) उसने राजा दाऊद को एक ऐसा बुद्धिमान, समझदार और विवेकी पुत्र दिया, जो प्रभु के लिए मन्दिर और अपने लिए राजमहल बनवायेगा।

12) मैं आपके पास एक निपुण और समझदार शिल्पकार, हूराम- अबी को भेज रहा हूँ, जो किसी दानवंशी स्त्री का पुत्र है और जिसका पिता तीरुस-निवासी है।

13) वह सोने, चाँदी, काँसे, लोहे, पत्थर और लकड़ी, लाल और बैंगनी कपड़ों, छालटी और किरमिजी कपड़ों पर कढ़ाई और सब प्रकार के नक़्क़ाषी के काम और अपने को सौंपे हुए सब प्रकार का कार्य सम्पन्न कर सकता है। वह आपके और आपके पिता, मेरे स्वामी दाऊद के शिल्पकारों के साथ काम करेगा।

14) आप गेहूँ, जौ, तेल और अंगूरी, जिनके बारे में मेरे स्वामी ने कहा है अपने दासों को भेज दें।

15) हम आपकी आवश्यकता के अनुसार लेबानोन जा कर वृक्ष काटेंगे और बेड़ा बना कर समुद्री मार्ग से याफ़ो तक पहुँचा देंगे? जिससे वहाँ से आप उन्हें येरूसालेम ले जा सकें।"

16) अपने पिता द्वारा की गयी लोगों की जनगणना के बाद सुलेमान ने इस्राएल देश भर के सब परदेशियों की गणना की। उनकी संख्या एक लाख तिरपन हज़ार छः सौ थी।

17) उसने उन में सत्तर हज़ार को बोझा ढोने, अस्सी हज़ार को पहाड़ी प्रदेश में पत्थर काटने ओर तीन हज़ार छः सौ को निगरानी करने के लिए नियुक्त किया, जो उन लोगों से काम लेते थे।



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