📖 - दुसरा इतिहास ग्रन्थ

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अध्याय 11

1) जब रहबआम येरूसालेम आया, तो उसने यूदा और बेनयामीन वंश के एक लाख अस्सी हज़ार चुने हुए योद्धाओं को एकत्रित किया, जिससे वे इस्राएल से लड़ कर रहबआम के लिए राज्य फिर प्राप्त करें।

2) लेकिन प्रभु की वाणी ईश्वर-भक्त शमाया को यह कहते हुए सुनाई पड़ी,

3) "सुलेमान के पुत्र, यूदा के राजा रहबआम तथा यूदा और बेनयामीन के सब इस्राएलियों से कहो-

4) प्रभु का कहना है कि तुम अपने भाई-बन्धु इस्राएलियों से लड़ने मत जाओ। प्रत्येक अपने घर वापस चला जाये; क्योंकि राज्य के विभाजन में मेरा हाथ है।" उन्होंने प्रभु की वाणी पर ध्यान दिया और वे यरोबआम के विरुध्द लड़ने नहीं गये।

5) रहबआम येरूसालेम में रहने लगा और उसने यूदा और

6) बेनयामीन में इन क़िलाबन्द नगरों का निर्माण किया- बेथलेहेम, एताम, तकोआ,

7) बेत-सूर, सोको, अदुल्लाम,

8) गत, मारेषा, ज़ीफ़,

9) अदोरईम, लाकीष, अजे़का,

10) सोरआ, अय्यालोन और हेब्रोन।

11) उसने उनके क़िलों को सुदृढ़ बनाया, उन पर अध्यक्षों को नियुक्त किया और उन में रसद, तेल और अंगूरी के भण्डार रखवाये।

12) प्रत्येक नगर में ढालें और भाले रखे गये। उसने उन्हें अत्यन्त सुदृढ़ बनाया। इस प्रकार यूदा और बेनयामीन उसके वंश में रहे।

13) इस्राएल भर के याजक और लेवी उसका समर्थन करते थे। वे जहाँ-जहाँ रहते थे, वहाँ-वहाँ उसे उसके पास आये;

14) क्योंकि लेवी लोग अपने-अपने चरागाह और भूमि छोड़ कर यूदा और येरूसालेम आने लगे थे। कारण यह था कि यरोबआम और उसके पुत्रों ने उन्हें प्रभु के याजक-पद से हटा दिया था।

15) यरोबआम ने पहाड़ी पूजास्थानों और अपने द्वारा बनवायी अज और बछड़े की मूर्तियों की सेवा के लिए अपने याजकों को नियुक्त किया।

16) सब वंशों के लोग, जिन्होंने प्रभु, इस्राएल के ईश्वर की ही उपासना करने का संकल्प किया, प्रभु, अपने पूर्वजों के ईश्वर को बलिदान चढ़ाने उन याजकों और लेवियों के पीछे-पीछे येरूसालेम आये।

17) उन लोगों ने यूदा के राज्य को सुदृढ़ किया और तीन वर्ष तक सुलेमान के पुत्र रहबआम का समर्थन करते रहे; क्योंकि वह तीन वर्ष तक दाऊद और सुलेमान के मार्ग पर चलता रहा।

18) रहबआम ने महलत से विवाह किया। दाऊद का पुत्र यरीमोत उसका पिता था और यिशय के पुत्र एलीआब की बेटी अबीहैल उसकी माता थी।

19) उस पत्नी से उसके ये पुत्र हुएः

20) यऊष, शमार्या और ज़ाहम। इसके बाद उसने अबसालोम की पौत्री माका से विवाह किया। उस से उसके ये पुत्र हुएः अबीया, अत्तय, ज़ीज़ा और शलोमीत।

21) रहबआम अपनी अन्य पत्नियों और उपपत्नियों से अबसालोम की पौत्री माका को अधिक चाहता था। उसके अठारह पत्नियाँ और साठ पुत्रियाँ।

22) रहबआम ने माका के पुत्र अबीया को अपने भाइयों के ऊपर युवराज नियुक्त किया, क्योंकि वह उसे राजा बनाना चाहता था।

23) उसने समझदारी से काम किया और अपने सब पुत्रों को यूदा और बेनयामीन के सब प्रान्तों में तथा सब क़िलाबन्द नगरों में रख कर अलग-अलग कर दिया। उसने उन्हें प्रचुर मात्रा में रसद दिया और बहुत-सी पत्नियों से उनका विवाह किया।



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