📖 - नहेम्या का ग्रन्थ

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अध्याय 08

1) समस्त इस्राएली जलद्वार के सामने के चैक में एकत्र हुए और उन्होंने एज़्रा से निवेदन किया कि वह प्रभु द्वारा इस्राएल को प्रदत्त मूसा की संहिता का ग्रन्थ ले आये।

2) पुरोहित एज्ऱा सभा में संहिता का ग्रन्थ ले आया। सभा में पुरुष, स्त्रियाँ और समझ सकने वाले बालक उपस्थित थे। यह सातवें मास का पहला दिन था।

3) उसने सबेरे से ले कर दोपहर तक जलद्वार के सामने के चैक में स्त्री-पुरुषों और समझ सकने वाले बालकों को ग्रन्थ पढ़ कर सुनाया। सब लोग संहिता का ग्रन्थ ध्यान से सुनते रहे।

4) शास्त्री एज़ा विशेष रूप से तैयार किये हुए लकड़ी के मंच पर खड़ा था। उसकी दाहिनी और मत्तित्या, शेमा, अनाया, ऊरीया, हिलकीया और मासेया थे और उसकी बायीं ओर पदाया, मीशाएल, मलकीया, हाशुम, हशबद्दाना, ज़कर्या और मशुल्लाम थे।

5) एज्ऱा लोगों से ऊँची जगह पर था। उसने सबों के देखने में ग्रन्थ खोल दिया। जब ग्रन्थ खोला गया, तो सारी जनता उठ खड़ी हुई।

6) तब एज्ऱा ने प्रभु, महान् ईश्वर का स्तुतिगान किया और सब लोगों ने हाथ उठा कर उत्तर दिया, "आमेन, आमेन!" इसके बाद वे झुक गये और मुँह के बल गिर कर उन्होंने प्रभु को दण्डवत् किया।

7) इसके बाद येशूआ, बानी, शेरेब्या, यामीन, अक्कूब, शब्बतय, होदीया, मासेया, कलीटा, अज़र्या, योज़ाबाद, हानान और पलाया, इन लेवियों ने लोगों को संहिता का अर्थ समझाया और वे खड़े हो कर सुनते रहे।

8) उन्होंने ईश्वर की संहिता का ग्रन्थ पढ़ कर सुनाया, इसका अनुवाद किया और इसका अर्थ समझाया, जिससे लोग पाठ समझ सकें।

9) इसके बाद राज्यपाल, नहेम्या, याजक तथा शास्त्री एज़्रा और लोगों को समझाने वाले लेवियों ने सारी जनता से कहा, "यह दिन तुम्हारे प्रभु-ईश्वर के लिए पवित्र है। उदास हो कर मत रोओ"; क्योंकि सब लोग संहिता का पाठ सुन कर रोते थे।

10) तब एज्ऱा ने उन से कहा, "जा कर रसदार मांस खाओ, मीठी अंगूरी पी लो और जिसके लिए कुछ नहीं बन सका, उसके पास एक हिस्सा भेज दो; क्योंकि यह दिन हमारे प्रभु के लिए पवित्र है। उदास मत हो। प्रभु के आनन्द में तुम्हारा बल है।"

11) लेवियों ने यह कहते हुए लोगों को शान्त कर दिया, "शान्त रहो, क्योंकि यह दिन पवित्र है। उदास मत हो।"

12) तब सब लोग खाने-पीने गये। उन्होंने दूसरों के पास हिस्से भेज दिये और उल्लास के साथ आनन्द मनाया; क्योंकि उन्होंने अपने को दी हुई शिक्षा को समझा था।

13) दूसरे दिन सब लोगों के घरानों के मुखिया, याजक और लेवी संहिता के अध्ययन के लिए शास्त्री एज्ऱा के पास एकत्रित हुए।

14) प्रभु द्वारा मूसा को दी गई संहिता में उन्होंने यह लिखा पाया कि सातवें मास के पर्व के अवसर पर इस्राएली पर्णशालाओं में रहा करें

15) और अपने सब नगरों और येरूसालेम में यह घोषणा करें, "पर्वतों पर जाओ और जैतून वृक्षों, जंगली जैतून वृक्षों, मेंहदी, खजूर और पत्ते वाले वृक्षों की शाखाएँ ले आओ और संहिता के आदेश के अनुसार पर्णशालाएँ बनवाओ"।

16) इस पर लोग चल कर शाखाएँ ले आये और सब ने अपनी-अपनी छत पर, अपने-अपने आँगन में, ईश्वर के मन्दिर के आँगनों में, जलद्वार के सामने के मैदान में और एफ्ऱईम-द्वार के सामने के मैदान में अपनी-अपनी पर्णशालाएँ बनायीं।

17) निर्वासन से लौटे हुए सब लोगों ने अपने लिए पर्णशालाएँ बनायीं और वे शिविर-पर्व मनाने के लिए उन में रहने लगे। नून के पुत्र योशुआ के समय से आज तक इस्राएलियों ने इस प्रकार पर्व नहीं मनाया था। इसलिए उनके आनन्द की सीमा नहीं थी।

18) एज़्रा ने प्रतिदिन, पहले दिन से ले कर अन्तिम दिन तक, ईश्वर की संहिता के ग्रन्थ का पाठ किया। इस प्रकार लोग सात दिन तक पर्व मनाते रहे। आठवें दिन उन्होंने नियम के अनुसार धर्मसभा का आयोजन किया।



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