📖 - यूदीत का ग्रन्थ

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अध्याय 06

1) सभा के आसपास के लोगों का कोलाहल बन्द हो जाने पर अस्सूरी सेना के प्रधान सेनापति होलोफ़ेरनिस ने अन्य सभी जातियों और मोआबियों के सामने कहा,

2) "अहीओर! तुम कौन होते हो और एफ्ऱईम के भाड़े के सब सैनिको! तुम कौन होते हो, जो तुम आज हमारे सामने भविष्यवाणी करते हो और कहते हो कि हम इस्राएलियों से नहीं लड़ें, क्योंकि उनका ईश्वर उनकी रक्षा करेग? नबूकदनेज़र के सिवा और कौन ईश्वर है? वही अपनी सेनाएँ भेज कर अपनी शक्ति का परिचय देगा, उन्हें पृथ्वी तल से मिटा देगा और उनका ईश्वर उनका उद्धार नहीं कर सकेगा!

3) हम, उसके दास, उन्हें यों मार गिरायेंगे, जैसे वे एक आदमी भर हों। वे हमारे घुड़सवार सैनिक-बल का सामना कभी नहीं कर सकेंगे।

4) हम इसके द्वारा उन्हें पराजित करेंगे। उनकी पहाड़ियाँ उनके रक्त से भर जायेंगी और उनके मैदान उनकी लाशों से पट जायेंगे। उनके पैर हमारे सामने नहीं टिक पायेंगे। उनका सर्वनाश किया जायेगा। यह समस्त पृथ्वी के स्वामी राजा नबूकदनेज़र का कहना है। उसने यही कहा था

5) "अहीओर! तुम अम्मोन के भाड़े के टट्टू हो! तुम्हारे दुर्भाग्य ने ही तुम से ये शब्द कहलवाये हैं। तुम मेरा मुँह आज से तब तक नहीं देखोगे, जब तक मैं मिस्र से आयी इस जाति से बदला न ले लूँ।

6) तब मेरे लौटने पर मेरे सैनिकों और सेवकों के भाले तुम्हारी बग़ल छेदेंगे और तुम उन लोगों के घायलों के बीच गिर कर पड़े रहोगे।

7) अब मेरे दास तुम्हें पहाड़ों पर ले जायेंगे और वहाँ घाटी के मार्ग पर के किसी नगर में तुम्हें छोड़ देंगे।

8) तुम्हारा वध तभी होगा, जब उन लोगों का विध्वंस हो जायेगा।

9) यदि तुम अपने मन में आशा करते हो कि उनकी हार नहीं होगी, तो तुम्हारे उदास होने का कोई कारण नहीं। मेरा एक शब्द भी व्यर्थ नहीं जायेगा।"

10) होलोफ़ेरनिस ने अपने तम्बू के पास खड़े अपने दासों को अहीओर को पकड़ कर बेतूलिया ले जाने और वहाँ उसे इस्राएलियों के सुपुर्द करने की आज्ञा दी।

11) उसके दास उसे पकड़ कर पड़ाव के बाहर मैदान में ले गये। मैदान पार कर और पहाड़ पर चढ़ कर वे उन जलस्रोतों के पास आये, जो बेतूलिया की तलहटी में है।

12) जैसे ही पर्वत की चोटी पर के नगरवासियों ने उन्हें आते देखा, वे अपने अस्त्र-शस्त्र ले कर नगर के बाहर, पहाड़ की चोटी पर दौड़ पड़े और सभी गोफेन चलाने वालों ने पत्थर मार-मार कर उनका रास्ता रोका।

13) तब वे पर्वत के नीचे छिप गये और अहीओर को बाँध कर पर्वत की तलहटी में छोड़ दिया। इसके बाद वे अपने स्वामी के पास लौट गये।

14) इस्राएली अपने नगर से नीचे उतरे और उन्होंने उसके पास जा कर उसके बन्धन खोल दिये। फिर उन्होंने उसे बेतूलिया ले जा कर अपने नगर के अध्यक्षों के सामने उपस्थित किया।

15) उन दिनों सिमओनवंशी मीका का पुत्र उज़्ज़ीया, गोतोनीएल का पुत्र काब्रीस और मलकीएल का पुत्र करमीस-ये नगर के अध्यक्ष थे।

16) उन्होंने नगर के सब नेताओ को एकत्रित किया। सब युवक और स्त्रियाँ भी सभा में उपस्थित हुए। अब उज़्ज़ीया ने अहीओर को सब लोगों के बीच खड़ा कर उस से पूछा कि उसके साथ क्या हुआ।

17) तब उसने उन्हें वह सब कुछ बताना आरम्भ किया, जो होलोफ़ेरनिस के मन्त्रियों की सभा में हुआ था और उसने वह सारा भाषण भी सुनाया, जो उसने अस्सूरियों के सेनापतियों के सामने दिया था और वह भी, जो होलोफ़ेरनिस ने शेखी मारते हुए इस्राएल के विरुद्ध कहा था।

18) यह सुन कर लोग ईश्वर के सामने नतमस्तक हो कहने लगे,

19) "प्रभु! स्वर्गेश्वर! उनका अहंकार देख और हमारी जाति की दुर्गति पर दया कर। आज तू उन पर दयादृष्टि कर, जिन्होंने अपने को तुझे समर्पित कर दिया है।"

20) इसके बाद उन्होंने अहीओर को सान्त्वना दी और उसकी बड़ी प्रशंसा की।

21) उज़्ज़ीया उसे सभा से अपने घर ले गया और उसने नेताओं को एक भोज दिया। वे इस्राएल के ईश्वर से सहायता के लिए रात भर प्रार्थना करते रहे।



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