📖 - यूदीत का ग्रन्थ

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अध्याय 14

1) अब यूदीत ने लोगों से कहा "भाइयो! मेरी बात मानिए। यह सिर अपने नगर की दीवार पर टाँग दीजिए।

2) सबेरे जैसे ही पृथ्वी पर सूर्योदय हो, आप में प्रत्येक वीर अपने अस्त्र-शस्त्र धारण कर नगर के बाहर जाये। ऐसा दिखाइए, मानो आप मैदान में अस्सूरियों की चैकियों पर आक्रमण करने वाले हों;

3) परन्तु आप लोग नीचे नहीं उतरेंगे। यह देखने पर वे लोग अपने अस्त्र-शस़्त्र ले कर अस्सूरी नेता के सेनापतियों को जगाने अपने पड़ाव जायेंगे। वे होलोफ़ेरनिस के तम्बू के पास दौड़ेंगे, पर उसे नहीं देख पायेंगे। तब वे भयभीत होंगे और आपके सामने से भाग खड़े होंगे।

4) इसके बाद आप और वे सभी, जो इस्राएल देश में रहते हैं, उनका पीछा करेंगे और वे जहाँ कहीं जायेंगे, उन्हें मार गिरायेंगे।

5) "किन्तु ऐसा करने के पहले अम्मोनी अहीओर को मेरे पास बुला लें। वह उस आदमी को देख कर पहचाने, जो इस्राएल के घराने की निन्दा करता था और जिसने अहीओर को हमारे यहाँ यह सोच कर भेजा था, जैसे वह उसे मृत्यु के मुख में भेज रहा हो।"

6) अहीओर को उज़्ज़ीया के घर से बुलाया गया। वह आया और उसने जैसे ही होलोफ़ेरनिस का सिर भीड़ में किसी के हाथ देखा, वह मुँह के बल गिरा और बेहोश हो गया।

7) उसे उठाया गया और तब वह यूदीत के पाँवों पर गिर पड़ा और यह कहते हुए उस को प्रणाम किया, "धन्य है आप-यूदा के घर-घर में और सब राष्ट्रों में! वे सब आपका नाम सुन कर घबरा जायेंगे।

8) "अब मुझे बताइए कि आपने उन दिनों क्या-क्या किया।" तब जिस समय से यूदीत बाहर गयी थी, उसे से ले कर अब तक; जब वह उन से बोल रही थी, उसने लोगों के सामने वह सब बताया, जो उसने किया था।

9) जब उसकी बात समाप्त हुई, तो सब लोग ऊँचे स्वर में जयकार करने लगे और उनका नगर आनन्द के स्वरों से गूँज उठा।

10) इस्राएल के ईश्वर का यह कार्य देख अहीओर को ईश्वर पर दृढ़ विश्वास हो गया। उसने अपना ख़तना करवाया और वह आज तक इस्राएल के घराने का सदस्य है।

11) जैसे ही पौ फटने लगी, उन्होंने होलोफे़रनिस का सिर दीवार पर टाँग दिया और सब इस्राएली पुरुष अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र दलों के अनुसार पर्वत से नीचे की ओर जाने वाले मार्गों पर चल पड़े।

12) जब अस्सूरियों ने उन्हें देखा, तो उन्होंने अपने नेताओं को सूचित किया और उन्होंने अपने सेनापतियों, अध्यक्षों और सब पदाधिकारियों को।

13) उन्होंने होलोफ़ेरनिस के तम्बू के पास एकत्रित हो कर उसके प्रबन्धक बगोआस से कहा, "हमारे स्वामी को जगाइए; क्योंकि यहूदियों ने हम से युद्ध करने के लिए पहाड़ से उतरने का साहस किया, जिससे उनका सर्वनाश हो जाये"।

14) इस पर बगोआस ने भीतर जा कर तम्बू के परदे के पास ताली बजायी। वह सोचता था कि वह यूदीत के साथ सो रहा है।

15) लेकिन जब किसी ने कोई उत्तर नहीं दिया, तब वह परदा खोल कर शयन-कक्ष के भीतर गया। उसने देखा कि होलोफ़ेरनिस पावदान पर नंगा और मरा हुआ पड़ा है और उसका सिर हटा दिया गया है।

16) तब वह ऊँचे स्वर से चिल्ला कर उठा तथा रोता-पीटता और आहें भरता रहा। वह ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला कर अपने वस्त्र फाड़ने लगा।

17) इसके बाद वह उस तम्बू में गया, जहाँ यूदीत रहती थी ; किन्तु वह वहाँ नहीं थी। फिर वह लोगों के पास बाहर आ कर चिल्ला उठा,

18) "उन टुकड़खोरों ने विश्वासघात किया है! एक इब्रानी स्त्री ने राजा नबूकदनेज़र के घराने को अपमानित किया है। देखो, होलोफे़रनिस भूमि पर पड़े हैं और उनके धड से सिर गायब है।"

19) जब अस्सूरी सेना के अध्यक्षों ने ये शब्द सुने, तो उन्होंने अपने वस्त्र फाड़ डाले और वे बहुत घबरा गये। उनकी चिल्लाहट और उनका रोना-पीटना पड़ाव में सब जगह सुनाई पड़ रहा था।



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