📖 - स्तोत्र ग्रन्थ

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अध्याय 100

1) समस्त पृथ्वी! प्रभु की स्तुति करो।

2) आनन्द के साथ प्रभु की सेवा करो। उल्लास के गीत गाते हुए उसके सामने उपस्थित हो।

3) यह जान लो कि प्रभु ही ईश्वर है। उसी ने हमें बनाया है-हम उसी के हैं। हम उसकी प्रजा, उसके चरागाह की भेड़ें हैं।

4) धन्यवाद देते हुए उसके मन्दिर में प्रवेश करो; भजन गाते हुए उसके प्रांगण में आ जाओ; उसकी स्तुति करो और उसका नाम धन्य कहो।

5) ओह! ईश्वर कितना भला है! उसका प्रेम चिरस्थायी है। उसकी सत्यप्रतिज्ञता युगानुयुग बनी रहती है।



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