📖 - स्तोत्र ग्रन्थ

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अध्याय 23

1) प्रभु मेरा चरवाहा है, मुझे किसी बात की कमी नहीं।

2) वह मुझे हरे मैदानों में बैठाता और शान्त जल के पास ले जा कर मुझ में नवजीवन का संचार करता है।

3) अपने नाम के अनुरूप वह मुझे धर्ममार्ग पर ले चलता है।

4) चाहे अँधेरी घाटी हो कर जाना पड़े, मुझे किसी अनिष्ट की शंका नहीं, क्योंकि तू मेरे साथ रहता है। मुझे तेरी लाठी, तेरे डण्डे का भरोसा है।

5) तू मेरे शत्रुओं के देखते-देखते मेरे लिये खाने की मेज़ सजाता है। तू मेरे सिर पर तेल का विलेपन करता और मेरा प्याला लबालब भर देता है।

6) इस प्रकार तेरी भलाई और तेरी कृपा से मैं जीवन भर घिरा रहता हूँ। मैं चिरकाल तक प्रभु के मन्दिर में निवास करूँगा।



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