📖 - स्तोत्र ग्रन्थ

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अध्याय 29

1) ईश्वर के पुत्रों! प्रभु की महिमा का गीत गाओ। उसके सामर्थ्य का बखान करो।

2) उसके महिमामय नाम की स्तुति करो, पवित्र वस्त्र पहन कर उसकी आराधना करो।

3) प्रभु की वाणी जल पर, महासागर की लहरों पर गरजती है।

4) प्रभु की वाणी तेजस्वी है, प्रभु की वाणी प्रतापी है।

5) प्रभु की वाणी देवदारों को चीर देती है, प्रभु लेबानोन के देवदारों को चीर देता है।

6) वह लेबानोन को बछड़े की तरह कुदाता है और सियोन को तरुण भैंस की तरह।

7) प्रभु की वाणी से अग्नि की ज्वाला निकलती है,

8) प्रभु की वाणी जंगल को कँपाती है; प्रभु कादेश के मरुप्रान्त को कँपाता है।

9) प्रभु की वाणी बलूतों को ज़ोर-ज़ोर से हिलाती और जंगल के वृक्षों को नोच डालती है। प्रभु के मन्दिर में सब बाले उठते हैं: प्रभु की जय!

10) प्रभु जलप्रलय के ऊपर विराजमान था, प्रभु सदा-सर्वदा राज्य करेगा।

11) प्रभु अपनी प्रजा को बल प्रदान करेगा; प्रभु अपनी प्रजा को शांति का आशीर्वाद देगा।



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