📖 - स्तोत्र ग्रन्थ

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अध्याय 54

3 (1-3) ईश्वर! अपने नाम द्वारा मेरा उद्धार कर, अपने सामर्थ्य से मुझे न्याय दिला।

4) ईश्वर! मेरी प्रार्थना सुन और मेरे शब्दों पर ध्यान दे।

5) विदेशी मुझे घेरते हैं और अत्याचारी मुझे मारना चाहते हैं।

6) देखो! ईश्वर मेरी सहायता करता है, प्रभु ही मेरे जीवन का आधार है।

7) वह मेरे शत्रुओं से बुराई का बदला ले। तू अपनी सत्यप्रतिज्ञता के अनुरूप उनका सर्वनाश कर।

8) मैं तुझे उदार बलिदान चढ़ाऊँगा। मैं तेरा नाम धन्य कहूँगा, क्योंकि वह भला है।

9) उसने मुझे हर संकट में उबारा और मैं अपने शत्रुओं का डट कर सामना करता हूँ।



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