📖 - स्तोत्र ग्रन्थ

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अध्याय 82

1) ईश्वर स्वर्गसभा में उठ खड़ा हुआ है। वह देवताओं के बीच न्याय करता है।

2) "तुम कब तक दोषियों का पक्ष लेकर अन्यायपूर्ण निर्णय देते रहोगे?

3) निर्बल और अनाथ की रक्षा करो; दरिद्र और दीन-हीन को न्याय दिलाओ।

4) निर्बल और दरिद्र का उद्धार करो; उन्हें दुष्टों के पंजे से छुड़ाओ।

5) "वे न तो जानते हैं और न समझते हैं; वे अन्धकार में भटकते रहते हैं। पृथ्वी के सब आधार डगमगाने लगे हैं।

6) मैं तुम से कहता हूँ कि तुम देवता हो, सब-के-सब सर्वोच्च ईश्वर के पुत्र हो।

7) तब भी तुम मनुष्यों की तरह मरोगे; शासकों की तरह ही तुम्हारा सर्वनाश होगा।"

8) ईश्वर! उठ और पृथ्वी का न्याय कर, क्योंकि समस्त राष्ट्र तेरे ही हैं।



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