📖 - स्तोत्र ग्रन्थ

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अध्याय 98

1) प्रभु के आदर में नया गीत गाओ, उसने अपूर्व कार्य किये हैं। उसके दाहिने हाथ, उसकी पवित्र भुजा ने विजय पायी है।

2) प्रभु ने अपना मुक्ति-विधान प्रकट किया। उसने राष्ट्रों के लिए अपना न्याय प्रदर्शित किया है।

3) उसने अपनी प्रतिज्ञा का ध्यान कर इस्राएल के घराने की सुध ली है। पृथ्वी के कोने-कोने में हमारे ईश्वर का मुक्ति-विधान प्रकट हुआ है।

4) समस्त पृथ्वी प्रभु का जयकार करे और आनन्द मनाते हुए भजन गाये।

5) वीणा बजाते हुए प्रभु के आदर में भजन गा कर सुनाओ।

6) तुरही और नरसिंघा बजाते हुए अपने प्रभु-ईश्वर का जयकार करो।

7) समुद्र की लहरें गरजने लगें; पृथ्वी और उसके निवासी जयकार करें;

8) नदियाँ तालियाँ बजायें और पर्वत आनन्दित हो उठें;

9) क्योंकि प्रभु पृथ्वी का न्याय करने आ रहा है। वह न्यायपूर्वक संसार का शासन करेगा। वह निष्पक्ष हो कर राष्ट्रों का न्याय करेगा।



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