📖 - प्रवक्ता-ग्रन्थ (Ecclesiasticus)

अध्याय ➤ 01- 02- 03- 04- 05- 06- 07- 08- 09- 10- 11- 12- 13- 14- 15- 16- 17- 18- 19- 20- 21- 22- 23- 24- 25- 26- 27- 28- 29- 30- 31- 32- 33- 34- 35- 36- 37- 38- 39- 40- 41- 42- 43- 44- 45- 46- 47- 48- 49- 50- 51- मुख्य पृष्ठ

अध्याय 08

1) शक्तिशाली मनुष्य का विरोध मत करो- कहीं ऐसा न हो कि तुम उसके हाथों पड़ जाओ।

2) धनी व्यक्ति से झगड़ा मत करो- कहीं ऐसा न हो कि वह तुम पर हावी हो जाये।

3) सोने ने बहुत लोगों का विनाश किया है और चाँदी ने राजाओें का हृदय भटकाया है।व 4) बकवादी से वादविवाद मत करो: आग पर लकड़ी मत रखो।

5) अशिक्षित व्यक्ति के साथ मजाक मत करो, जिससे तुम्हारे पूर्वजों पर कलंक न लगे।

6) पश्चाताप करने वाले पापी की निन्दा मत करो; याद रखो कि हम सब दण्ड के योग्य हैं।

7) बृद्ध मनुष्य का तिरस्कार मत करो, क्येांकि हम भी बूढ़े बन रहे हैं।

8) किसी की मृत्यु पर आनन्द मत मनाओ। याद रखो कि हम सब को मरना है।

9) ज्ञानियों की बातों का तिरस्कार मत करो और उनकी सूक्तियों पर विचार करो;

10) क्योंकि तुम उन से ज्ञान प्राप्त करोगे और बड़ों की सेवा की शिक्षा भी।

11) वृद्धों की बातों का तिरस्कार मत करो; क्योंकि उन्हें भी अपने पूर्वजों से शिक्षा मिली।

12) तुम उन से ज्ञान प्राप्त करोगे और उपयुक्त उत्तर देने की शिक्षा भी।

13) पापी की क्रोधाग्नि मत भड़काओे, नहीं तो उसकी ज्वाला में भस्म हो जाओगे।

14) उपहासक का सामना मत करो, नहीं तो वह तुम को तुम्हारी बात के फन्दे में फॅसायेगा।

15) अपने से शक्तिशाली व्यक्ति को रुपया उधार मत दो। यदि उधार दोगे, तो अपना रुपया खोया समझो।

16) अपनी शक्ति से परे जमानत मत दो। यदि ऐसा करते हो, तो समझो कि उसे तुम्हें चुकाना पड़ेगा।

17) न्यायाधीश पर मुकदमा मत चलाओे; क्योंकि उसकी प्रतिष्ठा निर्णय को प्रभावित करेगी।

18) दुःसाहसी व्यक्ति के साथ कहीं मत जाओ: उसके कारण तुम पर घोर विपत्ति पड़ सकती है; क्योंकि वह किसी की बात नहीं सुनेगा और उसकी मूर्खता के कारण तुम्हारा भी विनाश हो जायेगा।

19) क्रोधी व्यक्ति से झगड़ा मत करो और उसके साथ मरुभूमि मत पार करो; क्योंकि रक्तपात उसके लिए साधारण सी बात है। जहाँ तुम्हें सहायता नहीं मिल सकेगी, वहाँ वह तुम पर टूट पड़ेगा।

20) मूर्ख से परामर्श मत करो; क्येांकि वह तुम्हारी बात छिपाये नहीं रख सकता।

21) अपरिचित के सामने कोई ऐसा काम मत करो, जिसे तुम गुप्त रखना चाहते हो; क्योंकि तुम नहीं जानते कि इसका परिणाम क्या होगा।

22) हर किसी के सामने अपना हृदय मत खोलो और इस प्रकार लोकप्रिय बनने का प्रयत्न मत करो।



Copyright © www.jayesu.com