📖 - इसायाह का ग्रन्थ (Isaiah)

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अध्याय 56

1) प्रभु यह कहता है- “न्याय बनाये रखो- और धर्म का पालन करो; क्योंकि मेरी मुक्ति निकट है और मेरी न्यायप्रियता शीघ्र ही प्रकट हो जायेगी।

2) धन्य है वह मनुष्य, जो धर्माचरण करता है और उस में दृढ़ रहता हैं; जो विश्राम-दिवस को अपवित्र नहीं करता और हर प्रकार का पाप छोड़ देता है!’

3) परदेशी का जो पुत्र प्रभु का अनुयायी बन गया है, वह यह न कहे कि प्रभु मुझे अपनी प्रजा से अवश्य अलग कर देगा और खोजा यह न कहे कि मैं सूखा हुआ वृक्ष हूँ;

4) क्योंकि प्रभु यह कहता हैः “जो ख़ोजे मेरे विश्राम-दिवस पवित्र करते, मेरी इच्छा के अनुसार चलते और दृढ़तापूर्वक मेरे विधान का पालन करते हैं,

5) मैं अपने मन्दिर और अपने नगर में एक स्मारक पर उनके नाम अंकित करूँगा, जो पुत्रों और पुत्रियों की अपेक्षा श्रेष्ठ हैं। मैं उन्हें एक चिरस्थायी नाम प्रदान करूँगा, जिसका अस्तित्व सदा बना रहेगा।

6) “जो विदेशी प्रभु के अनुयायी बन गये हैं, जिससे वे उसकी सेवा करें, वे उसका नाम लेते रहें और उसके भक्त बन जायें और वे सब, जो विश्राम-दिवस मनाते हैं और उसे अपवित्र नहीं करते-

7) मैं उन लोगों को अपने पवित्र पर्वत तक ले जाऊँगा। मैं उन्हें अपने प्रार्थनागृह में आनन्द प्रदान करूँगा। मैं अपनी बेदी पर उनके होम और बलिदान स्वीकार करूँगा; क्योंकि मेरा घर सब राष्ट्रों का प्रार्थनागृह कहलायेगा।“

8) बिखरे हुए इस्राएलियों को एकत्र करने वाला प्रभु-ईश्वर यह कहता है, “एकत्र किये हुए लोगों के सिवा मैं दूसरों को भी एकत्र करता जाऊँगा“।

9) मैंदान और वन के सब पशुओ! आओ और खा कर तृप्त हो जाओ।

10) इस्राएल के पहरेदार अन्धे हैं। उन में ज्ञान का अभाव है। वे गूँगे कुत्ते हैं, जो भौंक नहीं सकते। वे स्वप्न देखते हुए पड़े रहते हैं। उन्हें नींद सब से अधिक प्यारी है।

11) किन्तु वे ऐसे पेटू कुत्ते हैं, जिनका पेट कभी नहीं भरता। वे बेसमझ चरवाहे हैं, जो अपने-अपने रास्ते चलते, जिन्हें केवल अपने ही लाभ की चिन्ता है।

12) सब कहते हैं, “आओ, हम अंगूरी ले आयें, हम पी कर छक जायें। आज की तरह हम कल भी यही करें, अंगूरी की कोई कमी नहीं है!“



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