📖 - यिरमियाह का ग्रन्थ (Jeremiah)

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अध्याय 51

1) प्रभु यह कहता है: “देखो, मैं बाबुल के विरुद्ध खल्दैयावासियों के विरुद्ध एक विनाशकारी बवण्डर उठाऊँगा।

2) मैं ओसाने वालों को बाबुल भेजूँगा और वे उस को ओसायेंगे और जब उसके संकट के दिन वे उसे हर ओर से घेंरेगे, तो उसका देश ख़ाली कर देंगे।

3) धनुर्धर को अपना धनुष मत तानने दो और उसे अपना कवच पहन कर खडा मत होने दो। उसके नवयुवकों को जीवित मत छोड़ो। उसकी समस्त सेना का विनाश कर दो।

4) वे खल्दैयियों के देश में मारे जा कर और उसकी सड़कों पर घायल हो कर गिर जायेंगे;

5) क्योंकि इस्राएल और यूदा का परित्याग उनके ईश्वर, विश्वमण्डल के प्रभु ने नहीं किया है, बल्कि खल्दैयियों का देश इस्राएल के परमपावन के विरुद्ध किये गये पापों से भर गया है।

6) “बाबुल से भाग जाओ। हर आदमी अपने प्राणों की रक्षा करे। उसके दण्ड में अपना विनाश मत होने दो; क्योंकि यह घड़ी प्रभु के प्रतिशोध की है। वह उस से बदला चुका रहा है।

7) प्रभु के हाथें में बाबुल सोने का एक प्याला था, जो समस्त पृथ्वी को मतवाला बना देता था। राष्ट्रों ने उसकी मदिरा पी थी, इसलिए राष्ट्र पागल हो गये थे।

8) बाबुल अचानक गिर पड़ा है और चकनाचूर हो गया है। उसके लिए विलाप करो। उसके दर्द के लिए मरहम लाओ। हो सकता हैं, वह चंगा हो जाये।

9) हम बाबुल को चंगा करना चाहते थे, लेकिन वह चंगा नहीं हुआ। उसे छोडो; हम चलें- हर आदमी अपने-अपने देश चले; क्योंकि उसक दण्ड आसमान छू रहा है, वह आकाश तक पहुँच गया है।

10) प्रभु ने हमारी धार्मिकता प्रकट कर दी है। आओ, हम सियोन में अपने प्रभु-ईश्वर के कार्य का बखान करें।

11) “तीर तेज कर लो। अपनी ढाल उठा लो। प्रभु ने मेदिया के राजाओं को उत्तेजित कर दिया है; क्योंकि उसका उद्देश्य बाबुल का विनाश करना है। यह प्रभु का प्रतिशोध है, उसके मन्दिर का प्रतिशोध।

12) बाबुल के प्राचीरों के विरुद्ध झण्डा उठा लो, पहरा कड़ा कर दो। पहरेदारों को नियुक्त करो, घात से आक्रमण की तैयारी करो; क्योंकि प्रभु ने यह योजना बना ली और वह कर दिया है, जो वह बाबुल के निवासियों के विषय में बोला था।

13) तुम, जो अनेकानेक जलाशयों के किनारे रहते हो, जो धनकोषों से परिपूर्ण हो! तुम्हारा अन्त आ गया है, तुम्हारी लूट के धन का अन्त है।

14) विश्वमण्डल के प्रभु ने अपनी शपथ खायी हैः ’मैं तुम्हें टिड्डों की तरह लोगों से भर दूँगा और वे तुम पर जयघोष करेंगे’।

15) “यह वही है, जिसने अपने सामर्थ्य से पृथ्वी बनायी, जिसने अपनी प्रज्ञा से संसार को उत्पन्न किया और अपने विवेक से आकाश फैलाया।

16) जब वह गरजता है, तो आकाश से मूसलाधार वर्षा होती है। वह पृथ्वी के सीमान्तों से बादल बुलाता है। वह वर्षा के साथ बिजली चमकाता और अपने भण्डारों से पवन बहाता है।

17) मनुष्य चकित रह जाते और नहीं समझ पाते हैं। सोनार अपनी मूर्ति पर लज्जित है। उसकी मूर्तियाँ मिथ्या हैं। उन में प्राण नहीं हैं।

18) वे असार हैं और उपहास के पात्र है। दण्ड का समय आने पर वे नष्ट हो जायेंगी।

19) किन्तु याकूब का ईश्वर ऐसा नहीं है। वह सभी वस्तुओं की सृष्टि करता है और इस्राएल उसकी अपनी विरासत है। उसका नाम सर्वशक्तिमान् प्रभु है।

20) “तू ही मेरा हथौड़ा और युद्धास्त्र है। मैं तुझ से राष्ट्रों को तोड़ता हूँ। मैं तुझ से राज्यों का विनाश करता हूँ।

21) मैं तुझ से घोड़े और सवार को तोड़ता हूँ। मैं तुझ से रथ और रथारोही को तोड़ता हूँ।

22) मैं तुझ से पुरुष और स्त्री को तोड़ता हूँ। मैं तुझ से बूढे़ और जवान को तोड़ता हूँ। मैं तुझ से युवक और युवती को तोड़ता हूँ।

23) मै तुझ से चरवाहे और रेवड़ को तोड़ता हूँ। मैं तुझ से किसान और उसके बैलों को तोड़ता हूँ। मैं तुझ से क्षतप्रों और सेनापतियों को तोड़ता हूँ।

24) मैं बाबुल और खल्दैयिा के सभी निवासियों को उन सब अपराधों के लिए, जो उन्होंने सियोन के विरुद्ध किये गये हैं, तुम लोगों की आँखों के सामने दण्ड दूँगा। यह प्रभु की वाणी है।

25) विनाशकारी पर्वत, जो सारी पृथ्वी का संहार करते हो! देखों, मैं तुम्हारे विरुद्ध हो गया हूँ।“ यह प्रभु की वाणी है। “मैं अपनी भुजा तुम्हारी ओर बढ़ाऊँगा और तुम्हें शिखरों पर से नीचे लुढकाऊँगा और तुम को जला हुआ पर्वत बना दूँगा।

26) तुम में से एक भी पत्थर न तो कोने के लिए और न एक भी पत्थर नींव के लिए लिया जायेगा, बल्कि तुम सदा के लिए उजाड़ हो जाओगे।“ यह प्रभु की वाणी है।

27) “एक झण्डा भूमि पर गाड़ दो। राष्ट्रों में तुरही बजा दो। उसके विरुद्ध राष्ट्रों को अर्पित करो। उसके विरुद्ध राज्यों को आह्वान करो- अराराट, मिन्नी और अशकेनज़ का। उसके विरुद्ध सेनानायक नियुक्त करो; घोड़ों को झलमल टिड्डियों की तरह उस पर आक्रमण करने दो।

28) उसके विरुद्ध राष्ट्रों को अर्पित करो- अपने क्षतप्रों और अधिपतियों और अपने राज्य के प्रत्येक देश के साथ मोदिया के राजाओं को।

29) भूमि काँपती और छटपटाती है; क्योंकि बाबुल के विषय में प्रभु की योजनाएँ पूरी हो रही हैं, बाबुल देश को उजाड़ और निर्जन बनाने की।

30) बाबुल के योद्धाओं ने लडाई छेड़ दी है। वे अपने दुर्गों में छिप गये हैं। उनका साहस छूट गया है। वे स्त्रियों-जैसे हो गये हैं। उसके घर जल रहे हैं। उसके फाटकों की अर्गलाएँ टूट गयी हैं।

31) एक संन्देशवाहक दूसरे सन्देशवाहक से मिलने के लिए दौड़ रहा है और एक दूत दूसरे दूत से मिलने के लिए, दौड़ रहा है, जिससे वह बाबुल के राजा को यह सूचना दे कि उसके नगर पर चारों ओर से अधिकार कर लिया गया हैं,

32) घाटों पर अधिकार कर लिया गया है, बुर्जों में आग लगा दी गयी है और सैनिकों में भगदड़ मची हुई है;

33) क्योंकि विश्वमण्डल का प्रभु, इस्राएल का ईश्वर यह कहता हैः “बाबुल की पुत्री दाँवनी के समय के खलिहान-जैसी हो गयी है; जब कि कुछ ही घड़ी बीतने को है और उसकी कटनी का समय आ जायेगा’।“

34) “बाबुल का राजा नबूकदनेज़र मुझे खा गया है। वह मुझे निगल गया है। उसने मुझे ख़ाली बरतन बना दिया है। वह मुझे पंखदार सर्प की तरह निगल गया है। उसने मेरे स्वादिष्ट मांस से अपना पेट भर लिया है और मुझे उगल दिया है।

35) सियोन के निवासी यह कहें- ’मुझ पर और मेरे कुटुम्बियों पर किया गया अत्याचार बाबुर के सिर पड़े! येरूसालेम यह बोले- ’मेरा रक्त खल्दैयावासियों के सिर पडे!“

36) इसलिए प्रभु यह कहता हैः “देखों, मैं तुम्हारा पक्ष लूँगा और तुम्हारा बदला चुकाऊँगा। मैं उसका समुद्र सुखा दूँगा और उसका जलस्रोत सूखने दूँगा;

37) और बाबुल खँडहरों का ढेर हो जायेगा, गीदड़ों की माँद, विनाश और उपहास का पात्र। वहाँ कोई नहीं रहेगा।

38) वे मिल कर युवा सिंहों की तरह गरजेंगे, शेरनी के बच्चों की तरह गुर्रायेंगे।

39) जब वे उत्तेजित होंगे, तो मैं उनके लिए भोजन तैयार करूँगा और उन्हें इतना अधिक पिलाऊँगा कि वे उन्मत्त हो जायेंगे और चिरनिद्रा में सो जायेंगे और कभी नहीं जगेंगे। यह प्रभु की वाणी है।

40) मैं उन को मेमनों की तरह, मेढों और बकरों की तरह कसाईखाना ले जाऊँगा।

41) “शेशक किस तरह अधिकार में आ गया है, समस्त पृथ्वी का गौरव पराजित हो गया है! बाबुल किस तरह राष्ट्रों के बीच आतंक का पात्र बन गया है!

42) समुद्र बाबुल पर चढ़ आया है, वह गरजती लहरों से ढँक गया है।

43) उसके नगर उजाड़ हो गये हैं। वह निर्जल देश और मरूभूमि बन गया है, वह देश, जहाँ कोई नहीं रहता और जिस से हो कर कोई नहीं जाता।

44) “मैं बाबुल में बेल को दण्ड दूँगा और उसने जो निगला है, उसके मुँह से उगलवाऊँगा। राष्ट्र उसके पास फिर कभी भीड़ नहीं लगायेंगे। बाबुल की चारदीवारी ढह गयी है।

45) मेरी प्रजा! उसके यहाँ से बाहर चली जाओ। हर व्यक्ति प्रभु के प्रचण्ड क्रोध से अपने प्राणों की रक्षा करे।

46) देश में सुनी गयी अफ़वाह से- जब एक वर्ष एक अफ़वाह फैलती हो और फिर दूसरे वर्ष दूसरी अफ़वाह, और देश में हिंसा छा गयी हो और एक शासक दूसरे शासक के विरुद्ध हो गया हो, तो हिम्मत मत हारो, भयभीत मत हो।

47) “किन्तु देखो, वे दिन आयेंगे, जब मैं बाबुल की देवमूर्तियों को दण्ड दूँगा। उसका सारा देश अपमानित किया जायेगा और उसके सभी मारे हुए लोग उसके भीतर गिर कर पड़े रहेंगे।

48) तब आकाश और पृथ्वी और जो कुद उन में है, बाबुल की दशा पर प्रसन्न हो कर गाने लगेंगे; क्योंकि उसका विनाश करने वाले उस पर आक्रमण करने के लिए उत्तर से आयेंगे। यह प्रभु की वाणी है।

49) इस्राएल के मारे हुए लोगों के कारण बाबुल का निश्चय ही पतन होगा, जैसे बाबुल के कारण पुथ्वी भर के मारे हुए लोग नीचे गिरे थे।

50) तुम लोग, जो तलवार से बच निकले हो, चलते रहो, मत रुको। दूर रह कर भी प्रभु का स्मरण करते रहो और अपने मन में येरूसालेम की याद बनाये रहो।

51) हम लज्जित थे, क्योंकि हम अपमानित हुए थे। हमारा चेहरा शर्म से भर गया था; क्योंकि प्रभु के मन्दिर के पवित्र स्थानों में विदेशियों ने प्रवेश किया था।“

52) प्र्रभु कहता हैः “किन्तु देखो, वे दिन आ रहे हैं, जब मैं उसकी देवमूर्तियों को दण्ड दूँगा और उसके देश भर में घायलों की कराह सुनाई देगी।

53) भले ही बाबुल आकाश तक पहुँच जाये, भले ही वह अपनी ऊँची चारदीवारी को दुर्गम बना ले, तब भी मेरे भेजे हुए विनाशकर्ता उस पर आक्रमण करने आयेंगेे। यह प्रभु की वाणी है।

54) “सुनो-बाबुल से आने वाला चीत्कार! खल्दैयियों के देश से महाविध्वंस का कोलाहल!

55) क्योंकि प्रभु बाबुल को उजाड़ रहा है और उसकी ऊँची बोली बन्द कर रहा है। उसकी तरंग अनेक जलधाराओं की तरह गरज रही है, उसकी ध्वनियों का कोलाहल बढ़ गया है;

56) क्योंकि उस पर, बाबुल पर एक विनाशकर्ता चढ़ आया है। उसके योद्धा बन्दी बना लिये गये हैं, उनके धनुष तोड़ दिये गये हैं; क्योंकि प्रभु प्रतिफल देने वाला ईश्वर है। वह निश्चय ही बदला चुकायेगा।

57) मैं उसके राज्यपालों और बुद्धिमानों को, उसके क्षतप्रों, उसके पदाधिकारियों और उसके सौनिकों को मदमत्त बना दूँगा। वे चिरनिद्रा में सो जायेंगे और फिर नहीं जगेंगे। यह उस राजा की वाणी है, जिसका नाम विश्वमण्डल का प्रभु है।“

58) विश्वमण्डल का प्रभु यह कहता हैः “महान् बाबुल की चारदीवारी तोड़ दी जायेगी और उसके ऊँचे प्रवेशद्वार जला दिये जायेंगे। इस प्रकार लोगों ने व्यर्थ ही परिश्रम किया होगा। राष्ट्रों को थकाने वाला परिश्रम जल कर भस्म हो जायेगा।“

59) यह वह आदेश है, जो नबी यिरमियाह ने महसेया के बेटे नेरीया के पुत्र सराया को उस समय दिया था, जब वह यूदा के राजा सिदकीया के साथ, उसके राज्य के चैथे वर्ष, बाबुल गया था। सराया उसका प्रधान प्रबंधक था।

60) यिरमियाह ने बाबुल पर आने वाली सभी विपत्तियों को एक-पुस्तक में लिख लिया था- उन सारी बातों को, जो बाबुल के विषय में लिखी है।

61) यिरमियाह ने सराया से यह कहा था, जब तुम बाबुल पहुँचोगे, तो तुम ये सभी बातें पढ़ कर सुना दोगे।

62) और यह बोलोगे- प्रभु! तूने इस स्थान के विषय में कहा है कि इसका इस प्रकार विनाश हो जायेगा कि इस में मनुष्य या पशु, कोई भी निवास नहीं करेगा और यह सब दिनों के लिए उजाड़ हो जायेगा’।

63) यह पुस्तक पढ़ कर समाप्त करने के बाद तुम इस में एक पत्थर बांध दोगे और इसे फ़रात में फेंक दोगे

64) तथा यह कहोगे, ’इसी तरह बाबुल भी डूब जायेगा और मैं इस पर जो विपत्ति ढाने जा रहा हूँ, उसके कारण यह फिर कभी ऊपर नहीं उठेगा’।“ यहाँ तक यिरमियाह के वचन।



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