📖 - दानिएल का ग्रन्थ (Daniel)

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अध्याय 05

1) राजा बेलशस्सर ने अपने एक हज़ार सामन्तों को एक बड़ा भोज दिया।

2) वह उन हजार अतिथियों के साथ अंगूरी पी रहा था और उसकी अंगूरी के नशे में सोने और चांदी के वे पात्र ले आने का आदेश दिया, जिन्हें उसके पिता नबूकदनेज़र ने येरूसालेम के मंदिर से चुरा लिया था। वह अपने सामन्तों, आपनी पत्नियों और उपपत्नियों के साथ उन में पीना चाहता था।

3) इसलिए येरूसालेम के मंदिर से चुराये हुए सोने और चाँदी के पात्र लाये गये और राजा अपने सामन्तों, अपनी पत्नियों और उपपत्नियों के साथ उन में पीने लगा।

4) अंगूरी पीते समय वे सोने, चाँदी, पीतल, लोहे, लकड़ी और पत्थर के देवताओं की प्रशंसा करते जाते थे।

5) उस समय एक मनुष्य के हाथ की ऊँगलियाँ दिखाई पड़ी और वे दीपाधार के सामने, राजभवन की पुती हुई दीवार पर कुछ लिखने लगी। राजा ने लिखने वाला हाथ देखा।

6) उसका रंग उड़ गया, वह बहुत घबराया, उसके पैर काँपने और उसके घुटने एक दूसरे से टकराने लगे।

7) राजा तान्त्रिकों, खल्दैयियों और ज्योतिशियों को बुला लाने के लिए जोर से चिल्ला उठा। बाबुल के विद्वानों को सम्बोधिक करते हुए कहा उसने कहा, "जो यह लेख पढ़ लेगा और उसका अर्थ बता सकेगा, मैं उसे राजसी वस्त्रों से सम्मानित करूँगा, उसके गले में सोने का हार पहनाऊँगा और राज्य में तृतीय स्थान प्रदान करूँगा।''

8) तब राज्य के सभी विद्वान उपस्थित हुए, किन्तु वे न तो लेख पढ़ सके और न उसका अर्थ बता सके।

9) इस पर राजा बेलशस्सर और अधिक घबरा गया और उसका चेहरा पीला पड़ गया। उसके सामन्त भी किंकर्तव्यविमूढ़ हो गये।

10) राजा और सामन्त आपस में बातचीत कर ही रहे थे राजमाता भोजन-कक्ष में पहुँची। वह बोली, ’महाराज चिरायु हो! आप क्यों घबरा रहे हैं? आपके चेहरे का रंग इतना फीका क्यों है?

11) आपके राज्य में एक मनुष्य ऐसा है, जिस में सर्वोच्य ईश्वर का आत्मा विद्यमान है। आपके पिता के समय वह अपनी प्रखर बुद्धि और देवताओं-जैसी विवेक-शक्ति के कारण प्रसिद्ध था। आपके पिता, राजा नबूकदनेज़र ने उसे जादूगरों, ओझाओं, खल्दैयियों और ज्योतिशियों का अध्यक्ष बना दिया था।

12) आपके पिता ने उसके दिव्य ज्ञान के कारण उसे बेल्टशस्सर नाम दे दिया था। उसे विद्या और विवेक, स्वप्नों का अर्थ बताने की कला, पहेलियों को समझने की शक्ति और समस्याओं का समाधान करने का सामर्थ्य प्राप्त हैं। दानिएल को बुलाया जाये, जिससे वह लेख का अर्थ बताये।’

13) जब दानिएल राजा के सामने लाया गया, तो राजा ने उस से कहा, "क्या तुम दानिएल हो, यूदा के उस निर्वासितों में से एक, जिन्हें राजा, मेरे पिता, यूदा से ले आये थे?

14) मैंने तुम्हारे विषय में सुना है कि देवताओं का आत्मा तुम में विद्यमान है और यह कि तुम अंर्तज्योति, विवेक और असाधारण प्रज्ञा से सम्पन्न हो।

15) देखो, विद्वान, ओझा यह लेख पढ़ने और इसका अर्थ बताने के लिए मेरे सामने बुलाये गये हैं, किन्तु वे उसकी विषय-वस्तु का अर्थ बताने में असफल रहे।

16) लोगों ने तुम्हारे विषय में मुझे बताया है कि तुम स्वप्नों की व्याख्या कर सकते और समस्याओं को सुलझा सकते हो। यदि तुम यह लेख पढ़ कर इसका अर्थ समझाा सकते हो, तो तुम बैंगनी वस्त्र पहनोगे, गले में सोने का हार धारण करोगे और राज्य के तीसरे स्थान पर विराजमान होगे।''

17) दानिएल ने राजा को यह उत्तर दिया, "आप अपने उपहार अपने ही पास रखें और दूसरों को अपने पुरस्कार प्रदान करें। फिर भी मैं राजा के लिए यह लेख पढूँगा और उन्हें इसका अर्थ समझाऊँगा।

18) राजा! सर्वोच्य ईश्वर ने आपके पिता नबूकदनेज़र को राजत्व, महानता, कीर्ति और वैभव प्रदान किये थे।

19) ईश्वरप्रदत्त महानता के कारण सब भाषा-भाषी जातियाँ और राष्ट्र उस से थरथर काँपते और डरते थे। वह जिसे चाहता उसका वध करता और जिसे चाहता, उसे जीवित रहने देता। वह जिसे चाहता, उसे ऊपर उठाता और जिसे चाहता, उसे नीचे गिराता।

20) किन्तु उसका मन अहंकार से फूल उठा और उसका हृदय कठोर हो गया तथा उसका व्यवहार उद्धत हो गया। तब वह राजसिंहासन से उतार दिया गया और उसका ऐश्वर्य उस से छीन लिया गया।

21) वह मानव-समाज से बहिष्कृत हो कर पशु की तरह व्यवहार करने लगा। वह जंगली गधों के साथ रहता और बैल की तरह घास खाता तथा उसका शरीर ओस से भीगा रहता था। यह सब तब तक होता रहा, जब तक उसे अनुभव नहीं हुआ कि सर्वोच्य ईश्वर का मनुष्यों के राज्य पर अधिकार है और वह जिसे चाहे उस पर नियुक्त कर सकता है।

22) किंतु आप, उसके पुत्र बेलशस्सर ने यह सब जानते हुए भी अपना हृदय विनम्र नहीं बनाया,

23) बल्कि आपने स्वर्ग के प्रभु का विरोध किया। आपने उसके मंदिर के पात्र लाने का आदेश दिया; आपने अपने सामन्तों, अपनी पत्नियों और उपपत्नियों के साथ उन में अंगूरी का पान किया; आपने सोने, चांदी, पीतल, लोहे, लकड़ी और पत्थर के उन देवताओं की प्रशंसा की, जो न तो देखते हैं, न सुनते और न समझते हैं'। आपने इस ईश्वर की स्तुति नहीं की, जिसके हाथ में आपके प्राण और समस्त जीवन निहित हैं।

24) इसलिए उसने यह हाथ भेज कर यह लेख लिखवाया।

25) यह लेख इस प्रकार है- मने, मने, तकेल, और फरसीन।

26) इन शब्दों का अर्थ इस प्रकार है। मनेः ईश्वर ने आपके राज्य के दिनों की गिनती की और उसे सामप्त कर दिया।

27) तकेलः आप तराजू प तौले गये और आपका वजन कम पाया गया।

28) फरसीनः आपका राज्य विभाजित हो कर मेदियों और फारसियों को दे दिया गया है।"

29) तब बेलशस्सर की आज्ञा से दानिएल पर राजसी वस्त्री पहनाये गये, उसके गले में सोने का हार डाला गया और उसके विषय में यह घोषणा करायी गयी कि उसका पद राज्य में तीसरे शासक का होगा।

30 (30-31) उसी राज को खल्दैयियों के राजा बेलशस्सर की हत्या हो गयी



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