📖 - दानिएल का ग्रन्थ (Daniel)

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अध्याय 08

1) राजा बेलशस्सर के शासन के तीसरे वर्ष मुझ दानिएल को पहले दिव्य दृश्य के समान एक दूसरा दिव्य दृश्य दिखाई पड़ा। उस समय मैं एलाम प्रांत की राजधानी सूसा में था।

2) इस दिव्य दृश्य में ऊलय नदी के तट पर खड़ा था

3) कि आंखें उठाने पर मुझे अपने और पानी के बीच एक दो सींग वाला मेढा दिखाई दिया। दोनों सींग ऊँचे थे, किन्तु एक की ऊँचाई दूसरे से अधिक थी और जो अधिक ऊँचा था, वह दूसरे के पीछे था।

4) मैंने मेढे को पश्चिम, उत्तर और दक्षिण की ओर टक्कर मारते देखा। उसका सामना कोई जानवर नहीं कर सका, न ही उसकी शक्ति से कोई भी बच सका। वह जो चाहता, वही करता और बल का प्रदर्शन करता।

5) मैं इस पर सोच ही रहा था कि सारी धरती की सतह पर से होता हुआ पश्चिम से एक बकरा आ पहुँचा। बकरे की आखों के बीचोंबीच एक बहुत लम्बा सींग था।

6) मैंने जो दो सींग वाला मेढा नदी के तट पर देखा था,

7) वह उसके पास आ कर भारी क्रोध से उस पर झपटा। मैंने उसे मेढे पर आक्रमण करते देखा। उसने बड़े क्रोध से मेढे पर टक्कर मारी, जिससे मेढे के दोनों सींग टूट गये। मेढ़े में उसका सामना करने की शक्ति नहीं रह गयी। बकरे ने उसे जमीन पर पटक दिया और उसे रौंद डाला। मेढ़े को बचाने वाला कोई नहीं था।

8) इसके बाद बकरे ने अपनी शक्ति का विस्मयजनक प्रदर्शन किया। किन्तु जब वह अपनी शक्ति की चरमसीमा पर पहुँचा, उसका बडा सींग टूट गया और उसके स्थान पर चार दिशाओं की ओर सकेंत करने वाले चार विचत्रि सींग उग गये।

9) एक सींग से एक छोटा सींग निकला, जो दक्षिण और पूर्व तथा महिमामय भूमि की ओर संकेत करते हुए बल प्रदर्शित करने लगा।

10) उसने आगे बढते हुए स्वर्ग की सेना पर चढाई की और उसका एक बड़ा भाग पटक कर तारामण्डल के बड़े भाग को भी गिराया और उसे पददलित किया।

11) उसने स्वार्गिक सेना के प्रभु पर भी चढाई की, दैनिक होम-बलियाँ छीन ली और पवित्र मंदिर को ढहाया।

12) स्वर्ग की सेना भी परास्त हो गयी और साथ ही अधर्म ने होम-बलि का स्थान ले लिया और इस तरह सत्य धूल में मिल गया। यही सींग की विजय थी।

13) तब मैंने न जाने किस स्वार्गिक प्राणी को दूसरे से बोलते सुना, "यह कब तक रहेगा? दैनिक होम-बलि कब तक बन्द होगी? यह विध्वंसकारी अधर्म कब तक बना रहेगा? स्वार्गिक सेना और पवित्र मन्दिर और महिमा-मय भूमि कब तक पददलित रहेंगे?" उत्तर मिला,

14) "जब तक दो हज़ार तीन सौ साँझ और भोर न बीत जायें। उसके बाद पवित्र स्थान की पुनः प्रतिष्ठा होगी।

15) यह दिव्य दृश्य देखकर मैं उसका अर्थ समझने का प्रयत्न कर ही रहा था कि एकाएक कोई, जिसकी आकृति मनुष्य-जैसी थी, मेरे सामने आ कर खड़ा हो गया।

16) उसी समय ऊलय नदी के उस पार से मनुष्य का स्वर सुनाई पड़ा "गाब्रिएल! इस मनुष्य को दिव्य दृश्य का अर्थ बताइए"।

17) वह पास आया और उसके पहुँचते ही मैं भयभीत हो कर मुँह के बल गिर पड़ा। उसने मुझ से कहा, "मानवपुत्र! समझ लो कि यह दिव्य दृश्य अंतिम युग के विषय में है"।

18) वह मुझ से बोल ही रथा था कि मैं बेहोश हो कर ज़मीन पर गिर पड़ा; परन्तु उसने मुझे उठा कर खड़ा कर दिया।

19) उसने मुझ से कहा, "देखो, मैं तुम को विपत्ति काल के अंत के विषय में बताऊँगा। ईश्वर ने उसका अंत निर्धारित किया है।

20) जो दो सींग वाला मेढा तुमने देखा था, उसके सींग मेदिया और फ़ारस के राजा हैं।

21) बकरा यूनान का राज्य और आंखों के बीच का सींग उसका पहला राजा है।

22) रहा वह सींग जो टूट गया और जिसके स्थान पर चार अन्य सींग निकले; उस राज्य में से चार अन्य राज्य उभरेंगे, किन्तु वे कम शक्तिशाली होंगे।

23) इन राज्यों के अंतिम दिनों में, जब अधर्म की विजय हो गयी है, एक राजा का उदय होगा, कठोर मुँह एवं तीक्ष्ण बुद्धि वाला।

24) वह महाप्रतापी राजा होगा और घोर विनाश करेगा; वह अपने हर काम में विजयी होगा। वह शक्तिशाली नेताओं को परास्त करेगा और पवित्र प्रजा को सतायेगा।

25) वह अपनी धूर्तता से सब कपटपूर्ण कार्यों में सफल होगा; उसका हृदय घमण्डी हो जायेगा और वह बहुतों का अचानक विनाश कर डालेगा। वह स्वर्ग के प्रभु पर भी धावा बोल देगा, किन्तु वह अन्त में बिना किसी के हाथ लगाये ही टूट जायेगा।

26) भोरों और साँझों का जो तुमने दिव्य दृश्य देखा है और जिसका अर्थ मैं बता चुका हूँ, वह सत्य है। किन्तु तुम उसे गुप्त रखोगे, क्योंकि वह बहुत दिनों के बाद घटित होगा।

27) मैं, दानिएल तो बहुत दुर्बल हो कर कुछ दिनों तक बीमार पड़ा रहा। तब स्वस्थ होने पर मैं पुनः राजकाज में व्यस्त हो गया। किन्तु इस दिव्य दृश्य के कारण मैं अचम्भे में पडा रहा, क्योंकि यह मेरी समझ में नहीं आया।



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