📖 - हग्गय का ग्रन्थ (Haggai)

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अध्याय 01

1) राजा दारा के शासनकाल के दूसरे वर्ष के छठे महीने के प्रथम दिन नबी हग्गय के माध्यम से, शअलतीएल के पुत्र, यूदा के राज्यपाल ज़रूबबाबेल और योसादाक के पुत्र प्रधानयाजक योशुआ को प्रभु की यह वाणी प्राप्त हुईः

2) "यह विश्वमण्डल के प्रभु की वाणी है। यह राष्ट्र कहता है- अभी प्रभु के मन्दिर के पुनर्निर्माण का समय नहीं आया है।

3) किन्तु नबी हग्गय के माध्यम से प्रभु की यह वाणी सुनाई पड़ी-

4) जब यह मन्दिर टूटा-फुटा पडा है, तो क्या यह समय तुम लोगों के लिए अच्छी तरह आच्छादित घरों में रहने का है?

5) इसलिए विश्वमण्डल का प्रभु यह कहता है।

6) तुम अपनी स्थिति पर विचार करो। तुमने बहुत बोया, किन्तु कम लुनते हो; तुम खाते तो हो, किन्तु तुम्हें तृप्ति नहीं मिलती; तुम पीते हो, किन्तु तुम्हारी प्यास नहीं बुझती; तुम कपडे पहनते हो, किन्तु तुम्हारा शरीर गरम नहीं रहता; मज़दूर अपना वेतन तो पाता है, किन्तु उसे छेद वाली थैली में रखता है।

7) "विश्वमण्डल का प्रभु यह कहता हैं: तुम अपनी स्थिति पर विचार करो।

8) पहाड़ी प्रदेश जा कर लकडी ले आओ और मन्दिर फिर बनाओ। मैं उस से प्रसन्न होऊँगा और उस में अपनी महिमा प्रकट करूँगा।

9) तुमने फसल अधिक पाने की आशा की थी, पर तुम्हें कम मिली और वह भी, जब तुम उसे घर ले जाना चाहते थे, मैंने उस पर फूँक कर उसे झुलसा दिया। तो यह क्यों? विश्वमण्डल का प्रभु यह कहता है कि मेरा मन्दिर ध्वस्त पड़ा हुआ है, जब कि तुम सब अपने अपने मकान बनाने में व्यस्त हो।

10) इसी कारण आकाश वृष्टि थाम रहा है और भूमि अपनी उपज पैदा नहीं करती।

11) इसलिए मैंने देश, पर्वतों, अन्न, अंगूरी, तेल, पृथ्वी की सारी पैदावार, मनुष्यों और पशुओं, और उनके सब कार्यों पर सूखा भेजा दिया है।"

12) जब शअलतीएल के पुत्र ज़रुबबाबेल, योसादाक के पुत्र महायाजक योशुआ तथा अन्य सब लोगों ने अपने प्रभु-ईश्वर की वाणी तथा प्रभु अपने ईश्वर द्वारा भेजे गये नबी हग्गय की बातें सुनीं, तो लोग प्रभु से डरने लेगे।

13) तब प्रभु के भेजे हुए दूत, हग्गय ने लोगों को प्रभु का सन्देश सुनायाः "प्रभु कहता है कि मैं तुम्हारे साथ हूँ"

14) तब प्रभु ने शअलतीएल के पुत्र, यूदा के राज्यपाल ज़रुबबाबेल तथा योसादाक के पुत्र महायाजक योशुआ को और अन्य सभी लोगों को प्रेरणा दे कर प्रोत्साहित किया। वे उपस्थित हुए और विश्वमण्डल के प्रभु के मन्दिर के पुनर्निर्माण का कार्य प्रारंभ किया।

15) छठे महीने के चैबीसवें दिन की तिथि थीं।



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