📖 - ज़कारिया का ग्रन्थ (Zechariah)

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अध्याय 01

1) दारा के दूसरे वर्ष के आठवें महीने में इद्दो के पोते, बेरेक्या के पुत्र नबी ज़कर्या को प्रभु की वाणी प्राप्त हुईः

2) "प्रभु तुम्हारे पूर्वजों से बहुत क्रोधित रहा।

3) लोगों से यह कहोः विश्वमण्डल के प्रभु का कहना है कि मेरे पास लौट आओ- यह विश्वमण्डल के प्रभु की वाणी है- तभी मैं तुम्हारे पास लौटूँगा; यही विश्वमण्डल के प्रभु का कथन है।

4) तुम अपने पूर्वजों के समान मत बने रहो। प्राचीन काल में उन्होंने नबियों की चेतावनी सुनी थी, अपने कुमार्ग और कुकर्म छोड कर मेरे पास लौट आओ’। किन्तु प्रभु का कहना है कि उन्होंने न सुना, न कुछ ध्यान दिया था।

5) अब तुम्हारे वे पूर्वज कहाँ हैं? और क्या वे नबी अब तक जीवित हैं?

6) किन्तु जो चेतावानियाँ और विधान मैंने अपने नबियों के द्वारा दिये थे, क्या वे तुम्हारे पूर्वजों के लिए सच सिद्ध नहीं हुए? उन्होंने तो पछतावा किया और स्वीकार किया कि ’हमारे बुरे चालचलन के कारण जैसा दण्ड विश्वमण्डल के प्रभु ने देने की चेतावनी दी थी, वैसा ही हम को मिल गया है'।''

7) दारा के दूसरे वर्ष के ग्यारहवें महीने, अर्थात् शबाट-मास के चैबीसवें दिन इद्दो के पोते, बेरेक्या के पुत्र नबी ज़कर्या को प्रभु की वाणी प्राप्त हुई।

8) मैंने रात को दिव्य दर्शन देखा। वह यह था। मेंहदी झाड़ियों की घाटी में लाल घोड़े पर एक पुरुष सवार था। उसके पीछे लाल, पिंगल और सफेद घोड़े खडे थे।

9) मैंने पूछा, "प्रभु! यह सब क्या है?" और एक दूत ने मेरा सम्बोधन करते हुए कहा, "मैं अभी तुम्हें बता दूँगा"।

10) तब मेंहदियों के बीच खडा मनुष्य बोला, "प्रभु ने संसार भर में गश्त लगाने के लिए इन्हें भेजा है"।

11) उसके बाद इन्होंने मेंहदी में दर्शन देते हुए प्रभु-ईश्वर के दूत को यह बयान दिया, "हमने समस्त संसार में गश्त लगा कर यह देख लिया कि सर्वत्र शांति है"।

12) तब प्रभु-ईश्वर का दूत बोल उठा, "विश्वमण्डल के प्रभु! पिछले सत्तर वर्षों से तू येरूसालेम और यूदा के नगरों से क्रोधित रहा हैं; कब तक तू निर्दय बना रहेगा?"

13) तब पभु-ईश्वर ने मेरे साथ बात करते हुए दूत को कृपा कर आश्वासन दिया, जिस पर दूत मुझ से बालेा, "यह घोषणा करोः

14) विश्वमण्डल के प्रभु का कहना है कि मैं येरूसालेम और सियोन से अनन्य रूप से प्रेम करता हूँ,

15) किन्तु उन राष्ट्रों से अत्यधिक क्रोधित रहता हूँ, जो ऐश-आराम का जीवन बिताते हैं। कुछ भी हो, येरूसालेम पर मेरा क्रोध थोड़ा था, जब कि ये लोग इसे निर्बाध रूप से नष्ट करते रहे हैं।

16) अतः प्रभु-ईश्वर की वाणी सुनोः अब मैं येरूसालेम पर दयादृष्टि करूँगा; वहाँ मेरे मन्दिर का पुनर्निर्माण हो जायेगा- यह विश्वमण्डल के प्रभु का कहना है- येरूसालेम की नाप-जोख कर ली जायेगी।

17) यह भी घोषित कर दोः विश्वमण्डल के प्रभु का यह कहना है कि मेरे नगर पुनः वैभवशाली और समृद्ध बनेंगे; प्रभु-ईश्वर फिर सियोन पर कृपादृष्टि करेगा और येरूसालेम को पुनः अपना लेगा।"



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