📖 - ज़कारिया का ग्रन्थ (Zechariah)

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अध्याय 11

1) लेबानोन, अपने द्वार खोल दे, जिससे आग तेरे देवदारों को भस्म कर डाले।

2) सरूओ! विलाप करो, क्योंकि देवदार धराशायी हो गया है- शक्तिशालियों का पतन हो गया है। बाशान के बलूतो! शोक मनाओ क्योंकि वह घना जंगल घट गया है।

3) चरवाहों को चीत्कार सुनाई दे रहा है, क्योंकि चरागाह की हरियाली नष्ट हो गयी है। सिंह के शावकों की गरज सुनाई पड रही है, क्योंकि यर्दन का सघन वन नष्ट हो गया है।

4) प्रभु-ईश्वर ने मुझे इस प्रकार का सन्देश दियाः

5) "जिस रेवड़ की भेड़ों का वध होने वाला है, तुम उन को चराओ। खरीदार उनका वध करते हैं, पर दण्ड नहीं पाते, और लोग उन को बेच कर कहते हैं, ’धन्य हो प्रभु! मैं धनी हो गया हूँ, उनके चरवाहे उनके साथ दया का बरताव नहीं करते।

6) (प्रभु-ईश्वर की यह वाणी हैः मैं अब से मनुष्यजाति पर दया नहीं करूँगा; मैं सब को एक दूसरे के हवाले और राजा के हवाले भी कर दूँगा। वे संसार को उजाड़ देंगे, किन्तु मैं शत्रुओं के हाथों से उन्हें नहीं छुडाऊँगा।) "

7) तब, जो भेड़ों के व्यापारी भेड़ों का वध करते हैं, मैं उनका चरवाहा बन गया। मैंने दो डण्डे लिये, जिन में मैंने एक का नाम कृपा और दूसरे का एकता रखा। इस प्रकार मैं रेवड चराने लगा।

8) एक महीने के अन्दर मैंने तीन चरवाहों को हटा दिया। मैं तो भेड़़ों से अप्रसन्न हो गया और वैसे ही वे मुझ से घृणा करने लगीं।

9) तब मैंने यह निश्चय किया, "मैं अब से तुम को नहीं चराऊँगा। जो मरना चाहती हैं, वे मर जायें; जिन को नष्ट होना है, वे नष्ट हो जायें; और जो बच जायें वे एक दूसरे को खा जायें;"

10) तब मैंने कृपा नामक दण्डा ले लिया और उसके दो टुकड़े कर सब जातियों के साथ प्रभु-ईश्वर का व्यवस्थान भंग किया।

11) जिस दिन व्यपारियों ने इसके दो टुकडे देखे उस दिन वे समझ गये कि यह प्रभु-ईश्वर की वाणी है।

12) तब मैंने उन से कहा, "यदि तुम उचित समझते हो, तो मेरी मज़दूरी दे दो, नहीं तो मत दो"। इस पर उन्होंने तौल कर मेरी मज़दूरी दी, अर्थात् चाँदी की तीस शेकेल।

13) किन्तु प्रभु-ईश्वर ने मुझ को आज्ञा दी, “उसे कोष में डाल दो" तो मैंने उस तुच्छ रकम को कोष में फेंक दिया, जो मेरे योग्य मजदूरी समझी गयी।

14) तब मैंने अपने एकता नामक डण्डे को भी तोड डाला, जिससे यूदा और इस्राएल के बीच एकता भंग हो जाये।

15) इसके बाद प्रभु-ईश्वर ने मुझ से कहा, "अब तुम निकम्मे चरवाहे का उपकरण अपनाओ।

16) मैं तो इस देश में एक निकम्मे चरवाहे को नियुक्त करने वाला हूँ। वह न खोये हुओं की चिन्ता करेगा, न भटके हुओं की खोज करेगा। वह घायलों की दवा-दारू नहीं करेगा; न ही वह भूखी भेड़ों को चरागाह में ले जायेगा, बल्कि वह मोटी भेड़ों का मांस खा कर खुर और हड्डियाँ निकाल फेंकेगा।

17) धिक्कार उस निकम्मे चरवाहे को, जो रेवड को छोड देता है! उसकी बाँह और दाहिनी आँख पर तलवार की चोट लगे, जिससे बाँह सूख जाये और वह काना हो जाये।"



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