📖 - एफ़ेसियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र

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अध्याय 06

1) बच्चो! अपने माता-पिता की आज्ञा मानों, क्योंकि यह उचित है।

2) अपने माता-पिता का आदर करो। यह पहली ऐसी आज्ञा है, जिसके साथ एक प्रतिज्ञा भी जुड़ी हुई है,

3) जो इस प्रकार है- जिससे तुम्हारा कल्याण हो और तुम बहुत दिनों तक पृथ्वी पर जीते रहो।

4) पिता अपने बच्चें को खिझाया नहीं करें, बल्कि प्रभु के अनुरूप शिक्षा और उपदेश द्वारा उनका पालन-पोषण करें।

5) दासों से मेरा अनुरोध है कि जो लोग इस पृथ्वी पर आपके स्वामी हैं, आप डरते कांपते और निष्कपट हृदय से उनकी आज्ञा पूरी करें, मानो आप मसीह की सेवा कर रहे हों।

6) आप मुनष्यों को प्रसन्न करने के उद्देश्य से दिखावे मात्र के लिए नहीं, बल्कि मसीह के दासों की तरह ऐसा करें, जो सारे हृदय से ईश्वर की इच्छा पूरी करते हैं।

7) आप प्रसन्नता से अपना सेवा-कार्य करते रहें, मानो आप मनुष्यों की नहीं, बल्कि प्रभु की सेवा करते हों;

8) क्योंकि आप जानते हैं कि प्रत्येक मनुष्य, चाहे वह दास हो या स्वतन्त्र, जो भी भलाई करेगा, उसका पुरस्कार वह प्रभु से प्राप्त करेगा।

9) आप, जो स्वामी हैं, दासों के साथ ऐसा ही व्यवहार करें। आप धमकियाँ देना छोड़ दें; क्योंकि आप जानते हैं कि स्वर्ग में उनका और आपका एक ही स्वामी है, और वह किसी के साथ पक्षपात नहीं करता।

ईश्वर के अस्त्र-शस्त्र धारण करें

10) अन्त में यह-आप लोग प्रभु से और उसके अपार सामर्थ्य से बल ग्रहण करें,

11) आप ईश्वर के अस्त्र-शस्त्र धारण करें, जिससे आप शैतान की धूर्तता का सामना करने में समर्थ हों;

12) क्योंकि हमें निरे मनुष्यों से नहीं, बल्कि इस अन्धकारमय संसार के अधिपतियों, अधिकारियों तथा शासकों और आकाश के दुष्ट आत्माओं से संघर्ष करना पड़ता है।

13) इसलिए आप ईश्वर के अस्त्र-शस्त्र धारण करें, जिससे आप दुर्दिन में शत्रु का सामना करने में समर्थ हों और अन्त तक अपना कर्तव्य पूरा कर विजय प्राप्त करें।

14) आप सत्य का कमरबन्द कस कर, धार्मिकता का कवच धारण कर

15) और शान्ति-सुसमाचार के उत्साह के जूते पहन कर खड़े हों।

16) साथ ही विश्वास की ढाल धारण किये रहें। उस से आप दुष्ट के सब अग्निमय बाण बुझा सकेंगे।

17) इसके अतिरिक्त मुक्ति का टोप पहन लें और आत्मा की तलवार-अर्थात् ईश्वर का वचन-ग्रहण करें।

18) आप लोग हर समय आत्मा में सब प्रकार की प्रार्थना तथा निवेदन करते रहें। आप लोग जागते रहें और सब सन्तों के लिए निरन्तर विनती करते रहें।

19) आप मेरे लिए भी विनती करें, जिससे बोलते समय मुझे शब्द दिये जायें और मैं निर्भीकता से उस सुसमाचार का रहस्य घोषित कर सकूँ,

20) जिस सुसमाचार का मैं बेडि़यों से बँधा हुआ राजदूत हूँ। आप विनती करें, जिससे मैं निर्भीकता से सुसमाचार का प्रचार कर सकूँ, जैसा कि मेरा कर्तव्य है।

उपसंहार

21) मसीह के ईमानदार सेवक, हमारे प्रिय भाई तुखिकुस आप लोगों को यह सब बता देंगे कि मैं कैसे हूँ और क्या कर रहा हूँ।

22) मैं उन्हें इसलिए आप लोगों के पास भेज रहा हूँ कि आप मेरे विषय में पूरा समाचार जान जायें और इसलिए भी कि वह आप को ढारस बंधायें।

23) पिता परमेश्वर और प्रभु ईसा मसीह भाईयो को शान्ति, प्रेम और विश्वास प्रदान करें!

24) ईश्वर की कृपा उन सबों पर बनी रहे, जो हमारे प्रभु ईसा मसीह को अनश्वर प्रेम से प्यार करते हैं!



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