📖 - पेत्रुस का दूसरा पत्र

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अध्याय 03

प्रभु का पुनरागमन

1) प्रिय भाइयो! मैं आप लोगों को दूसरी बार पत्र लिख रहा हूँ। इन पत्रों में मैं कुछ बातों का स्मरण दिला कर आप लोगों की सद्बुद्धि को जीवित रखना चाहता हूँ।

2) आप लोग पवित्र नबियों की भविष्यवाणियाँ और अपने प्रेरितों द्वारा प्रदत्त प्रभु एवं मुक्तिदाता की आज्ञा याद रखें।

3) आप लोग सर्वप्रथम यह जान लें कि अन्तिम दिनों में उपहास करने वाले नास्तिक आयेंगे। वे अपनी दुर्वासनाओं के अनुरूप आचरण करेंगे

4) और कहेंगे, "उनके आगमन की प्रतिज्ञा का क्या हुआ? हमारे पूर्वज तो चल बसे, किन्तु सृष्टि के प्रारम्भ से सब कुछ ज्यों-का-त्यों बना हुआ है।"

5) वे जान-बूझ कर यह भूल जाते हैं कि प्राचीन काल में एक आकाश था और एक पृथ्वी, जो ईश्वर के शब्द द्वारा जल से उत्पन्न हो कर जल पर बनी हुई थी।

6) उस समय का संसार जल द्वारा नष्ट हो गया। प्रलय ने उसे जलमग्न कर दिया।

7) ईश्वर के शब्द ने वर्तमान आकाश और पृथ्वी को आग के लिए रख छोड़ा है। उन्हें न्याय-दिवस तक के लिए रख छोड़ा गया है। उस दिन विधर्मी मनुष्यों का विनाश किया जायेगा।

8) प्यारे भाइयो! यह बात अवश्य याद रखें कि प्रभु की दृष्टि में एक दिन हज़ार वर्ष के समान है और हज़ार वर्ष एक दिन के समान।

9) प्रभु अपनी प्रतिज्ञाएं पूरी करने में विलम्ब नहीं करता, जैसा कि कुछ लोग समझते हैं। किन्तु वह आप लोगों के प्रति सहनशील है और यह चाहता है कि किसी का सर्वनाश नहीं हो, बल्कि सब-के-सब पश्चाताप करें।

10) प्रभु का दिन चोर की तरह आयेगा। उस दिन आकाश गरजता हुआ विलीन हो जायेगा, मूलतत्व जल कर पिघल जायेंगे और पृथ्वी तथा उस पर जो कुछ है, वह सब भस्म हो जायेगा।

11) यदि यह सब इस प्रकार नष्ट होने को है, तो आप लोगों को चाहिए कि पवित्र तथा भक्तिपूर्ण जीवन व्यतीत करें

12) और उत्सुकता से इ्रश्वर के दिन की प्रतीक्षा करें। उस दिन आकाश जल कर विलीन हो जायेगा और मूलतत्व ताप के कारण पिघल जायेंगे।

13) हम उसकी पतिज्ञा के आधार पर एक नये आकाश तथा एक नयी पृथ्वी की प्रतीक्षा करते हैं; जहाँ धार्मिकता निवास करेगी।

जागते हुए सावधान रहें

14) इसलिए, प्यारे भाइयो! इन बातों की प्रतीक्षा करते हुए इस प्रकार प्रयत्न करते रहे कि आप लोग प्रभु की दृष्टि में निष्कलंक, निर्दोष तथा उसके अनुकूल हों।

15) यदि प्रभु अपनी सहनीशलता के कारण देर करते हैं, तो इसे अपनी मुक्ति में सहायक समझें, जैसा कि हमारे भाई पौलुस ने अपने को प्रदत्त प्रज्ञा के अनुसार आप को लिखा।

16) वह अपने सब पत्रों में ऐसा ही करते हैं, जहाँ वह इन बातों की चर्चा करते हैं। उन पत्रों में कुछ बातें ऐसी हैं, जो कठिनाई से समझ में आती हैं। अशिक्षित और चंचल लोग धर्मग्रन्थ की अन्य बातों की तरह उनका भी गलत अर्थ लगाते और इस प्रकार अपना सत्यानाश करते हैं।

उपसंहार

17) प्रिय भाइयो! मैंने आप लोगों को पहले से ही सचेत किया है। आप सावधान रहें। कहीं ऐसा न हो कि आप उन दुष्टों के बहकावे में आ कर विचलित हो जायें।

18) आप लोग हमारे प्रभु और मुक्तिदाता ईसा मसीह के अनुग्रह और ज्ञान में बढ़ते रहें। उन्हीं को अभी और अनन्त काल तक महिमा! आमेन !



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