यूखरिस्तीय प्रार्थना – 6

मेल-मिलाप - 2

पु. - प्रभु आप लोगों के साथ हो।

सब - और आपकी आत्मा के साथ।


पु. - प्रभु में मन लगाइए।

सब - हम प्रभु में मन लगाए हुए हैं।


पु. - हम अपने प्रभु ईश्वर को धन्यवाद दें।

सब - यह उचित और न्यायसंगत है।


पु. - हे प्रभु, पवित्र पिता, सर्वशक्तिमान् और शाश्वत ईश्वर, यह वास्तव में उचित और न्यायसंगत है, हमारा कर्त्तव्य तथा कल्याण है कि हम सदा और सर्वत्र अपने प्रभु खीस्त के द्वारा तुझे धन्यवाद दें। हालाँकि मतभेद और कलह के कारण मानवजाति विभाजित हो गयी है, फिर भी, हम जानते हैं कि तू हमारा कठोर हृदय कोमल बनाकर हमें मेल-मिलाप के लिए तैयार करता है। तेरा पवित्र आत्मा मनुष्य का हृदय ऐसे बदल देता है कि बैरी परस्पर बाते करने लगते, विरोधी प्रेमपूर्वक गले लगते और राष्ट्र एक दूसरे से मिलने के लिए आतुर हो जाते हैं। हे प्रभु, तेरी ही प्रेरणा से यह सम्भव होता है कि लोग शांति प्रिय बनकर आपसी लड़ाई-झगड़े भूल जाते हैं, घृणा पर प्रेम की विजय होती है और बदले की भावना भी क्षमा के सामने झुक जाती है। इसलिए, हम स्वर्गिक मण्डली के स्वर में स्वर मिलाकर तुझे धन्यवाद देते हुए पृथ्वी पर निरंतर तेरे प्रताप का बखान करते हैं :

सब: पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु विश्वमण्डल के ईश्वर ! स्वर्ग और पृथ्वी तेरी महिमा से परिपूर्ण हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना ! धन्य हैं वे, जो प्रभु के नाम पर आते हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना !


(पुरोहित अपने हाथों को फैलाए हुए बोलते हैं : )


पु. - इसलिए, हे सर्वशक्तिमान् पिता, हम तेरे पुत्र येसु खीस्त के द्वारा, जो हमारे लिए संसार में पधारे, तेरा यशोगान करते हैं। ये ही हैं वह शब्द, जो मनुष्यों की मुक्ति करता है, वह हाथ, जो पापियों की ओर बढ़ता है, और वह मार्ग, जिस पर हमें तेरी शांति प्राप्त होती है। हे प्रभु, जब हमने अपने पापों के कारण तुझसे मुँह मोड़ लिया था, तो तूने अपने पुत्र को हमारे पास भेजा। वह क्रूस पर मर गये, ताकि हम लोग तेरी ओर मुड़ें और परस्पर प्रेम करना सीखें।


(वे करबद्ध होते हैं और भेंट के ऊपर अपने हाथों को फैलाए हुए बोलते हैं : )


पु. - ख्रीस्त के मेल-मिलाप का समारोह मनाते समय हम तुझसे निवेदन करते हैं : अपने पवित्र आत्मा को भेजकर इन उपहारों पवित्र कर दे


(वे करबद्ध होते हैं और रोटी तथा कटोरे पर एक साथ एक बार क्रूस का चिह्न बनाते हुए बोलते हैं : )


पु. - कि ये तेरे पुत्र के शरीर तथा + रक्त बन जाएँ, जिनकी आज्ञा से हम यह समारोह मना कर रहे हैं।


(वे करबद्ध होते हैं। निम्नलिखित प्रार्थनाओं में प्रभु के शब्दों का स्पष्ट और अक्षरश: उच्चारण किया जाना चाहिए, क्योंकि यह इन शब्दों की प्रकृति द्वारा अपेक्षित है।)


पु. - जब वे हमें मुक्त करने के लिए अपने प्राण निछावर करने वाले थे, भोजन करते समय


(वे रोटी लेते हैं और उसे वेदी के थोड़ा-सा ऊपर उठाकर जारी रखते हैं : )


पु. - उन्होंने अपने हाथों में रोटी ली, तुझे धन्यवाद दिया और रोटी तोड़कर उसे अपने शिष्यों को देते हुए कहा :


(वे थोड़ा नतमस्तक होते हैं : )


पु. - तुम सब इसे लो और इसमें से खाओ, क्योंकि यह मेरा शरीर है, जो तुम्हारे लिए बलि चढ़ाया जाएगा।


(वे लोगों को प्रतिष्ठित होस्तिया दिखाते हैं; और उसे पुन: थालिका पर रखकर आराधना में नतजानु होते हैं। इसके बाद वे जारी रखते हैं : )


पु. - इसी भाँति, उस संध्या बेला में


(वे कटोरा लेते हैं और उसे वेदी के थोड़ा-सा ऊपर उठाकर जारी रखते हैं : )


पु. - उन्होंने अपने हाथों में आशिष का कटोरा लिया, और तेरी दया का बखान करते हुए उसे अपने शिष्यों को देते हुए कहा :


(वे थोड़ा नतमस्तक होते हैं : )


पु. - तुम सब इसे लो और इसमें से पिओ, क्योंकि यह मेरे रक्त का कटोरा है, नवीन और अनंत व्यवस्थान का रक्त, जो तुम्हारे और बहुतों के पापों की क्षमा के लिए बहाया जाएगा। तुम मेरी स्मृति में यह करो।


(वे लोगों को कटोरा दिखाते हैं; और उसे पुन: दिव्यान्नपट पर रखकर आराधना में नतजानु होते हैं। तब वे बोलते हैं : )


पु. - विश्वास का रहस्य।

सब:हे प्रभु, हम तेरी मृत्यु और पुनरुत्थान की घोषणा तेरे पुनगगमन तक करते रहेंगे।

अथवा

हे प्रभु, जब हम यह रोटी खाते और यह कटोरा पीते हैं, तेरे पुनरागमन तक तेरी मृत्यु की घोषणा करते हैं।

अथवा

हे विश्व के उद्धारकर्त्ता, हमारा उद्धार कर। तूने अपने क्रूस तथा पुनरुत्थान द्वारा हमें मुक्त किया है।


(तब पुरोहित अपने हाथों को फैलाए हुए बोलते हैं : )


पु. - तेरे पुत्र ने अपने प्रेम का यह प्रमाण हमारे बीच रख छोड़ा है, उनकी मृत्यु और पुनरुत्थान की स्मृति मनाते हुए हम तुझे पूर्ण मिलाप का यह बलिदान चढ़ा रहे हैं, इसे तूने ही हमें प्रदान किया है। हे पवित्र पिता, हम तुझसे नग्न निवेदन करते हैं : अपने पुत्र के साथ-साथ हम सबको भी ग्रहण कर, इस मुक्तिदायी भोज में कृपापूर्वक हमें वही आत्मा प्रदान कर, जो हमारे सारे मतभेद मिटा देता है।


पु.1 - वही आत्मा तेरी कलीसिया को मनुष्यों के बीच एकता का चिह्न तथा शांति का साधन बनाये और हमारे संत पिता (नाम), हमारे धर्माध्यक्ष (नाम), सभी धर्माध्यक्षों तथा तेरी समस्त प्रजा के साथ हमें एकता के सूत्र में बाँध दे।


पु. 2 - जिस भाँति तूने हम सबको यहाँ ईश्वर की माता धन्य कुँवारी मरियम, उनके वर धन्य योसेफ, तेरे धन्य प्रेरितों और सब संतों तथा हमारे भाई-बहनों के साथ अपने पुत्र के भोज में एकत्र किया है, उसी भाँति हर वर्ग और समुदाय, वंश और भाषा के लोगों को अनंत भोज के लिए नये स्वर्ग और नयी पृथ्वी में एकत्र कर, जहाँ पूर्ण शांति विराजती है,


(वे करबद्ध होते हैं। )


पु. - हमारे प्रभु येसु खीस्त के द्वारा।


(वे कटोरा, तथा थालिका में होस्तिया लेते हैं और दोनों को ऊपर उठाते हुए बोलते हैं : )


पु. - इन्हीं प्रभु खीस्त के द्वारा, इन्हीं के साथ और इन्हीं में, हे सर्वशक्तिमान् पिता ईश्वर, पवित्र आत्मा के साथ, सारा गौरव तथा सम्मान युगानुयुग तेरा ही है।


सब - आमेन।


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