अवतरणिकाएँ

आगमन ...ख्रीस्तजयंती ...चालीसा ...पास्का ...सामान्य रविवार ...पवित्र यूखारिस्त ...कुँवारी मरियम ...सामन्य ...मृतक


Go to Eucharistic Prayers (यूखरिस्तीय प्रार्थना)

01.आगमन की अवतरणिका – 1

पु० : प्रभु आप लोगों के साथ हो।

सब: और आपकी आत्मा के साथ।


पु० : प्रभु में मन लगाइए।

सब: हम प्रभु में मन लगाए हुए हैं।


पु० : हम अपने प्रभु ईश्वर को धन्यवाद दें।

सब: यह उचित और न्यायसंगत है।


पुरोहित: हे प्रभु, पवित्र पिता, सर्वशक्तिमान् और शाश्वत ईश्वर, यह वास्तव में उचित और न्यायसंगत है, हमारा कर्त्तव्य तथा कल्याण है कि हम सदा और सर्वत्र अपने प्रभु खीस्त के द्वारा तुझे धन्यवाद दें। अपने प्रथम आगमन पर इन्होंने दीन मानव बनकर तेरी आदि-योजना पूरी की और हमारे लिए अनंत मुक्ति का मार्ग फिर से खोल दिया। जब ये न्याय के दिन महिमा और प्रताप के साथ पधारेंगे, तब हमें वह मुक्ति प्राप्त हो जाए, जिसकी प्रतीक्षा हम बड़ी उत्सुकता से कर रहे हैं। इसलिए, दूतों और महादूतों, सिंहासन और साम्राज्य, स्वर्गिक सेनाओं और शक्तियों के साथ मिलकर हम अनंत काल तक तेरा महिमागान करते हैं :

सब: पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु विश्वमण्डल के ईश्वर ! स्वर्ग और पृथ्वी तेरी महिमा से परिपूर्ण हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना ! धन्य हैं वे, जो प्रभु के नाम पर आते हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना !



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02. ख्रीस्तजयंती की अवतरणिका – 1

पु० : प्रभु आप लोगों के साथ हो।

सब: और आपकी आत्मा के साथ।


पु० : प्रभु में मन लगाइए।

सब: हम प्रभु में मन लगाए हुए हैं।


पु० : हम अपने प्रभु ईश्वर को धन्यवाद दें।

सब: यह उचित और न्यायसंगत है।


पुरोहित: हे प्रभु, पवित्र पिता, सर्वशक्तिमान् और शाश्वत ईश्वर, यह वास्तव में उचित और न्यायसंगत है, हमारा कर्त्तव्य तथा कल्याण है कि हम सदा और सर्वत्र तुझे धन्यवाद दें। क्योंकि आदि शब्द के देहधारण के रहस्य द्वारा हमारे मन की आँखों पर तेरी महिमा की एक नई ज्योति चमकने लगी, ताकि हम उनमें ईश्वर के प्रत्यक्ष दर्शन से उन्हीं के द्वारा अलौकिक वस्तुओं के प्रेम से प्रज्बलित हो जाएँ। इसलिए, दूतों और महादूतों, सिंहासन और साम्राज्य, स्वर्गिक सेनाओं और शक्तियों के साथ मिलकर हम अनंत काल तक तेरा महिमागान करते हैं :

सब: पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु विश्वमण्डल के ईश्वर ! स्वर्ग और पृथ्वी तेरी महिमा से परिपूर्ण हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना ! धन्य हैं वे, जो प्रभु के नाम पर आते हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना !


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03. चालीसे की अवतरणिका – 1

पु० : प्रभु आप लोगों के साथ हो।

सब: और आपकी आत्मा के साथ।


पु० : प्रभु में मन लगाइए।

सब: हम प्रभु में मन लगाए हुए हैं।


पु० : हम अपने प्रभु ईश्वर को धन्यवाद दें।

सब: यह उचित और न्यायसंगत है।


पुरोहित: हे प्रभु, पवित्र पिता, सर्वशक्तिमान् और शाश्वत ईश्वर, यह वास्तव में उचित और न्यायसंगत है, हमारा कर्त्तव्य तथा कल्याण है कि हम सदा और सर्वत्र अपने प्रभु खीस्त के द्वारा तुझे धन्यवाद दें। तेरे कृपादानों द्वारा तेरे भक्तजन प्रतिवर्ष शुद्ध मन से पवित्र पास्का-पर्व की सहर्ष प्रतीक्षा करते हैं, ताकि एकाग्र प्रार्थना तथा परोपकार कर्मों द्वारा मुक्तिदायी रहस्यों में भाग लेकर वे उस अनुग्रह की पूर्णता में आगे बढ़ते जाएँ, जिसे तू अपने पुत्र-पुत्रियों को प्रदान करता है। इसलिए, दूतों और महादूतों, सिंहासन और साम्राज्य, स्वर्गिक सेनाओं और शक्तियों के साथ मिलकर हम अनंत काल तक तेरा महिमागान करते हैं :

सब: पवित्र, पवित्र, पवित्र ! प्रभु विश्वमण्डल के ईश्वर! स्वर्ग और पृथ्वी तेरी महिमा से परिपूर्ण है! स्वर्ग में प्रभु की जय ! धन्य हैं वे जो प्रभु के नाम पर आते हैं ! स्वर्ग में प्रभु की जय !



सब: पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु विश्वमण्डल के ईश्वर ! स्वर्ग और पृथ्वी तेरी महिमा से परिपूर्ण हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना ! धन्य हैं वे, जो प्रभु के नाम पर आते हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना !


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04. पास्का की अवतरणिका – 1

पु० : प्रभु आप लोगों के साथ हो।

सब: और आपकी आत्मा के साथ।


पु० : प्रभु में मन लगाइए।

सब: हम प्रभु में मन लगाए हुए हैं।


पु० : हम अपने प्रभु ईश्वर को धन्यवाद दें।

सब: यह उचित और न्यायसंगत है।


पुरोहित: हे प्रभु, यह वास्तव में उचित और न्यायसंगत है, हमारा कर्त्तव्य तथा कल्याण है कि हम सदा-सर्वदा और विशेष करके (इस रात में /इस दिन /इस अवसर पर) अधिक गौरव के साथ तेरा गुणगान करें, जब खीस्त हमारे पास्का का मेमना बलि चढ़ाये गये हैं। ये ही हैं सच्चा मेमना, जिन्होंने संसार का पाप हर लिया है; इन्होंने मृत्यु सहकर हमारी मृत्यु नष्ट कर दी और पुनर्जीवित होकर हमें नवजीवन प्रदान किया है। इसलिए, पास्का के आनंद से विभोर होकर हर देश और जाति के लोग तेरी प्रशंसा में उल्लसित होते और स्वर्गिक शक्तियाँ दूतों की सेना के साथ मिलकर निरंतर तेरी महिमा का बखान करती हैं :

सब: पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु विश्वमण्डल के ईश्वर ! स्वर्ग और पृथ्वी तेरी महिमा से परिपूर्ण हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना ! धन्य हैं वे, जो प्रभु के नाम पर आते हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना !


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05. सामान्य रविवार की अवतरणिका - 1

पु० : प्रभु आप लोगों के साथ हो।

सब: और आपकी आत्मा के साथ।


पु० : प्रभु में मन लगाइए।

सब: हम प्रभु में मन लगाए हुए हैं।


पु० : हम अपने प्रभु ईश्वर को धन्यवाद दें।

सब: यह उचित और न्यायसंगत है।


पुरोहित: हे प्रभु, पवित्र पिता, सर्वशक्तिमान् और शाश्वत ईश्वर, यह वास्तव में उचित और न्यायसंगत है, हमारा कर्त्तव्य तथा कल्याण है कि हम सदा और सर्वत्र अपने प्रभु खीस्त के द्वारा तुझे धन्यवाद दें। पास्का के रहस्य द्वारा इन्होंने मुक्ति का कार्य पूरा करके हमें पाप और मृत्यु की दासता से मुक्त कर दिया और ऐसा गौरव प्रदान किया कि अब हम चुनी हुई जनता, राजकीय याजक-वर्ग, पवित्र राष्ट्र और ईश्वर की निजी प्रजा कहलाते हैं। हे पिता, हम समस्त विश्व में तेरे महान् कार्यों का बखान करते हैं, क्योंकि तूने हमें अंधकार से अपने अद्भुत प्रकाश में बुलाया है। इसलिए, दूतों और महादूतों, सिंहासन और साम्राज्य, स्वर्गिक सेनाओं और शक्तियों के साथ मिलकर हम अनंत काल तक तेरा महिमागान करते हैं :

सब: पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु विश्वमण्डल के ईश्वर ! स्वर्ग और पृथ्वी तेरी महिमा से परिपूर्ण हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना ! धन्य हैं वे, जो प्रभु के नाम पर आते हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना !


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06. परम पवित्र यूखरिस्त की अवतरणिका – 1


पु० : प्रभु आप लोगों के साथ हो।

सब: और आपकी आत्मा के साथ।


पु० : प्रभु में मन लगाइए।

सब: हम प्रभु में मन लगाए हुए हैं।


पु० : हम अपने प्रभु ईश्वर को धन्यवाद दें।

सब: यह उचित और न्यायसंगत है।


पुरोहित: हे प्रभु, पवित्र पिता, सर्वशक्तिमान् और शाश्वत ईश्वर, यह वास्तव में उचित और न्यायसंगत है, हमारा कर्त्तव्य तथा कल्याण है कि हम सदा और सर्वत्र अपने प्रभु खीस्त के द्वारा तुझे धन्यवाद दें। ये ही हैं यथार्थ और शाश्वत पुरोहित, जिन्होंने चिरस्थायी बलिदान की स्थापना की और पहली बार स्वयं को मुक्तिदायी बलि-स्वरूप अर्पित किया तथा यह आदेश दिया कि हम इनकी स्मृति में इसे चढ़ाया करें। हमारे लिए बलि चढ़ाये गये इनके शरीर को ग्रहण कर हम सबल बनाये गये हैं और हमारे लिए प्रवाहित इनके रक्त का पान कर हम पाप से विमुक्त हो गये हैं। इसलिए, दूतों और महादूतों, सिंहासन और साम्राज्य, स्वर्गिक सेनाओं और शक्तियों के साथ मिलकर हम अनंत काल तक तेरा महिमागान करते हैं :

सब: पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु विश्वमण्डल के ईश्वर ! स्वर्ग और पृथ्वी तेरी महिमा से परिपूर्ण हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना ! धन्य हैं वे, जो प्रभु के नाम पर आते हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना !


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07. धन्य कुँवारी मरियम की अवतरणिका – 1


पु० : प्रभु आप लोगों के साथ हो।

सब: और आपकी आत्मा के साथ।


पु० : प्रभु में मन लगाइए।

सब: हम प्रभु में मन लगाए हुए हैं।


पु० : हम अपने प्रभु ईश्वर को धन्यवाद दें।

सब: यह उचित और न्यायसंगत है।


पुरोहित: हे प्रभु, पवित्र पिता, सर्वशक्तिमान् और शाश्वत ईश्वर, यह वास्तव में उचित और न्यायसंगत है, हमारा कर्त्तव्य तथा कल्याण है कि हम सदा और सर्वत्र तुझे धन्यवाद दें और नित्य कुँवारी धन्य मरियम के (मातृत्व के महोत्सव पर /पर्व दिवस पर /जन्म दिवस पर /आदर में ) तेरी स्तुति करें और तेरे नाम की महिमा क़रें। पवित्र आत्मा की शक्ति की छाया से इन्होंने तेरे इकलौते पुत्र को गर्भ में धारण किया और अपने कौमार्य का गौरव अखण्ड रखते हुए अनंत ज्योति, हमारे प्रभु येसु खीस्त, को जन्म दिया। इन्हीं के द्वारा, स्वर्गदूत तेरे प्रताप की प्रशंसा करते, प्रभुत्व तेरी आराधना करते और शक्तियाँ तेरे सम्मुख काँप उठती हैं। स्वर्ग और उसका सामर्थ्य तथा धन्य सेराफीम एक साथ तेरी अर्चना करते हैं। उन्हीं के स्वर में स्वर मिलाकर हम भी विनम्र भाव से तेरा स्तुतिगान करते हैं :

सब: पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु विश्वमण्डल के ईश्वर ! स्वर्ग और पृथ्वी तेरी महिमा से परिपूर्ण हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना ! धन्य हैं वे, जो प्रभु के नाम पर आते हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना !


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08. सामान्य अवतरणिका – 1


पु० : प्रभु आप लोगों के साथ हो।

सब: और आपकी आत्मा के साथ।


पु० : प्रभु में मन लगाइए।

सब: हम प्रभु में मन लगाए हुए हैं।


पु० : हम अपने प्रभु ईश्वर को धन्यवाद दें।

सब: यह उचित और न्यायसंगत है।


पुरोहित: हे प्रभु, पवित्र पिता, सर्वशक्तिमान् और शाश्वत ईश्वर, यह वास्तव में उचित और न्यायसंगत है, हमारा कर्त्तव्य तथा कल्याण है कि हम सदा और सर्वत्र अपने प्रभु खीस्त के द्वारा तुझे धन्यवाद दें। इन्हीं में तूने सब कुछ का नवनिर्माण किया और हमें इनकी पूर्णता के सहभागी बनाया है। ईश्वर होते हुए भी इन्होंने स्वयं को दीन-हीन बना लिया और क्रूस पर अपना रक्त बहाकर विश्व भर में शांति स्थापित की। इसीलिए ये समस्त सृष्टि में सर्वोच्च सिद्ध हुए, ताकि जो कोई इन्हें अपनाये और इनके नाम में विश्वास करे, उसे अनंत मुक्ति प्राप्त हो सके। इसलिए, दूतों और महादूतों, सिंहासन और साम्राज्य, स्वर्गिक सेनाओं और शक्तियों के साथ मिलकर हम अनंत काल तक तेरा महिमागान करते हैं :

सब: पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु विश्वमण्डल के ईश्वर ! स्वर्ग और पृथ्वी तेरी महिमा से परिपूर्ण हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना ! धन्य हैं वे, जो प्रभु के नाम पर आते हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना !


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09. सामान्य अवतरणिका - 2


पु० : प्रभु आप लोगों के साथ हो।

सब: और आपकी आत्मा के साथ।


पु० : प्रभु में मन लगाइए।

सब: हम प्रभु में मन लगाए हुए हैं।


पु० : हम अपने प्रभु ईश्वर को धन्यवाद दें।

सब: यह उचित और न्यायसंगत है।


पुरोहित: हे प्रभु, पवित्र पिता, सर्वशक्तिमान् और शाश्वत ईश्वर, यह वास्तव में उचित और न्यायसंगत है, हमारा कर्त्तव्य तथा कल्याण है कि हम सदा और सर्वत्र तुझे धन्यवाद दें। तूने प्रेम से प्रेरित होकर मनुष्य की सृष्टि की, और न्याय के अनुसार जब वह अपराधी ठहराया गया, तो दया करके तूने हमारे प्रभु खीस्त के द्वारा उसका उद्धार किया। इन्हीं के द्वारा स्वर्गदूत तेरे प्रताप की प्रशंसा करते, प्रभुत्व तेरी आराधना करते और शक्तियाँ तेरे सम्मुख काँप उठती हैं। स्वर्ग और उसका सामर्थ्य तथा धन्य सेराफीम एक साथ तेरी अर्चना करते हैं। उन्हीं के स्वर में स्वर मिलाकर हम भी विनम्र भाव से तेरा स्तुतिगान करते हैं :

सब: पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु विश्वमण्डल के ईश्वर ! स्वर्ग और पृथ्वी तेरी महिमा से परिपूर्ण हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना ! धन्य हैं वे, जो प्रभु के नाम पर आते हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना !


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10. मृतकों के लिए अवतरणिका – 1


पु० : प्रभु आप लोगों के साथ हो।

सब: और आपकी आत्मा के साथ।


पु० : प्रभु में मन लगाइए।

सब: हम प्रभु में मन लगाए हुए हैं।


पु० : हम अपने प्रभु ईश्वर को धन्यवाद दें।

सब: यह उचित और न्यायसंगत है।


पुरोहित: हे प्रभु, पवित्र पिता, सर्वशक्तिमान् और शाश्वत ईश्वर, यह वास्तव में उचित और न्यायसंगत है, हमारा कर्त्तव्य तथा कल्याण है कि हम सदा और सर्वत्र अपने प्रभु खीस्त के द्वारा तुझे धन्यवाद दें। तूने हमें इनके द्वारा धन्य पुनरुत्थान की आशा दी है, ताकि जो लोग अपनी मृत्यु के विचार से दुःखी होते हैं, वे अमरत्व की प्रतिज्ञा द्वारा दिलासा प्राप्त करें। हे प्रभु, वास्तव में, तेरे भक्तों के लिए मृत्यु जीवन का विनाश नहीं, बल्कि विकास है; और इस लौकिक निवास के समाप्त हो जाने पर स्वर्ग में उनके लिए शाश्वत निवास तैयार किया जाता है। इसलिए, दूतों और महादूतों, सिंहासन और साम्राज्य, स्वर्गिक सेनाओं और शक्तियों के साथ मिलकर हम अनंत काल तक तेरा महिमागान करते हैं :

सब: पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु विश्वमण्डल के ईश्वर ! स्वर्ग और पृथ्वी तेरी महिमा से परिपूर्ण हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना ! धन्य हैं वे, जो प्रभु के नाम पर आते हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना !


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11. मृतकों के लिए अवतरणिका - 2


पु० : प्रभु आप लोगों के साथ हो।

सब: और आपकी आत्मा के साथ।


पु० : प्रभु में मन लगाइए।

सब: हम प्रभु में मन लगाए हुए हैं।


पु० : हम अपने प्रभु ईश्वर को धन्यवाद दें।

सब: यह उचित और न्यायसंगत है।


पुरोहित: हे प्रभु, पवित्र पिता, सर्वशक्तिमान् और शाश्वत ईश्वर, यह वास्तव में उचित और न्यायसंगत है, हमारा कर्त्तव्य तथा कल्याण है कि हम सदा और सर्वत्र अपने प्रभु खीस्त के द्वारा तुझे धन्यवाद दें। इन्होंने स्वयं मरना स्वीकार किया, ताकि हम सब मृत्यु से बच सकें; इन्होंने अकेले मरना स्वीकार किया, ताकि हम सब तेरे सम्मुख सदा-सर्वदा जीवित रह सकें। इसलिए, स्वर्गदूतों की मण्डली के स्वर में स्वर मिलाकर आनंद की उमंग में हम तेरा स्तुतिगान करते हैं :

सब: पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु विश्वमण्डल के ईश्वर ! स्वर्ग और पृथ्वी तेरी महिमा से परिपूर्ण हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना ! धन्य हैं वे, जो प्रभु के नाम पर आते हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना !


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