चक्र अ के प्रवचन

आगमन का पहला इतवार

पाठ: इसायाह 2:1-5, रोमियों 13:11-14, मत्ती 24:37-44

प्रवाचक: फादर निर्मल बारिया (उदयपूर धर्मप्रान्त)


आगमन काल के प्रारंभ होते ही माता कलिसीया पूजन विधी के नए वर्ष में प्रवेश करती है। आगमन काल ख्रीस्त जयन्ती मनाने की तैयारी का काल है। आगमन काल प्रतीक्षा या इन्तजार करने का समय है। यह आगमन काल हमें तीन आगमनों की याद दिलाता है। सबसे पहले इस्राइली लोगों द्वारा मसीह के आगमन की प्रतीक्षा। दूसरा प्रभु येसु के सचमुच मानव रूप में प्रकट होने की प्रतीक्षा, तीसरा प्रभु येसु अन्तिम दिन महिमा के साथ आएंगे उसकी याद जिसे हम ख्रीस्त के द्वितीय आगमन के रूप में मानते हैं।

आज के पाठ हमें आगमन की राह पर सतर्क एंव पूर्ण तैयारी करके प्रभु के निमंत्रण को स्वीकार करने के लिए आहवान करते हैं। आज के पाठ हमें संसार के अन्त, और हमारी मृत्यु के पश्चात प्रभु के न्याय सिहासन के सामने खडे होने के बारे में अवगत कराते है। पहले पाठ में नबी लोगों को सबोधित करते हैं कि लोग निराश व उदास न हो बल्कि आशा एंव मनोबल को दृढ़ बनाएं रखें। वे कहते हैं कि इस्राएल की जनता एंव येरूसलेम को ईश्वर ने नहीं त्यागा है, बल्कि वह उसे अवश्य पुनः स्थापित करेगा। लोगों को निराशा और गुलामी से छुटकारा देने के लिए ईश्वर मसीह को अवश्य भेजेगा जो येरूसलेम को पुनः दूनिया भर के लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र बिन्दू बना देगा और प्रभु के आने से वे संसार में व्याप्त तथा राष्ट्रों के बीच सभी प्रकार के विवादों को मध्यस्ता के द्वारा सुलझा देंगे। जिसका परिणाम इस प्रकार होगा “राष्ट्र अपनी तलवार को पीट-पीट कर फाल और अपने भाले को हसिया बनाएंगे।”

दूसरे पाठ में संत पौलूस रोमियों को जागते हुए प्रभु येसु के दूसरे आगमन के लिए तैयार रहने के लिए कहते है। साथ ही उन्हें झगड़ा, ईर्ष्या और अन्य बुराईयों से दूर रहने के लिए कहते हैं। संत पौलूस यह इसलिए कहते हैं कि प्रभु येसु के दूसरे आगमन के समय जो व्यक्ति सदाचरण करता है, उसी को मुक्ति प्राप्ति होगी।

सुसमाचार में प्रभु येसु अपने आगमन की बात करते हैं। वे कहते हैं कि मानव पुत्र अचानक एंव अनिश्चत समय आएगा। वे अपनी आगमन की तुलना चोर के आगमन से करते हैं। वे हमें सदैव सतर्क रहने के लिए कहते हैं। तथा अपनी स्वामी की राह देखते रहने के लिए आहवान करते हैं। संसार के अन्त के समय किसी को ज्ञात नहीं होगा कि संसार का अन्त आ गया है। प्रभु सचेत करते हैं कि मानव जीवन सामान्य रूप से दैनिक गतिविधियों में लिप्त रहेगा और कोई सोच भी नहीं पाएगा कि प्रभु का आगमन निकट है। इसलिए प्रभु हमें आमंत्रित करते हैं कि हम सदैव अपने कार्यों को ईमानदारी, कर्तव्यनिश्ठा और प्रभु की इच्छा के अनुरूप करें तथा पापों का प्रायश्चित करते हुए सदैव तैयार रहें। जिससे प्रभु के आगमन के दिन हम योग्य पाए जाएं। आईये हम उनके आगमन की आशा में सावधान और जागते रहें।


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