चक्र अ के प्रवचन

वर्ष का सोलहवाँ इतवार

पाठ: प्रज्ञा 12:13,16-19; रोमियों 8:26-27; मत्ती 13:24-43 या 13:24-30

प्रवाचक: फ़ादर फ़्रांसिस स्करिया


स्तोत्र 130 में स्तोत्रकार प्रश्न करते हैं, “प्रभु! यदि तू हमारे अपराधों को याद रखेगा, तो कौन टिका रहेगा?” कोई भी ईश्वर के सामने धर्मी होने का दावा नहीं कर सकता है। सूक्ति 30:12 कहता है, “कुछ लोग अपने को शुद्ध समझते, किन्तु उनका दूषण नहीं धुला है”। संत योहन कहते हैं, “यदि हम कहते हैं कि हम निष्पाप हैं, तो हम अपने आप को धोखा देते हैं और हम में सत्य नहीं है। यदि हम अपने पाप स्वीकार करते हैं, तो वह हमारे पाप क्षमा करेगा और हमें हर अधर्म से शुद्ध करेगा; क्योंकि वह विश्वसनीय तथा सत्यप्रतिज्ञ है। यदि हम कहते हैं कि हमने पाप नहीं किया है, तो हम उसे झूठा सिद्ध करते हैं और उसका सत्य हम में नहीं है। (1 योहन 1:8-10) इसलिए संत पौलुस कहते हैं, “सबों ने पाप किया और सब ईश्वर की महिमा से वंचित किये गये” (रोमियों 3:23)। अगर प्रभु हमारे साथ न्याय करेंगे तो हम में से कोई नहीं बच सकता। ईश्वर की करुणा ही हमको बचाती है।

जंगली बीज के दृष्टान्त द्वारा प्रभु हम को यह सिखाना चाहते हैं कि ईश्वर अत्यधिक सहनशील है। वे तुरन्त ही कुकर्मियों का विनाश नहीं करते हैं, बल्कि उनको सहनशीलता दिखाते हैं। वे उनके मनपरिवर्तन के लिए समय देते हैं। मालिक गेहूँ और जंगली बीज – दोनों को कटनी के समय तक एक साथ बढ़ने देता है।

स्तोत्र 94:3-7 में स्तोत्रकार प्रभु से प्रश्न करते हैं, “प्रभु! दुर्जन कब तक, दुर्जन कब तक आनन्द मनायेंगे? वे धृष्टतापूर्ण बातें करते हैं। वे सब कुकर्मी डींग मारते हैं। प्रभु! वे तेरी प्रजा को पीसते और तेरी विरासत पर अत्याचार करते हैं। वे विधवाओं तथा परदेशियों की हत्या और अनाथों का वध करते हैं। वे कहते हैं: ‘‘प्रभु नहीं देखता, याकूब का ईश्वर उस पर ध्यान नहीं देता’’।” स्तोत्रकार प्रभु ईश्वर की सहनशीलता पर आश्चर्यचकित है। स्तोत्रकार को मालूम है कि प्रभु ईश्वर कुकर्मि को मनफिराव के लिए समय दे रहे हैं और एक दिन वह समय खत्म हो जायेगा और अगर उस समय से पहले वह पश्चात्ताप नहीं करेगा तो ईश्वर उसका विनाश करेगा। इसलिए वे कहते हैं, “मेरा ईश्वर मेरे आश्रय की चट्टान है। वह उन से उनके अधर्म का बदला चुकायेगा। वह उनकी दुष्टता द्वारा उनका विनाश करेगा। हमारा प्रभु-ईश्वर उनका विनाश करेगा।“ (स्त्तोत्र 94:22-24)

प्रभु येसु यह जानते थे कि उनका शिष्य यूदस उन्हें पकडवा देगा, फिर भी उन्होंने उसके पैर धोये और उसे मित्र कह कर संबोधित किया। यूदस के सुनने में यह कह कर कि आप में से एक मुझे पकडवा देगा येसु उसे फिर से अपने इरादे पर पुन: सोचने तथा निर्णय बदलने का अवसर दे रहे थे।

ईश्वर करुणामय है, इसलिए वे कुकर्मि को समय देते हैं। परन्तु जो कुकर्मी पश्चात्ताप नहीं करता उसे ईश्वर के न्याय का सामना करना पडेगा।

लूकस 13:6-9 में प्रभु दाखबारी में लगे हुए अंजीर के पेड का दृष्टान्त सुनाते हैं। मालिक तीन वर्षों से उस पेड में फल खोजने आया, परन्तु उसे एक भी नहीं मिला। इसलिए मालिक ने उसे काट डालना चाहा। परन्तु माली ने कहा, “मालिक! इस वर्ष भी इसे रहने दीजिए। मैं इसके चारों ओर खोद कर खाद दूँगा। यदि यह अगले वर्ष फल दे, तो अच्छा, नहीं तो इसे काट डालिएगा’।’’ प्रभु इश्वर हमें समय दे कर यह उम्मीद रखते हैं कि हम अपने जीवन में सुधार लायें।


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Praise the Lord!