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32. पास्का का चैथा इतवार

प्रेरित चरित 4:8-12; 1 योहन 3:1-2; योहन 10:11-18

फादर रोनाल्ड वाँन


गडेरिया भेडों को चराने ले जाता है। वह भेडों को न सिर्फ अच्छे चारागाहों में ले जाता है बल्कि उनकी जंगली जानवरों तथा हर प्रकार के खतरे से रक्षा भी करता है। यदि कोई जानवर उन पर हमला करता है तो वह उस खतरे से स्वयं निपटता है। कभी-कभी इन झुण्डों को चराने की जिम्मेदारी मजदूरों को भी दी जाती थी। खतरे की स्थिति में ये मजदूर भेडों को अकेला छोडकर भाग जाते थे। मजदूर को केवल अपनी मजदूरी से मतलब होता था। वह अपनी जान पर खेलकर भेडों की देखभाल नहीं कर सकता। प्रभु येसु ऐसे मजदूरों की तुलना इस्राएल के धार्मिक नेताओं जिन पर ईश्वर की प्रजा की देखरेख की जिम्मेदारी थी, से करते हैं जो लोगों की चिंता नहीं करते थे। वे अपने ही स्वार्थ एवं आडम्बर की बातों में लगे रहते थे।

नबी एजेकिएल ने भी तत्कालीन इस्राएली नेतृत्व की स्वार्थी एवं शोषणकारी व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठायी थी तथा उनके पतन की चेतावनी दी थी। वे कहते हैं, “वे बिखर गयी, ....और वे बनैले पशुओं का शिकार बन गयीं। मेरी भेड़ें सब पर्वतों और ऊँची पहाडियों पर भटकती फिरती हैं वे समस्त देश में बिखर गयी हैं, और उनकी परवाह कोई नहीं करता, उनकी खोज में कोई नहीं निकलता। “इसलिए चरवाहो! प्रभु की वाणी सुनो। प्रभु-ईश्वर यह कहता है -अपने अस्तित्व की शपथ! मेरी भेड़ें, चराने वालों के अभाव में, बनैले पशुओं का शिकार और भक्ष्य बन गयी हैं, मेरे चरवाहों ने भेडो की परवाह नहीं की - उन्होंने भेडों की नहीं, बल्कि अपनी देखभाल की है इसलिए चरवाहो! प्रभु की वाणी सुनो। प्रभु यह कहता हैं, मैं उन चरवाहों का विरोधी बन गया हूँ। मैं उन से अपनी भेड़ें वापस माँगूंगा। मैं उनकी चरवाही बन्द करूँगा। वे फिर अपनी ही देखभाल नहीं कर पायेंगे।’’ (एजेकिएल 34:5-10)

प्रभु येसु अपने समय के शोषणकारी धार्मिक नेताओं, फरीसियों एवं शास्त्रियों, को उनकी अकर्मण्यता एवं कर्तव्य निष्ठा में विफलता के लिए धिक्कारते हैं। वे उनके पाखण्ड पर प्रहार कर कहते हैं, “फरीसियो! धिक्कार तुम लोगों को! क्योंकि तुम पुदीने, रास्ने और हर प्रकार के साग का दशमांश तो देते हो, लेकिन न्याय और ईश्वर के प्रति प्रेम की उपेक्षा करते हो। इन्हें करते रहना और उनकी भी उपेक्षा नहीं करना, तुम्हारे लिए उचित था। फरीसियो! धिक्कार तुम लोगों को! क्योंकि तुम सभागृहों में प्रथम आसन और बाजारों में प्रणाम चाहते हो। धिक्कार तुम लोगों को! क्योंकि तुम उन कब्रों के समान हो, जो दीख नहीं पड़तीं और जिन पर लोग अनजाने ही चलते-फिरते हैं।’’ ’’शास्त्रियों! धिक्कार तुम लोगों को भी! क्योंकि तुम मनुष्यों पर बहुत-से भारी बोझ लादते हो और स्वयं उन्हें उठाने के लिए अपनी तक उँगली भी नहीं लगाते। “शास्त्रियों, धिक्कार तुम लोगों को! क्योंकि तुमने ज्ञान की कुंजी ले ली। तुमने स्वयं प्रवेश नहीं किया और जो प्रवेश करना चाहते थे, उन्हें रोका।’’(लूकस 11: 42-46,52)

इस्राएली इतिहास में एक योग्य राजा की तुलना चरवाहे से की जाती रही है। जिस प्रकार भला चरवाहा अपनी रेवड की देखभाल करता है, उनका मार्गदर्शन करता तथा हर संभावित खतरों से उनकी रक्षा करता है उसी प्रकार की आशा एक राजा या नेता से की जाती रही है। दाऊद प्रभु द्वारा राजा चुने जाने के पूर्व चरवाहे थे। वे अपनी रेवड की देखरेख एवं रक्षा भली-भांति किया करते थे। जंगली जानवरों के आक्रमण करने पर वे उनका बहादुरी से सामना कर अपनी रेवड को बचाया करते थे। ‘‘आपका यह दास जब अपने पिता की भेड़ें चराता था और कोई सिंह या भालू आ कर झुण्ड से कोई भेड़ पकड़ ले जाता, तो मैं उसके पीछे जा कर उसे मारता और उसके मुँह से उसे छीन लेता था और यदि वह मेरा सामना करता, तो मैं उसकी अयाल पकड़ कर उस पर प्रहार करता और उसे मार डालता था। आपके दास ने तो सिंहों और भालूओं को मारा है।’’ (1 समूएल 17:34-36) राजा दाऊद पहले एक भले चरवाहा बने शायद इसी कारण से एक अच्छे राजा भी बन सके। अपने स्तोत्र 23 में राजा दाऊद ईश्वर की परिकल्पना भी एक ऐसे चरवाहे के रूप में करते हैं जो उसे जीवन की सम्पूणर्ता प्रदान करते हैं; अपनी लाठी और डण्डे से उन्हें सांत्वना देते तथा उसे अपने मंदिर में चिस्थायी स्थान प्रदान करते हैं।

ऐसी पृष्ठभूमि में येसु स्वयं को भले गडेरिये के रूप में प्रस्तुत करते हुए नबी एजेकिएल की भविष्यवाण पूरी करते हैं जिन्होंने इस्राएल को एक भावी भले गडेरिये के आगमन के बारे में सूचित किया था। ’’मैं उनके लिए एक चरवाहे, अपने सेवक दाऊद को नियुक्त करूँगा और वह उन को चरायेगा और उनका चरवाहा होगा। मैं, प्रभु, उनका ईश्वर होऊँगा और मेरा सेवक दाऊद उनका शासक होगा।’’ (एजेकिएल 34:23-24) येसु ही ईश्वर के प्रतिज्ञात भले चरवाहा है जो ईश्वर की इच्छानुसार उनकी देखभाल करते हैं।

येसु का भेडों के प्रति प्रेम उनके पिता के प्रति प्रेम से उपजता है। उसी प्रेम से प्रेरणा पाकर वे अपनी भेडों की देखभाल करते हैं। किसी मनुष्य के लिए अपने प्राणों से बढकर कोई चीज नहीं हैं किन्तु येसु अपने जीवन को भी भेडों की सेवा में अर्पित कर देते हैं। अपने प्रेम की पराकाष्ठा को दर्शाते हुए वे कहते हैं, ’’इस से बडा प्रेम किसी का नहीं कि कोई अपने मित्रों के लिए अपने प्राण अर्पित कर दे।’’ (योहन 15:13) क्रूस पर अपने प्राणों को अर्पित कर येसु ने अपने वचनों को सत्यता प्रदान की। येसु अपने चरवाहे के आदर्श प्रेम, सेवा एवं आत्म-त्याग के कार्य से न सिर्फ चुने हुये लोगों को बल्कि सम्पूर्ण मानवजाति को स्वर्गिक पिता की रेवड बना देगे। इस प्रकार प्रभु भविष्य का वह अकल्पनीय दृष्य प्रस्तुत करते हैं जब सारी मानवजाति का एक ही चरवाहा होगा तथा मानवजाति विभिन्न वर्णों एवं विचारधाराओं में बंटी हुयी न होकर एक ही चरवाहे की भेडे बन जायेगी।


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