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54. वर्ष का तेईसवाँ इतवार

इसायाह 35:4-7अ; याकूब 2:1-5; मारकुस 7:31-37

(फादर रोनाल्ड करदोज़ा)


आज के पहले पाठ में नबी इसायाह उन लोगों से कहते हैं जो भयभीत है कि उनका ईश्वर अपनी प्रजा को बचाने आ रहा है। इसायाह ईश्वर के महान नबियों में से एक थे। उन्होंने अपनी कर्मठता दिखायी और वहाँ के राजा और लोगों के बुरे कर्मों की कठोर शब्दों में निंदा की। लेकिन ईश्वर की प्रजा के लिए भी उनके पास उत्साहवर्धक एवं सांत्वनापूर्ण शब्द थे। उन बुरे लोगों के बीच में बहुत से अच्छे लोग भी थे, उन्हें भी संदेह हो रहा था कि ईश्वर ने जो प्रतिज्ञा इब्राहिम और उनकी संतानों से की थी वह इतनी शताब्दियों में भूला दी गयी थी।

आज के सुसमाचार में हम यह देखते हैं कि येसु एक गूँग एवं बहरे व्यक्ति का चंगा करते हैं। उस व्यक्ति ने पहली बार अपने जीवन में, जीवन के अंश व जीवन के महत्व का अनुभव किया। येसु ने उस बहरे व गूँगे व्यक्ति को क्यों चंगा किया? उन्होंने उसके कान में अपनी उंगलियाँ डालकर उसकी श्रवण शक्ति को क्यों लौटाया? उन्होंने उसकी वाक-शक्ति को क्यों लौटाया? इन प्रश्नों का एक ही उत्तर हैं जो आज के प्रथम पाठ में हमें मिलता है। नबी इसायाह कहते हैं कि जब मसीह आयेंगे तो ये चिह्न प्रकट होंगे-’’बहरे सुनने लगेंगे और जो बोल नहीं सकते वे खुशी से चिल्लाने लगेंगे।‘‘

गूँगे व बहरे व्यक्ति की चंगाई हमें येसु के कुछ खास व्यक्तित्व व गुण को दर्शाती है येसु दयालु व्यक्ति हैं। हम ये देखते हैं कि येसु विशेष तरीके से उसको चंगा करते हैं। येसु उसको भीड़ से दूर ले जाते हैं और उसके कानों में अपनी उँगलिया डालकर और उसकी जीभ पर अपना थूक लगाकर उसे चंगा करते हैं। ऐसा करने से हम यह अनुभव करते हैं कि येसु उसे सच्चा प्यार एवं सहानुभूति दिखाते हैं तथा ऐसी परिस्थिति में उसे प्राथमिकता देते हैं। बहरे व गूँगे की चंगाई यह दर्षाती है कि येसु ही ‘मसीह‘ है। यहाँ येसु के मानवीय गुण भी स्पष्ट झलकते हैं कि वे कितने दयालु और संवेदनशील व्यक्ति है। यह हर ख्रीस्तीय विश्वासी के लिए एक बहुत बड़ा उदाहरण है। मदर तेरेसा ने एक बार कहा था कि इस दुनिया में हजारों गरीब रहते हैं परन्तु जब हम एक गरीब की सेवा करते हैं तो हमें ऐसा महसूस होना चाहिए कि हम सिर्फ उस व्यक्ति की ही सेवा कर रहे हैं।

बहरे व गूँगे व्यक्ति की चंगाई आज बहुत से लोगों के जीवन में आशा का स्त्रोत बन गयी है। हमारी दशा उस बहरे-गूँगे की भांति नहीं है। हम शारीरिक रूप से बहरे और गूँगे तो नहीं है, लेकिन आध्यात्मिक रूप से, क्योंकि हम एकचित होकर प्रार्थना नहीं कर सकते, न तो हम ईश्वर से बात कर सकते हैं और न ही ईश्वर की वाणी सुन सकते हैं। हम आध्यात्मिक रूप से गूँगे व बहरे हैं। दूसरे पाठ में संत याकूब अपने विष्वासी भाईयों को एक उदाहरण देकर बताते हैं कि लोग साधारणतः सभा में सोने की अंगूठी व साफ वस्त्र पहने व्यक्ति का विशेष ध्यान देकर आदरपूर्वक अच्छे आसन पर विराजने को कहते हैं और फटे-पुराने गंदे कपड़े पहने कंगाल को तुच्छ समझकर नीचे बैठने को कहते हैं। इस प्रकार हम अपने आध्यात्मिक गूँगेपन एवं बहरेपन को दर्शाते हैं। लोगों में हम ईश्वर की संतान की गरिमा को न देखकर, न समझकर मन में भेद-भाव और गलत विचार के अनुसार निर्णय लेने लगते हैं।

इस परिस्थिति में हम क्या कर सकते हैं? इसका उत्तर हमें आज के सुसमाचार में मिलता है। हम वो कर सकते हैं जो बहरे व गूँगे व्यक्ति ने किया। भीड़ से कहीं दूर हम येसु के पास जा सकते हैं और उनके प्रेम व शांतिपूर्ण सानिध्य में कुछ समय बिता सकते हैं और आध्यात्मिक चंगाई प्राप्त कर सकते हैं। समाज में हम कितनी बार अन्याय देखते हैं? कितनी बार हमारी आँखों के सामने लोगों की बेइज्जती होती है? कितने गरीब हमारे ही सामने सताये जाते हैं? कितने लोग हमारे समर्थन की आशा रखते हैं? इस सबों के सामने जो हमारी मदद और सहयोग की कामना करते हम गूँगे-बहरे बन जाते हैं।

आज का सुसमाचार हमें यह चुनौती दे रहा है कि हम येसु को अपने आध्यात्मिक जीवन को छूने का अवसर प्रदान करें, जिससे कि वे हमारे जिह्वा के बंधन खोल दे और अपनी उंगलियाँ डालकर हमारे कानों के पर्दे खोल दें, जिससे हम मुक्तकंठ :ईश्वर की प्रशंसा कर सकें और उनकी वाणी को हर घड़ी सुन सकें।

आज का सुसमाचार हमें कुछ करने के लिए निमंत्रण देता है। यह हमें निमंत्रण देता है कि हम कुछ समय के लिए अलग रहे जिससे येसु हमारे लिए भी कुछ करें जैसे उन्होंने गूँगे एवं बहरे व्यक्ति के लिये किया। यह हमें निमंत्रण देता है कि येसु हमारे आध्यात्मिक गूँगेपन एवं बहरेपन को चंगा करे। गूँगे एवं बहरे व्यक्ति की घटना तीने बातें प्रस्तुत करती है। पहली, बात यह है कि येसु इस्राएल के मसीह है जिसकी उन्हें लम्बे समय से प्रतीक्षा थी। येसु वही करते हैं जिनकी नबी इसायाह ने भविष्यवाणी की थी कि आने वाले मसीह अपने लोगों के लिए क्या करेंगे। दूसरी, बात यह है कि येसु एक दयालु व्यक्ति है। येसु बहरे-गूँगे व्यक्ति को चंगा करने हेतु उसे भीड़ से दूर ले जाते हैं। इस चंगाई को एक सार्वजनिक प्रदर्शन नहीं बनाना चाहते हैं। येसु उससे अकेले एवं व्यक्तिगत रूप से मिलते हैं। अंतिम बात यह है कि आज का सुसमाचार हमारी गूँगेपन एवं बहरेपन की समस्या का समाधान प्रस्तुत करता है। येसु के पास जाना और उनसे अकेले में मिलना ही इसका समाधान है। हम प्रतिदिन प्रार्थना के लिए कुछ समय अलग कर येसु को हमें छूने, चंगा करने और पूर्ण रूप से स्वस्थ करने का और एक अवसर प्रदान करें, और देखें कि येसु हमारे लिये क्या नहीं करेंगे! वे तो केवल अवसर की ताक में हैं कि कब हम उसकी ओर देखें और उनको पुकारे।


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