Fr. Preetam

चक्र स -14. वर्ष का दूसरा इतवार

इसायाह 62:1-5; 1 कुरिन्थियों 12:4-11; योहन 2:1-11

(फादर प्रीतम वसुनिया - इन्दौर धर्मप्रांत)


पिछले सप्ताह हमने प्रभु येसु के बपपिस्मा का पर्व मनाया। यर्दन नदी में योहन बपतिस्ता से बपतिस्मा ग्रहण करने के बाद प्रभु येसु अपना सार्वजनिक जीवन प्रारम्भ करते हैं। अब तक वे अपने माता-पिता के साथ उनके कार्यों में हाथ बँटा रहे थे। लेकिन अब से वे अपने स्वर्गीक पिता के कार्यों को प्रारम्भ करते हैं जिसके लिए वे इस जग में आये थे। आज प्रभु येसु, काना के विवाह भोज में अपनी सेवकाई के कार्य का पहला चमत्कार दिखाकर अपनी ईश्वरीय महीमा को प्रकट करते हैं।

काना के विवाह भोज में उपस्थित होकर प्रभु येसु ने विवाह के प्रतिष्ठान को पवित्र कर दिया। उन्होंने विवाह को एक पवित्र संस्कार की गरीमा प्रदान की। काना के विवाह में प्रभु येसु की उपस्थिति यह दर्षाती है कि हर एक ख्रीस्तीय विवाह में प्रभु स्वयं उपस्थित होते हैं। और प्रभु जीवन भर हमारे वैवाहिक जीवन में, हमारे पारिवारिक जीवन में, हमारे साथ रहना चाहते हैं। क्या हम प्रभु को हमारे परिवारों में हमारे वैवाहिक जीवन में आमंत्रित करते हैं? उन्हें हमारे घरों में जगह देते हैं? यदि हम प्रभु को हमारे साथ रहने देंगे तो प्रभु हमारे जीवन में भी कार्य करेंगे, चमत्कार करेंगे जैसे कि आज के सुसमाचार में प्रभु काना के विवाह में करते हैं।

काना के विवाह के चमत्कार में माता मरियम की भूमिका बहुत ही अहम है। यहूदी प्रथा के अनुसार अंगूरी के बिना कोई शादी नहीं होती थी। ऐसे में अंगूरी का खत्म हो जाना उस परिवार के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात थी। यहाँ उनके मान-सम्मान व उनकी गरीमा का सवाल था। समाज में उनकी बेइज्जती होने वाली थी। लोगों के सामने उन्हें नीचा देखना पडता। माँ मरियम को ये बात पता चलती है। उनकी परेषानी को भाँपकर वे अपने बेटे के पास जाती है। और जाकर कहती हैं - ‘‘उन लोगों के पास अंगूरी नहीं रह गयी है।’’ माँ मरियम ने अब तक अपने बेटे को कोई चमत्कार करते तो नहीं देखा था। 30 सालों तक वो बस एक साधारण इंसान की तरह उनके अधीन रहा था। फिर माता मरियम के पास इतना विश्वास कहाँ से आया कि वो सीधे अपने बेटे के पास जाकर कहती है कि उनके पास अंगूरी समाप्त हो गयी है और यह उम्मिद करती है कि वो कोई चमत्कार करके अंगूरी बना देगा? माता मरियम ने स्वर्गदूत के संदेश पर विश्वास किया था कि वो ‘ईश्वर की माता’ बनने वाली है। एलिजबेथ ने उनसे कहा था - ‘‘मुझे ये सौभाग्य कैसे मिला कि मेरे प्रभु की माँ मुझसे मिलने आयी।’’ उन्हें याद थी धर्मी सिमियोन तथा अन्ना की वे बातें जो उन्होंने प्रभु येसु के बारे में कही थीं व स्वयं प्रभु येसु के वचन जब वे मंदिर में 12 साल की आयु में खो गये थे, उन्होंने कहा था कि क्या तुमको यह पता नहीं था कि मैं मेरे पिता के घर में होऊगा। संत लूकस हमसे कहते हैं कि ‘‘माता मरियम ने इन सब बातों को अपने हृदय में संचित रखा व उन पर मनन-चिंतन किया करती थी’’ उन्हें पता था कि उनका बेटा सचमुच में ईश पुत्र है। इसलिए उन्हें विश्वास था कि वह कुछ भी कर सकता है। माँ का विश्वास बहुत ही दृढ था, पक्का था। प्रभु येसु उन्हें जवाब देते हैं कि आपको और मुझको इससे क्या? याने अंगूरी खत्म हो गयी तो आप क्यों चिंता कर रही हैं। घर वाले व्यवस्था करेंगे, हम तो मेहमान हैं। और मेरा समय भी अभी नहीं आया है। इसको पढ़कर ऐसा लगता है कि प्रभु येसु की उस दिन चमत्कार करने की मंषा नहीं थी। एक ओर उन्हें ये अच्छी तरह से पता था कि वे स्वयं ईश्वर हैं और वे यह कर सकते हैं लेकिन उनका समय नहीं आया था। वहीं दूसरी ओर जिस नारी ने उनसे विनती की थी, वह वही नारी थी जिसने उन्हें मानव शरीर दिया था। यह वही नारी है जिसने ईश पुत्र को नौ महिने तक अपने गर्भ में धारण किया था। यह वही माँ है जिसने प्रभु येसु को बचपन से लेकर बढ़े होने तक अपने हाथों से खिलाया - पिलाया, यह वही माँ है जिसकी ममता के आअाँचल में दुनिया का मुक्तिदाता बढा हुआ था। इसलिए प्रभु येसु ने अपनी माँ की माँग को नहीं ठूकरायाा। आज भी वे ऐसा ही करते हैं। जब कभी माँ मरियम हम बच्चों की प्रार्थनायें लेकर अपने बेटे के पास जाती हैं, वह उन्हें सुन लेता है। वो हमारी प्रार्थनाओं का जवाब देता है। माँ मरिमय ने जो काम काना के विवाह में किया था वो आज भी जारी रखती है। वो नित्य हमारे लिए, अपने बेटे के सम्मुख प्रार्थना करती रहती है।

प्रभु माँ मरियम से कहते हैं कि इससे मुझे और आपको क्या, मेरा समय नहीं आया है। परन्तु इस पर माँ मरियम निराष नहीं होती हताष नहीं होती उन्हें पूरा विश्वास था इसलिए वह जाकर सेवकों से कहती हैं - जैसा वो तुमसे कहते हैं वैसा ही करो। माँ की प्रार्थना व इस दृढ विश्वास के सामने प्रभु स्वयं को रोक नहीं पाये व उन्होंने अपना पहला चमत्कार दिखाया। उन्होंने पानी को अंगूरी में बदल दिया। माँ मरियम हम सब से भी आज यही कह रही हैं। जैसा प्रभु येसु कहते हैं वैसा ही करो। जिहाँ प्यारे भाईयों और बहनों, जब हम जैसा प्रभु येसु हमसे कहते हैं वैसा करेंगे तो हमारे जीवन में भी चमत्कार होंगे, चिंन्ह होंगे। हम हमारे जीवन में, हमारे परिवारों में, हमारे कामों में, हमारी पढ़ाई-लिखाई में हम चमत्कार देंखेंगे। बस हमें वही करना है जैसा प्रभु हम से कहते हैं। प्रभु हमसे क्या कहते हैं, वे हमसे क्या चाहते हैं, ये हमें कैसे पता चलेगा? वचन से!! पवित्र बाइबल से!!! जब हम प्रभु के वचनों को पढेंगे तो हमें पता चलेगा कि प्रभु हमसे क्या चाहते हैं, प्रभु हमें क्या कह रहे हैं। जब हम हमारी दैनिक प्रार्थनाओं में प्रभु से बातें करेंगे तो हमें पता चलेगा कि प्रभु हमसे क्या कह रहे हैं। यदि हम हमारे जीवन में प्रभु की महिमा देखना चाहते हैं, चिन्ह और चमत्कार देखना चाहते हैं तो जैसा प्रभु हमसे कहता है वैसा ही करना बहुत ही जरूरी है। कई बार हम अन्य लोगों के जीवन में चमत्कार होते देखते व सुनते हैं लेकिन हमारे जीवन में कुछ नहीं होता। क्योंकि शायद हम जैसा प्रभु हमसे कहते हैं वैसा नहीं करते। परन्तु जैसा हम चाहते हैं वैसा करते हैं। हम हमारी मन-मरजी करते हैं।

आईये हम प्रभु येसु और माँ मरियम को हमारे परिवारों में आमंत्रित करें। परिवारों में नित्य रोजरी माला विनती बोलें, प्रभु के वचनों को पढें उन पर मनन चिंतन करें। व प्रभु हमसे जो कहते हैं वैसा ही हम करें।

आमेन।


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