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चक्र स - 56. वर्ष का पच्चीसवाँ इतवार

आमोस 8:4-7; 1 तिमथी 2:1-8; लूकस 16:1-13

(फादर साइजू कोलारिक्कल)


हज़ारों साल पहले पोम्पई शहर ज्वालामुखी के फटने से तबाह हो गया था। ज्वालामुखी के लावे में पत्थर जैसे इंसानों के शरीर और मकानों के मलबे जम गए थे। शहर के लोग ज्वालामुखी के फटने की खबर सुनकर शहर से भाग गए। फिर भी एक महिला अपने घर की सम्पत्ति को इकट्ठा कर रही थी। सोने के सिक्के और चांदी के सामान को लेकर वह खिड़की से कूदने ही वाली थी कि अचानक पूरा शहर लावे में डूब गया, जिससे वह औरत भी सम्पत्ति सहित जल कर मर गई।

इसके साथ मैं आप सबों का ध्यान आज के सुसमाचार के कुछ वाक्यों की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ, साथ ही हम यह भी देखे कि प्रभु येसु हमारे लिए क्या संदेश देना चाहते हैं। जब भी हम सड़क पर यात्रा करते हैं तब यातायात से संबधित विभिन्न चिह्न और सावधानी बरतने के बोड़र्स आगे देखते हैं, जैसे कि अंधा मोड़, संकीर्ण पुल, घाट आदि। ये चिह्न जगह-जगह पर बार-बार दिखाई देते हैं। फिर भी वाहन चालक इन्हें देखकर क्रुद्ध नहीं होते बल्कि उनके प्रति आभारी होते हैं क्योंकि इन्हीं के कारण वे दुर्घटनाओं से बचते हैं। इसी तरह हमारी स्वर्ग की ओर यात्रा में, हमें काफी खतरों व दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता है। पवित्र काथलिक कलीसिया अपने बच्चों को इन खतरों से सचेत करती हैं। आज के पाठ के द्वारा माता कलीसिया हमें एक प्रमुख खतरे से आगाह करती है, वह है धन-दौलत के प्रति प्रेम।

पुराने विधान में हम देखते हैं कि जब इस्राएली लोग प्रतिज्ञात देश पहुँचे, तब उन्होंने वहाँ की भूमि को बराबर हिस्सों में विभिन्न जातियों तथा उन जातियों के परिवारों के बीच बांट दिया। जैसे कि हमेशा होता हैं, कुछ लोगों ने अपनी भूमि को दूसरों को बेच दिया जिससे कुछ लोगों के हाथों में अधिक ज़मीन आ गई। दूसरे व्यक्ति इन ज़मीनदारों की ज़मीन पर काम करने लगे और समय-समय पर ज़मीनदारों को नियमित लगान अदा करते थे। ज़मीनदार दूर रहते थे, इसलिए ज़मीन की देखरेख के लिए कारिंदे रखते थे। किसानों से लगान वसूल करके ज़मीनदार तक पहुँचाना कारिंदे की ज़िम्मेदारी थी। ज़्यादातर कारिंदे इसका फायदा उठाते थे। वे गरीब किसानों से ज़्यादा लगान लेते थे ताकि वे धनी हो जाए। आज हम सुसमाचार में एक ऐसे ही कारिंदे को देखते हैं। ज़मीनदार ने पाया कि कारिंदा बेईमानी कर रहा है और उसने उसे नौकरी से निकालने का निर्णय लिया। यह देखकर कारिंदे ने निर्णय किया कि वह कम लगान लेगा जिससे लोगों के सामने उसका अच्छा नाम हो जाए।

अब यह सवाल उठता है कि प्रभु येसु ने इस बेईमान कारिंदे की तारीफ क्यों की? संत लूकस के सुसमाचार 16:8 में हम देखते हैं कि स्वामी ने बेईमान कारिन्दे को इसलिए सराहा कि उसने चतुराई से काम किया, क्योंकि इस संसार की संतान आपसी लेन-देन में ज्योति की संतान से अधिक चतुर हैं। संसार के पुत्र-पुत्रियाँ अंधकार में हैं अर्थात् विश्वास रहित हैं, जिसका मुख्य मकसद केवल अधिक धन व उन्नति प्राप्त करना है। परन्तु येसु चाहते हैं कि उनके षिष्य ज्योति में जीयें। अगर ईश्वर के राज्य में जगह पानी है तो स्वयं को सच्चे एवं अटल विश्वास के साथ प्रयत्न करना चाहिए। धन और संसार की वस्तुएं वास्तव में हमारी नहीं हैं। परमेश्वर यह सब हमें कुछ समय के इस्तेमाल के लिए देते हैं। हम स्वयं मालिक नहीं हैं बल्कि कारिंदे हैं और हमारी मृत्यु के साथ ये सब यहीं छुट जायेगा। हमें ईश्वर ने भले कारिंदे बनने के लिए बुलाया है कि हम ईमानदारी के साथ प्रभु से प्राप्त धन और अन्य सम्पत्ति का सदुपयोग करें।

वह धन-सम्पत्ति अनुचित है जिस हम दूसरों से जोर-जबरदस्ती कर प्राप्त करते हैं। आज का पहला पाठ हम सबों को इसी बात पर चिंतन करने के लिये प्रेरित करता है। यूदा का राज्य भी इस सांसारिक सम्पत्ति पाने की कगार पर था, परंतु जैसा कि आम तौर पर होता है। गरीब और भी ज़्यादा गरीब हो गए, अमीर और अधिक अमीर। नबी आमोस ने नेताओ तथा धनी व्यक्तियों को उनके गरीबो के षोषण तथा क्रूरता के लिए फटकारा। इसके द्वारा हम सबों को यह षिक्षा मिलती है कि जो धन हमारे पास है वह परमेश्वर का है। अर्थात् हम जो भी ईश्वर को चढ़ाते, अर्पण करते हैं वह भी उसी अंश का छोटा-सा हिस्सा हैं जिसे ईश्वर ने हमें दिया है। इसलिए हमें गरीबों की सहायता करने से स्वयं को कभी भी सीमित नहीं करना चाहिए।

आज के पाठों से यह साफ है कि धन-संपत्ति के साथ अच्छा खीस्तीय जीवन बिताना कठिन है। हमें हमेशा सचेत रहना चाहिए और उस साधन पर ध्यान देना चाहिए जिसके द्वारा हम धन ईमानदारी से ही एकत्र करें तथा जो ईश्वर को स्वीकार्य हो। आइए आज हम संत पौलुस के साथ प्रार्थना करें कि जिन लागों को ईश्वर ने सत्ता का कार्यभार सौंपा है वे अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभायें जिससे समाज में अन्याय न फैलें। आइए हम गरीबों के लिए प्रार्थना करें कि वे प्रभु येसु के प्रेम का अनुभव करें। साथ ही हम धनी व्यक्तियों के लिए भी प्रार्थना करें कि ईश्वर उनका हृदय परिवर्तन करें जिससे वे गरीबों का शोषण न करें बल्कि मदद करें। हम स्वयं के लिए प्रार्थना करें कि हमारे खीस्तीय समुदाय में कोई अन्याय न हो। आइए हम सब ईमानदार कारिंदे बनें तथा छोटी से छोटी बातों में भी ईमानदार बने रहें जिसे परमेश्वर ने हमें सौंपा है तथा अनंत जीवन के भागी बन सकें।


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