Nilesh Singadia

संत स्तेफ़नुस का पर्व

पहला पाठ- प्रेरित चरित 6:8-10;7:54-60; सुसमाचार - मत्ती 10:11-22

ब्रदर नीलेश सिंगादिया (झाबुआ धर्मप्रांत)


ख्रीस्त में आदरणीय प्यारे दोस्तों, आज माता कलीसिया प्रथम शहीद संत स्तेफ़नुस का पर्व बड़े गर्व के साथ मना रही है। जिन्होंने अपना जीवन येसु का साक्ष्य देने तथा सुसमाचार की घोषणा के खातिर साहस एवं विश्वास के साथ कुर्बान कर दिया था। संत स्तेफ़नुस येसु ख्रीस्त के सच्चे शिष्य थे जिन्होंने ख्रीस्त के प्रेम को अपने हृदय में गहराई से अपनाया तथा उस प्रेम का अनुभव अपने जीवन में किया था। शिष्य के लिए उसके गुरू का जीवन एकमात्र आदर्श होता है। हर शिष्य अपने गुरू के समान बनने का प्रयत्न करता है। इस बात संत स्तेफ़नुस पर भी लागू होती है। येसु ख्रीस्त उसके जीवन की एकमात्र प्रेरणा के स्त्रोत थे। शत्रुओं को क्षमा प्रदान करना कितना कठिन कार्य हैं। फिर भी संत स्तेफ़नुस ने ख्रीस्त की भाँति अपने शत्रुओं को माफ कर दिया। संत स्तेफ़नुस पवित्र आत्मा के अनुग्रह एवं सामर्थ्य से परिपूर्ण थे। जिस तरह शास्त्री एवं फरीसी येसु से निरंतर ईर्ष्या करते तथा उनको नष्ट करने के उपाय खोजा करते थे उसी प्रकार वे स्तेफ़नुस से भी ईर्ष्या करते थे। तथा इस ईर्ष्या से प्रेरित होकर उन्होंने स्तेफ़नुस पर झूठा दोषारोपण किया तथा उन्हें पत्थरो से मार डाला। फिर भी मरने के पूर्व उन्होंने अपने सभी शत्रुओं को माफ कर ख्रीस्त के सच्चे शिष्य होने का प्रमाण दिया।

आज के पहले पाठ मे हमने सुना कि संत स्तेफ़नुस अनुग्रह तथा सामर्थ्य से परिपूर्ण होकर जनता के सामने बहुत चमत्कार तथा चिन्ह दिखाते थे। उसके पास ज्ञान एवं प्रज्ञा का भण्डार था क्योंकि वे आत्मा से प्रेरित होकर बोलते थे। उस प्रज्ञा तथा ज्ञान के लिए उन्हें कोई परिश्रम नहीं करना पड़ा, क्योंकि यह उपहार उन्हें मुफ्त में ईश्वर की कृपा के रूप में मिला था। प्रभु येसु का शिष्य बनने के लिए बहुत सी चीजों को त्यागने की आवष्यकता होती है। सब चीजों का आत्म-त्याग करने से ही संत स्तेफ़नुस ईश्वर के बहुत करीब थे। जब हम ईश्वर के पास होते हैं तो उस समय हमारे पास कई प्रलोभन एवं दुःख तकलीफें आती हैं। पर प्रभु येसु हमें उन सब का सामना करने के लिए आवश्यक साहस, मनोबल एवं प्रोत्साहन प्रदान करते हैं।

आज के सुसमाचार में येसु ख्रीस्त कहते हैं ’’मनुष्यों से सावधान रहो, वे तुम्हें अदालतों के हवाले कर देंगे और अपने सभागृहों में तुम्हें कोड़े लगायेंगे।...मेरे नाम के कारण सब लोग तुम से बैर करेंगे...’’। प्रभु येसु द्वारा की गई भविष्यवाणी आज हमारे समाज में वास्तविकता बनते दिखाई दे रही है। कितने निर्दोष लोग अपने विश्वास का साक्ष्य देने में अनेक तरह के अन्याय और अत्याचार सह रहें हैं। उस कठिन समय के लिये प्रभु येसु ने बहुत ही सांत्वनादायक शब्दो में कहा, “...कहा गया है अपने पडोसी से प्रेम करो और अपने बैरी से बैर। परन्तु मैं तुम से कहता हूँॅ अपने शत्रुओं से प्रेम करो और जो तुम पर अत्याचार करते हैं, उनके लिए प्रार्थना करो। इससे तुम स्वर्गिक पिता की संतान बन जाओगे...।” (मत्ती 5:43-45)

जब हम प्रभु को अपना गुरू मानते हैं और उनकी आराधना करते हैं तब क्या यह उचित नहीं है कि हम उसकी इच्छा के अनुसार जीवन भी बितायें? क्या हम येसु ख्रीस्त के लिए अत्याचार सहने के लिए तैयार हैं? यदि हमें अत्याचार का डर सता रहा हो तो हमें प्रभु के उन वचनों को याद रखना चाहिए जब प्रभु ने कहा, ’’यदि संसार तुमसे बैर करे तो याद रखो कि तुमसे पहले उसने मुझसे बैर किया।... मैंने तुमसे जो बात कही उसे याद रखो - सेवक अपने स्वामी से बड़ा नही होता। यदि उन्होंने मुझे सताया है तो वे तुम्हें भी सतायेगे।...”(योहन 15:18, 20)

यदि हम वर्तमान परिवेष पर नज़र दौडायें तो पायेंगे कि इन्सान आज भौतिक संपन्नता एवं धन दौलत के पीछे दौड़ रहा है। वह धन-लोलूपता की प्रवृति से प्रभु येसु के प्रेम से कोसों दूर भटक गया है। ऐसी परिस्थितियों में मसीह के प्रेम को दूसरों तक पहुँचाना एक कठिन चुनौती बनती जा रही है। क्योंकि हम जिन्हें येसु के संदेश के साक्ष्य देने के लिए चुना गया है स्वयं सुसमाचार की वास्तविकता से भाग रहे हैं। हम येसु का अनुसरण उस हद करना चाहते हैं जिसमें हमें कोई कष्ट या संकट न सहना पडे। हम येुसु के शिष्य होने के नाते प्रणाम-प्रणाम तो सुनना चाहते हैं किन्तु आत्म-त्याग का क्रूस उठाने में असमर्थ रहते हैं। संत स्तेफ़नुस का जीवन आज हमारे ढीले-ढाले विश्वास एवं जीवन के लिए एक चुनौती प्रस्तुत करता है। उनका त्याग एवं जीवन हमें चेतावनी दे रहा है। क्या हम अपने सुख-संसाधनों को त्याग कर, दुखभोग एवं अत्याचार सहने का जीवन जीने के लिए तैयार हैं? यदि हमारा उत्तर नकारात्मक है तो आज के त्योहार का हमारे जीवन में कोई महत्व नहीं है।

आइए हम संत स्तेफ़नुस की मध्यस्थता द्वारा प्रभु येसु से प्रार्थना करे ताकि हम विश्वास में दृढ़ बनें, आत्मा के सामर्थ्य एवं अनुग्रह से पूर्ण बनें तथा सुसमाचार का साक्ष्य देने के लिए तत्पर बने रहें। हम भी सतं स्तेफ़नुस के समान अपने शत्रुओं को क्षमा करके उन्हें मन-परिवर्तन का मार्ग दिखा सकें। संत स्तेफ़नुस हमारे लिए प्रार्थना करें। आमेन


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