यूखरिस्तीय प्रार्थना – 5

(मेल-मिलाप – 1)

पु० : प्रभु आप लोगों के साथ हो।

सब: और आपकी आत्मा के साथ।


पु० : प्रभु में मन लगाइए।

सब: हम प्रभु में मन लगाए हुए हैं।


पु० : हम अपने प्रभु ईश्वर को धन्यवाद दें।

सब: यह उचित और न्यायसंगत है।


(पुरोहित अपने हाथों को फैलाए हुए बोलते हैं : )


पु० : हे प्रभु, पवित्र पिता, सर्वशक्तिमान् और शाश्वत ईश्वर, यह वास्तव में उचित और न्यायसंगत है, हमारा कर्त्तव्य तथा कल्याण है कि हम सदा और सर्वत्र तुझे धन्यवाद दें। क्योंकि तू हमें निरंतर प्रेरणा देता है कि हम प्रतिदिन जीवन की पूर्णता की ओर बढ़ते जाएँ। तू प्रेममय और दयालु है, इसलिए तू सदा पापियों को क्षमा और आश्रय प्रदान करना चाहता है। हमने बार-बार तेरा व्यवस्थान भंग किया, फिर भी तूने हमसे मुँह नहीं मोड़ा, बल्कि हमारे मुक्तिदाता अपने पुत्र येसु के द्वारा मानवजाति के साथ प्रेम का नवीन और अटूट सम्बंध स्थापित किया। तू चाहता है कि मेल-मिलाप की इस अवधि में तेरी प्रजा येसु खीस्त की ओर लौटकर हृदय की आशा प्राप्त करे और पवित्र आत्मा की प्रेरणा से मानवजाति की सेवा करे। इसलिए, हम तेरा गुणगान और धन्यवाद करते हैं, और असंख्य स्वर्गदूतों के साथ मिलकर तेरे प्रेम की महिमा और मुक्ति का जयगान करते हैं :


सब: पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु विश्वमण्डल के ईश्वर ! स्वर्ग और पृथ्वी तेरी महिमा से परिपूर्ण हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना ! धन्य हैं वे, जो प्रभु के नाम पर आते हैं। सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना !


(पुरोहित अपने हाथों को फैलाए हुए बोलते हैं : )


पु० : हे प्रभु, तू वास्तव में पवित्र है। सृष्टि के आरम्भ से ही तू मनुष्य के कल्याण के लिए कार्यरत है, ताकि वह तेरे ही समान पवित्र बन जाए।


(वे करबद्ध होते हैं और अपने हाथों को भेंट के ऊपर फैलाए हुए बोलते हैं : )


पु.पु० :अपनी प्रजा के इन उपहारों पर कृपादृष्टि डाल और पवित्र आत्मा के सामर्थ्य से


(वे करबद्ध होते हैं और रोटी तथा कटोरे पर एक साथ एक बार क्रूस का चिह्न बनाते हुए बोलते हैं : )


पु० : इन्हें अपने प्रिय पुत्र येसु खीस्त के शरीर तथा + रक्त में बदल दे,


पु.पु० :हम सबको भी उन्हीं में तेरे पुत्र-पुत्रियाँ बनने का सौभाग्य मिला है। जब हमलोग सचमुच विनाश के पथ पर बढ़ रहे थे और तेरे सम्मुख उपस्थित होने के सर्वथा अयोग्य थे, तो तूने हमारे प्रति अपना असीम प्रेम प्रदर्शित किया; तेरे एकमात्र धर्मनिष्ठ पुत्र ने स्वयं को हमारे लिए अर्पित कर दिया और क्रूस के काठ पर चढ़ने से नहीं हिचके। उन्होंने आकाश और पृथ्वी के बीच अपनी भुजाएँ फैलाकर तेरे व्यवस्थान का अमर चिह्न प्रदर्शित किया। इससे पहले उन्होंने अपने शिष्यों के साथ पास्का-समारोह मनाना चाहा।


निम्नलिखित प्रार्थनाओं में प्रभु के शब्दों का स्पष्ट और अक्षरश: उच्चारण किया जाना चाहिए, क्योंकि यह इन शब्दों की प्रकृति द्वारा अपेक्षित है।)


पु.पु० : अपने शिष्यों के साथ भोजन करते समय


(वे रोटी लेते हैं और उसे वेदी के थोड़ा-सा ऊपर उठाकर जारी रखते हैं : )


पु.पु० : येसु ने रोटी ली, तुझे धन्यवाद दिया और रोटी तोड़कर उसे अपने शिष्यों को देते हुए कहा :


वे थोड़ा नतमस्तक होते हैं।)


पु.पु० : तुम सब इसे लो और इसमें से खाओ, क्योंकि यह मेरा शरीर है, जो तुम्हारे लिए बलि चढ़ाया जाएगा।


वे लोगों को प्रतिष्ठित होस्तिया दिखाते हैं; और उसे पुन: थालिका में रखकर आराधना में नतजानु होते हैं। इसके बाद वे जारी रखते हैं : )


पु.पु० : इसी भाँति भोजन के अंत में,यह भली-भाँति जानते हुए कि क्रूस से बहे लहू द्वारा वह सब कुछ का स्वयं में मेल करने वाले थे,


(वे कटोरा लेते हैं और उसे वेदी के थोड़ा-सा ऊपर उठाकर जारी रखते हैं : )


पु.पु० : उन्होंने दाखरस-भरा कटोरा लिया, तुझे पुन: धन्यवाद दिया और उसे अपने शिष्यों को देते हुए कहा ;


(वे थोड़ा नतमस्तक होते हैं :)


पु.पु० : तुम सब इसे लो और इसमें से पिओ, क्योंकि यह मेरे रक्त का कटोरा है, नवीन और अनंत व्यवस्थान का रक्त, जो तुम्हारे और बहुतों के पापों की क्षमा के लिए बहाया जाएगा। तुम मेरी स्मृति में यह करो।


(वे लोगों को कटोरा दिखाते हैं; और उसे पुन: दिव्यान्नपट पर रखकर आराधना में नतजानु होते हैं। तब वे बोलते हैं : )


पु० : विश्वास का रहस्य।


सब:हे प्रभु, हम तेरी मृत्यु और पुनरुत्थान की घोषणा तेरे पुनगगमन तक करते रहेंगे।


अथवा


हे प्रभु, जब हम यह रोटी खाते और यह कटोरा पीते हैं, तेरे पुनरागमन तक तेरी मृत्यु की घोषणा करते हैं।

अथवा

हे विश्व के उद्धारकर्त्ता, हमारा उद्धार कर। तूने अपने क्रूस तथा पुनरुत्थान द्वारा हमें मुक्त किया है।


(तब पुरोहित अपने हाथों को फैलाए हुए बोलते हैं : )


पु.पु० : इसलिए, हम तेरे पुत्र येसु खीस्त की स्मृति मनाते हैं जो हमारे पास्का और सच्ची शांति हैं, हम उनकी मृत्यु तथा पुनरुत्थान का समारोह मनाते और उनके धन्य पुनरागमन की बाट जोहते हैं। हे हमारे सत्यप्रतिज्ञ और दयालु ईश्वर, हम तुझे यह बलि का मेमना चढ़ा रहे हैं, जो मानवजाति का तेरे साथ मेल-मिलाप कराता है। हे परम करुणावान् पिता, हम सब पर दयादृष्टि डाल, तूने हमें अपने पुत्र के बलिदान में एक होने के लिए बुलाया है, ऐसी कृपा कर हम एक ही रोटी और एक ही कटोरे के सहभागी होकर पवित्र आत्मा के सामर्थ्य से खीस्त में एक शरीर बन जाएँ, जो हमारे सारे मतभेद मिटा देता है।


पु०1 : हमें ऐसी कृपा प्रदान कर कि हम अपने संत पिता (नाम) और अपने धर्माध्यक्ष (नाम) के साथ मन और हृदय की एकता बनाये रखें। तेरी सहायता से हम उस क्षण तक तेरे राज्य के आगमन की तैयारी में लगे रहें, जब स्वर्गलोक में संतों के साथ हमें भी तेरे सम्मुख उपस्थित होने का सौभाग्य प्राप्त होगा। उस समय ईश्वर की माता धन्य कुँवारी मरियम, उनके वर धन्य योसेफ, धन्य प्रेरितों और सब संतों, तथा अपने मृत भाई-बहनों के साथ हम तेरा प्रशंसागान कर सकेंगे। तब सब प्रकार के पाप से मुक्त होकर हम नवप्राणियों के कण्ठों से


(वे करबद्ध होते हैं)


c: अमर ख्रीस्त का कृतज्ञता-गान गूँज उठेगा।


(वे कटोरे, तथा थालिका में होस्तिया लेते हैं और दोनों को ऊपर उठाते हुए बोलते हैं : )


पु.पु० : इन्हीं प्रभु खीस्त के द्वारा, इन्हीं के साथ और इन्हीं में, हे सर्वशक्तिमान पिता ईश्वर, पवित्र आत्मा के साथ, सारा गौरव तथा सम्मान युगानुयुग तेरा ही है।

सब: आमेन।

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