सन्ध्या-वन्दना

वर्ष का सामान्य सप्ताह - 1 बृहस्पतिवार


अगुआ : हे ईश्वर, हमारी सहायता करने आ जा।

समूह : हे प्रभु, हमारी सहायता करने शीघ्र ही आ जा।


अगुआ : पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।

समूह : जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन।


मंगलगान


येसु हमारा जीवन स्वामी वो ही हमारा दाता है।
उससे हमारा, हमसे उसका, सदा-सदा का नाता है॥

कण-कण में वो ही बसता है, चाँद सूरज उसकी छाया।
अम्बर-जल-थल में सिमटी है, महारूप की लघु काया।
सुबह शाम का पहला तारा उसके ही गुण गाता है॥

एक इशारे पर ही जिसके, नियम बदलते हैं सारे।
दुख पातक सारे कट जाते, मुक्तिवान होती काया।
घुमड़ घटा सागर थर्राता वो ही पार लगाता है॥

दानवता के महा कलुष को अपने रक्त से है धोया।
देह दान कर मानवता हित बीज प्रेम का है बोया।
परम पिता ईश्वर है जिसका मरियम जिसकी माता है॥

अग्र. 1 : हे प्रभु, मैंने सहायतार्थ तुझे पुकारा और तूने मुझे चंगा किया। अनन्त काल तक मैं तुझे धन्यवाद देता रहूँगा।

स्तोत्र 29 मृत्यु से रक्षा के लिए प्रार्थना।


प्रभु! मैं तेरी स्तुति करता हूँ, क्योंकि तूने मेरा उद्धार किया;
तूने मेरे शत्रुओं को मुझ पर हंसने नहीं दिया।

प्रभु! मेरे ईश्वर! मैंने तुझे पुकारा
और तूने मुझे स्वास्थ्य प्रदान किया।
प्रभु! तूने मुझे अधोलोक से निकाला!
मैं मरने को था और तूने मुझे नवजीवन प्रदान किया।

प्रभु-भक्तों! उसके आदर में गीत गाओ,
उसके पवित्र नाम का जयकार करो।
उसका क्रोध क्षण भर रहता है, उसकी कृपा जीवन भर बनी रहती है।
सांझ को भले ही रोना पड़े, भोर में आनन्द-ही-आनन्द है।

मैंने सुख-शान्ति के समय कहा था:
मैं कभी विचलित नहीं होऊँगा।
प्रभु! तूने अपनी कृपा से मुझे सुदृढ़ किया था,
किन्तु जब तूने मुझ से अपना मुख छिपाया, तो मैं घबरा गया।

प्रभु! मैंने तुझे पुकारा, मैंने तुझ से यह प्रार्थना की,
मेरी मृत्यु से, अधोलोक में मेरे उतरने से तुझे क्या लाभ होगा?
क्या धूल तुझे धन्यवाद देती है
या तेरी सत्यप्रतिज्ञता की घोषणा करती है?

प्रभु! मेरी सुन, मुझ पर दया कर।
प्रभु! मेरी सहायता कर।"
तूने मेरा शोक आनन्द में बदल दिया,
तूने मेरा टाट उतार कर मुझे आनन्द के वस्त्र पहनाये;

इसलिए मेरी आत्मा निरन्तर तेरा गुणगान करती है।
प्रभु! मेरे ईश्वर! मैं अनन्त काल तक तुझे धन्यवाद देता रहूँगा।

अग्र. : हे प्रभु, मैंने सहायतार्थ तुझे पुकारा और तूने मुझे चंगा किया। अनन्त काल तक मैं तुझे धन्यवाद देता रहूँगा।

अग्र. 2 : धन्य है, वह मानव, जिसके मत्थे ईश्वर कोई दोष नहीं मढ़ता।

स्तोत्र 31 धन्य है वह, जिसका अपराध क्षमा हुआ है।


धन्य है वह, जिसका अपराध क्षमा हुआ है,
जिसका पाप मिट गया है!
धन्य है वह जिसे ईश्वर दोषी नहीं मानता,
जिसका मन निष्कपट है!

जब तक मैं मौन रहा,
तब तक मेरे निरन्तर कराहने से मेरी हड्डियाँ छीजती रहीं;
क्योंकि दिन-रात मुझ पर तेरे हाथ का भार था।
मेरा शक्ति-रस मानो ग्रीष्म के ताप से सूखता रहा।

मैंने तेरे सामने अपना पाप स्वीकार किया,
मैंने अपना दोष नहीं छिपाया।
मैंने कहा, "मैं प्रभु के सामने अपना अपराध स्वीकार करूँगा"।
तब तूने मेरे पाप का दोष मिटा दिया।

इसलिए संकट के समय प्रत्येक भक्त तुझ से प्रार्थना करता है।
बाढ़ कितनी ऊँची क्यों न उठे,
किन्तु जलधारा उसे नहीं छू पायेगी।

प्रभु! तू मेरा आश्रय है। तू संकट से मेरा उद्धार करता
और मुझे शान्ति के गीत गाने देता है।

मैं तुम्हें शिक्षा दूँगा, तुम को मार्ग दिखाऊँगा;
तुम्हें परामर्श दूँगा और तुम्हारी रक्षा करूँगा।

नासमझ घोड़े या खच्चर-जैसे न बनो,
जिन्हें लगाम और रास से बाध्य करना पड़ता है;
नहीं तो वे तुम्हारे वश में नहीं आते।

दुष्ट को बहुत से दुःख झेलने पड़ते हैं,
किन्तु जो प्रभु पर भरोसा रखता है,
उसे प्रभु की कृपा घेरे रहती है।

धर्मियों! उल्लसित हो कर प्रभु में आनन्द मनाओ।
तुम सब, जिनका हृदय निष्कपट है, आनन्द के गीत गाओ।

अग्र. : धन्य है, वह मानव, जिसके मत्थे ईश्वर कोई दोष नहीं मढ़ता।

अग्र. 3 : प्रभु ने उन्हें सामर्थ्य एवं राज्याधिकार प्रदान किया और सभी राष्ट्र उनकी सेवा करेंगे।

भजन स्तुति : प्रकाशना 11:17-18; 12:10-12


सर्वशक्तिमान् प्रभु-ईश्वर, जो है और जो था!
हम तुझे धन्यवावद देते हैं,

क्योंकि तूने अपने सामर्थ्य का प्रदर्शन किया
और राज्याधिकार ग्रहण कर लिया है।

’राष्ट्र क्रुद्ध हो गये थे, किन्तु तेरा क्रोध आ गया है
और वह समय भी, जब मृतकों का न्याय किया जायेगा;

जब तेरे सेवकों, तेरे नबियों और तेरे सन्तों को पुरस्कार दिया जायेगा
और उन सबों को भी, चाहे वे छोटे या बड़े हों,
जो तेरे नाम पर श्रद्धा रखते हैं।

अब हमारे ईश्वर की विजय, सामर्थ्य तथा राजत्व
और उसके मसीह का अधिकार प्रकट हुआ है;

क्योंकि हमारे भाइयों का वह अभियोक्ता नीचे गिरा दिया गया है,
जो दिन-रात ईश्वर के सामने उस पर अभियोग लगाया करता था।

वे मेमने के रक्त और अपने साक्ष्य के द्वारा उस पर विजयी हुए,
क्योंकि उन्होंने अपने जीवन का मोह छोड़ कर मृत्यु का स्वागत किया;
इसलिए स्वर्ग और उसके निवासी आनन्द मनायें।

अग्र. : प्रभु ने उन्हें सामर्थ्य एवं राज्याधिकार प्रदान किया और सभी राष्ट्र उनकी सेवा करेंगे।

धर्मग्रन्थ-पाठ : 1 पेत्रुस 1:6-9


यह आप लोगों के लिए बड़े आनन्द का विषय है, हांलांकि अभी, थोड़े समय के लिए, आपको अनेक प्रकार के कष्ट सहने पड़ रहे हैं। यह इसलिए होता है कि आपका विश्वास परिश्रमिक खरा निकले। सोना भी तो आग में तपाया जाता है और आपका विश्वास नश्वर सोने से कहीं अधिक मूल्यवान है। इस प्रकार ईसा मसीह के प्रकट होने के दिन आप लोगों को प्रशंसा, सम्मान तथा महिमा प्राप्त होगी। आपने उन्हें कभी नहीं देखा, फिर भी आप उन्हें प्यार करते हैं। आप अब भी उन्हें नहीं देखते, फिर भी उन में विश्वास करते हैं। जब आप अपने विश्वास का प्रतिफल अर्थात् अपनी आत्मा की मुक्ति प्राप्त करेंगे, तो एक अकथनीय तथा दिव्य उल्लास से आनन्दित हो उठेंगे।

लघु अनुवाकय:
अगुआ :: प्रभु ने हमें उत्तम गेहूँ से खिलाया।
समूह :: प्रभु ने हमें उत्तम गेहूँ से खिलाया।
• उसने हमें चट्टान का मधु पिलाया।
• पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।

मरियम गान अग्र. : प्रभु ने शक्तिशालियों को उनके आसनों से गिरा दिया और दीनों को महान बना दिया है।

"मेरी आत्मा प्रभु का गुणगान करती है,
मेरा मन अपने मुक्तिदाता ईश्वर में आनन्द मनाता है;

क्योंकि उसने अपनी दीन दासी पर कृपादृष्टि की है।
अब से सब पीढ़ियाँ मुझे धन्य कहेंगी;
क्योंकि सर्वशक्तिमान् ने मेरे लिए महान् कार्य किये हैं।
पवित्र है उसका नाम!

उसकी कृपा उसके श्रद्धालु भक्तों पर
पीढ़ी-दर-पीढ़ी बनी रहती है।
उसने अपना बाहुबल प्रदर्शित किया है,
उसने घमण्डियों को तितर-बितर कर दिया है।

उसने शक्तिशालियों को उनके आसनों से गिरा दिया
और दीनों को महान् बना दिया है।
उसने दरिंद्रों को सम्पन्न किया
और धनियों को ख़ाली हाथ लौटा दिया है।

इब्राहीम और उनके वंश के प्रति
अपनी चिरस्थायी दया को स्मरण कर,
उसने हमारे पूर्वजों के प्रति अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार
अपने दास इस्राएल की सुध ली है।"

पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।
जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन।

अग्र. : सर्वशक्तिमान ने मेरे लिए महान कार्य किये हैं; पवित्र है उसका नाम।


सामूहिक निवेदन


अगुआ :आइये, हम अपने मुक्तिदाता ईश्वर से प्रार्थना करें क्योंकि उसी पर हमारा पूरा भरोसा है।
समूह : हे पिता, तुझमें ही हमारा भरोसा है।
• हे पिता, तूने मनुष्यों के साथ एक व्यवस्थान स्थापित किया – तुझ पर हमारा भरोसा है, क्योंकि तू अपनी प्रतिज्ञा पूरी करता है।
• अपनी फसल काटने के लिए बनिहारों को भेज दे – सारा संसार तुझे जाने और तुझे प्यार करे।
• सदभावना और प्रेम-भाव से कलीसिया की एकता बनी रहे – तेरे पवित्र आत्मा के वरदानों से हमें एकत्रित कर।
• लोगों को ऐसे एक समूह के निर्माण के लिए सहायता दे, जिसमें न्याय एवं शान्ति फलती-फूलती रहे – तू हमारा साथ देता रह जिससे हमारा परिश्रम व्यर्थ न जाये।
• मृत विश्वासियों की तू सुधि ले, विशेषकर उनकी जो हमारी जान-पहचान के हैं – जिन्होंने हमारा उपकार किया है, तू उन पर अपनी कृपा बरसा।

हे हमारे पिता...

समापन प्रार्थना :


अगुआ :हे प्रभु ईश्वर, तू चाँदनी द्वारा रात को प्रकाशित करता और सूर्योदय के साथ अंधेरा दूर भगा देता है। हमें यह वर दे कि इस रात को हम शैतान के फंदे से बचे रहें और भोर को तेरा स्तुतिगान करने के लिए फ़िर जाग उठें। हम यह प्रार्थना करते हैं, उन्हीं हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त तेरे पुत्र के द्वारा जो परमेश्वर होकर तेरे तथा पवित्र आत्मा के साथ युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं।
समूह : आमेन।
अगुआ : प्रभु हमको आशीर्वाद दे, हर बुराई से हमारी रक्षा करे और हमें अनन्त जीवन तक ले चले।
समूह : आमेन।


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