पूर्व सन्ध्या-वन्दना

वर्ष का सामान्य रविवार - 13


अगुआ : हे ईश्वर, हमारी सहायता करने आ जा।

समूह : हे प्रभु, हमारी सहायता करने शीघ्र ही आ जा।


अगुआ : पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।

समूह : जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन।


मंगलगान


ज्योति के परमेश्वर, कृपा कर मुझ पर
मन मेरा अन्धकार में डूबा, अपनी ज्योति भर।

अंधियाये में पाप के कारण डूब रहा संसार।
तेरी उज्ज्वल ज्योति से मिट सकता है अंधकार।
इस संसार को ज्योतिर्मय कर दूँ, वो गुण मुझमें भर।

तेरी ज्योति मुझको जरूरी, मार्ग भी मुझको दिखता नहीं,
तेरे पीछे जो भी चलता, ठोकर खाकर गिरता नहीं।
मार्ग भी तेरा दीधा, सच्चा, न चिन्ता, न डर।

अग्र. 1 : प्रभु, मेरी विनती लोबान की भाँति तेरे पास पहुँचे।


स्तोत्र 140:1-9 जोखिम के समय प्रार्थना


प्रभु! मैं तुझे पुकारता हूँ, शीघ्र ही मेरी सहायता कर।
मैं तेरी दुहाई देता हूँ, मेरी मेरी सुन।
मेरी विनती धूप की तरह, मेरी करबद्ध प्रार्थना
सन्ध्या-वन्दना की तरह तेरे पास पहुँचे।

प्रभु! मेरे मुख पर पहरा बैठा, मेरे होंठों के द्वार की रखवाली कर।
मेरे हृदय को बुराई की ओर झुकने न दें,
मैं दुष्टों के साथ अधर्म न करूँ
और उनके भोजों में सम्मिलित न होऊँ।

धर्मी मुझ पर भले ही हाथ उठाये और भक्त मुझे डाँटे,
किन्तु दुष्ट का सुगन्धित तेल मेरा सिर अलंकृत न करें;
क्योंकि मैं प्रार्थना द्वारा उनके कुकर्मों का विरोध करता हूँ।

वे न्याय की चट्टान से टकरा कर डूब जायेंगे
और समझेंगे कि मेरे शब्द कितने मधुर थे।
भूमि जिस तरह जोत कर उलट दी जाती है,
उसी तरह उनकी हड्डियाँ अधोलोक के द्वार पर छितरायी जायेंगी।

प्रभु-ईश्वर! मेरी आँखें तुझ पर टिकी हुई हैं।
मैं तेरी शरण आया हूँ, मुझे विनाश से बचा।
लोगों ने मेरे लिए जो फन्दा लगाया,
कुकर्मियों ने जो जाल बिछाया, उस से मेरी रक्षा कर।

अग्र. : प्रभु, मेरी विनती लोबान की भाँति तेरे पास पहुँचे।

अग्र. 2 : हे प्रभु, तू ही मेरी शरण है, जीवितों के देश में मेरा दायभाग है।


स्तोत्र 141 तू ही मेरी शरण है


प्रभु की दुहाई देता हूँ
मैं ऊँचे स्वर से प्रभु से प्रार्थना करता हूँ,
मैं उसके सामने अपना दुःखड़ा रोता हूँ,
मैं उसे अपना कष्ट बताता हूँ।

जब मैं निराश हो जाता हूँ, तो तू जानता है कि मैं कहाँ जा रहा हूँ।
मैं जिस मार्ग पर चलता हूँ, वहाँ लोगों ने मेरे लिए जाल बिछाया है।

मेरे दाहिने दृष्टि डाल और देख - मेरी परवाह कोई नहीं करता,
मेरे लिए कोई शरण नहीं,
मेरे जीवन की चिन्ता कोई नहीं करता।

मैंने यह कहते हुए प्रभु को पुकारा: "तू ही मेरा शरण है,
जीवितों के देश में मेरा भाग्य"।
मेरी पुकार सुन, क्योंकि मैं अत्यन्त दुर्बल हूँ।

मेरे अत्याचारियों से मुझे बचा, क्योंकि वे मुझे से शक्तिशाली हैं।
मुझे बन्दीगृह से निकाल, जिससे मैं तेरा नाम धन्य कहूँ।
जब तू मेरा उपकार करेगा,
तो धर्मी मेरे चारों ओर एकत्र हो जायेंगे।
अग्र.: हे प्रभु, तू ही मेरी शरण है, जीवितों के देश में मेरा दायभाग है।

अग्र. 3: प्रभु येसु ने अपने को दीन-हीन बना लिया। इसलिए ईश्वर ने उन्हें सदा के लिए महान बनाया।


भजन स्तुति : फिलि. 2:6-11



यद्यपि येसु मसीह ईश्वर थे
और उन को पूरा अधिकार था कि वह ईश्वर की बराबरी करें,
फिर भी उन्होंने दास का रूप धारण कर
तथा मनुष्यों के समान बन कर अपने को दीन-हीन बना लिया

और उन्होंने मनुष्य का रूप धारण करने के बाद
मरण तक, हाँ क्रूस पर मरण तक, आज्ञाकारी बन कर
अपने को और भी दीन बना लिया।

इसलिए ईश्वर ने उन्हें महान् बनाया
और उन को वह नाम प्रदान किया, जो सब नामों में श्रेष्ठ है,

जिससे ईसा का नाम सुन कर
आकाश, पृथ्वी तथा अधोलोक के सब निवासी घुटने टेकें
और पिता की महिमा के लिए
सब लोग यह स्वीकार करें कि ईसा मसीह प्रभु हैं।

अग्र. : प्रभु येसु ने अपने को दीन-हीन बना लिया। इसलिए ईश्वर ने उन्हें सदा के लिए महान बनाया।


धर्मग्रन्थ-पाठ : रोमि. 11:33-36


कितना अगाध है ईश्वर का वैभव, प्रज्ञा और ज्ञान! कितने दुर्बोध हैं उसके निर्णय! कितने रहस्यमय हैं उसके मार्ग! प्रभु का मन कौन जान सका? उसका परा मर्शदाता कौन हुआ? किसने ईश्वर को कभी कुछ दिया है जो वह बदले में कुछ पाने का दावा कर सके? ईश्वर सब कुछ का मूल कारण, प्रेरणा-स्रोत तथा लक्ष्य है - उसी को अनन्त काल तक महिमा! आमेन!
लघु अनुवाक्य :
अगुआ : हे प्रभु तेरे कार्य कितने महान हैं।
समूह : हे प्रभु तेरे कार्य कितने महान हैं।
• अपनी अपार बुध्दिमत्ता से तूने सब कुछ बनाया है।
• पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।

मरियम गान


अग्र. : प्रभु कहते हैं – जो तुम्हारा स्वागत करते हैं, वह मेरा स्वागत करता है, और जो मेरा स्वागत करता है, वह मुझे भेजने वाले का स्वागत करता है।

"मेरी आत्मा प्रभु का गुणगान करती है,
मेरा मन अपने मुक्तिदाता ईश्वर में आनन्द मनाता है;

क्योंकि उसने अपनी दीन दासी पर कृपादृष्टि की है।
अब से सब पीढ़ियाँ मुझे धन्य कहेंगी;
क्योंकि सर्वशक्तिमान् ने मेरे लिए महान् कार्य किये हैं।
पवित्र है उसका नाम!

उसकी कृपा उसके श्रद्धालु भक्तों पर
पीढ़ी-दर-पीढ़ी बनी रहती है।
उसने अपना बाहुबल प्रदर्शित किया है,
उसने घमण्डियों को तितर-बितर कर दिया है।

उसने शक्तिशालियों को उनके आसनों से गिरा दिया
और दीनों को महान् बना दिया है।
उसने दरिंद्रों को सम्पन्न किया
और धनियों को ख़ाली हाथ लौटा दिया है।

इब्राहीम और उनके वंश के प्रति
अपनी चिरस्थायी दया को स्मरण कर,
उसने हमारे पूर्वजों के प्रति अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार
अपने दास इस्राएल की सुध ली है।"

पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।
जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन।


अग्र. : प्रभु कहते हैं – जो तुम्हारा स्वागत करते हैं, वह मेरा स्वागत करता है, और जो मेरा स्वागत करता है, वह मुझे भेजने वाले का स्वागत करता है।

सामूहिक निवेदन


अगुआ : जैसे हम नम्रता पूर्वक प्रार्थना करते हैं। एक ही ईश्वर, पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।
समूह : हे प्रभु, अपने लोगों के साथ रह।
• हे सर्वशिक्तिमान ईश्वर, हमारी दुनिया में शान्ति ले आ- जिससे तेरी प्रजा तेरी शान्ति में जी सकें।
• सब लोगों को अपने राज्य में ले आ – जिससे समस्त मानव जाति मुक्ति पायें।
• जितनों ने हमारी सहायता की है तू उन सबका पुरस्कार बन जा – उन्हें अनन्त सुख का सौभाग्य प्रदान कर।
• विवाहित लोगों को अपनी शान्ति का संबल और अपनी इच्छा का मार्गदर्शन दे – अटल प्रेम में साथ रहने की कृपा दे।
• हिंसा और युध्द के कारण जितनों ने अपना जीवन खो दिया उन पर दया कर और उन्हें शान्ति प्रदान कर।


हे हमारे पिता ....



समापन प्रार्थना


अगुआ :हे प्रभु ईश्वर, दत्तकता की कृपा से तूने हमें ज्योति की संतान बना लिया है। इसलिए भ्रामक सिध्दान्तों का अन्धकार हमारे मन में कभी न छाये, किन्तु तेरी ज्योति हममें सदा प्रज्ज्वलित रहे और हम सदा सत्य की ज्योति में जीवन-ज्ञापन करें। हम यह निवेदन करते हैं, उन्हीं हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त तेरे पुत्र के द्वारा जो परमेश्वर होकर तेरे तथा पवित्र आत्मा के साथ युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं।

समूह : आमेन।

अगुआ : प्रभु हमको आशीर्वाद दे, हर बुराई से हमारी रक्षा करे और हमें अनन्त जीवन तक ले चले।

समूह : आमेन।


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Praise the Lord!