प्रभात वन्दना

पवित्र त्रित्व का महोत्सव
(पेन्तेकोस्त के बाद का रविवार)


अगुआ : प्रभु! हमारे अधरों को खोल दे।

समूह : और हम तेरे नाम का गुणगान करेंगे।


आमंत्रक स्तोत्र

आमन्त्रक अग्र. : सच्चा ईश्वर त्रित्व में एक है और त्रित्व एक है। आइये, हम उसकी आराधना करें।


मंगलगान

हे अति पावन पिता दयानिधि। पितु से प्रसृत मुक्तिदाता॥
आत्मा भयहारी, सुखकारी। कलीसिया गाती जयगाथा॥

व्यक्ति रूप में अलग-अलग पर एक तत्वत: इनको जानें
ये अनादि हैं ये अखंड हैं शाश्वत, सत्य सभी जन मानें॥

तेरी आज्ञा शिरोधार्य कर सृष्टि सुनिश्चित पथ पर पलती।
तेरी इच्छा के पालन में रहें समर्पित प्रति पल हम भी॥

सर्वोच्च गगनवासी ईश्वर दूत तुम्हारा करते वन्दन।
दृश्यमान प्रकृति से मिल कर हम करते हैं पूजा-अर्चन॥

अग्र. 1 : वैभव, सामर्थ्य, सम्मान, स्तुति, महिमा सब तेरे है युगानुयुग, हे पावन त्रित्व।


स्तोत्र 62:2-9 प्रभु के दर्शनों के लिए तरसती आत्मा।

ईश्वर! तू ही मेरा ईश्वर है! मैं तुझे ढूँढ़ता रहता हूँ।
मेरी आत्मा तेरे लिए प्यासी है।
जल के लिए सूखी सन्तप्त भूमि की तरह,
मैं तेरे दर्शनों के लिए तरसता हूँ।

मैंने तेरे मंदिर में तेरे दर्शन किये,
मैंने तेरा सामर्थ्य और तेरी महिमा देखी है।
तेरी सत्यप्रतिज्ञता प्राणों से भी अधिक प्यारी है।
मेरा कण्ठ तेरी स्तुति करता था।

मैं जीवन भर तुझे धन्य कहूँगा
और तुझ से करबद्ध प्रार्थना करता रहूँगा।
मेरी आत्मा मानों उत्तम व्यंजनों से तृप्त होगी;
मैं उल्लसित हो कर तेरी स्तुति करूँगा।

मैं अपनी शय्या पर भी तुझे याद करता हूँ;
मैं रात भर तेरा मनन करता हूँ।
तू सदा मेरा सहारा रहा है;
मैं तेरे पंखों की छाया में सुखी हूँ।

मेरी आत्मा तुझे में आसक्त रहती है;
तेरा दाहिना हाथ मुझे सँभालता रहता है।

अग्र. : वैभव, सामर्थ्य, सम्मान, स्तुति, महिमा सब तेरे है युगानुयुग, हे पावन त्रित्व।

अग्र. 2 : तेरी सारी सृष्टि, हे पावन त्रित्व, उचित ही तेरी स्तुति, तेरा सम्मान और तेरी महिमा करती है।


भजन स्तुति : दानिएल 3:57-88, 56

प्रभु की समस्त कृतियों! प्रभु को धन्य कहो।
उसकी स्तुति करो और सदा-सर्वदा उसकी महिमा गाओ।
प्रभु के दूतों! प्रभु को धन्य कहो।
आकाश! प्रभु को धन्य कहो।

आकाश के ऊपर के जल! प्रभु को धन्य कहो।
विश्वमण्डल! प्रभु को धन्य कहो।
सूर्य और चंद्रमा! प्रभु को धन्य कहो।
आकाश के तारामण्डल प्रभु को धन्य कहो।

वर्षा और ओस! तुम दोनों प्रभु को धन्य कहो।
पवनो! तुम सब प्रभु को धन्य कहो।
अग्नि और ताप! प्रभु को धन्य कहो।
शीत और ग्रीष्म! प्रभु को धन्य कहो।

ओस और तुषार! प्रभु को धन्य कहो।
ठण्ड और पाले! प्रभु को धन्य कहो।
बर्फ और हिमपात! प्रभु को धन्य कहो।
रात और दिन! प्रभु को धन्य कहो।

प्रकाश और अन्धकार! प्रभु को धन्य कहो।
बिजली और बादलों! प्रभु की स्तुति करो
पृथ्वी प्रभु को धन्य कहे,
उसकी स्तुति करे और सदा-सर्वदा उसकी महिमा गाये।

पर्वतों और पहाड़ियों! प्रभु को धन्य कहो।
पृथ्वी के सब वनस्पतियो! प्रभु को धन्य कहो।
झरनो! प्रभु को धन्य कहो।
समुद्रों और नदियों! प्रभु को धन्य कहो।

मकर और जलचरगण! प्रभु को धन्य कहो।
आकाश के समस्त पक्षियो! प्रभु को धन्य कहो।
सब बनैले और पालतू पशुओं! प्रभु को धन्य कहो।
मनुष्य की सन्तति! प्रभु को धन्य कहो।

इस्राएल! प्रभु को धन्य कहो।
उसकी स्तुति करो और सदा-सर्वदा उसकी महिमा गाओ।
प्रभु के याजको! प्रभु को धन्य कहो।
प्रभु के सेवको! प्रभु को धन्य कहो।

धर्मियों की आत्मोओं! प्रभु को धन्य कहो।
संतो और हृदय के दीन लोगों! प्रभु को धन्य कहो।
हनन्या, अजर्या और मीशाएल! प्रभु को धन्य कहो,
उसकी स्तुति करो और सदा-सर्वदा उसकी महिमा गाओ।

हम पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा को धन्य कहें।
उसकी स्तुति करें और सदा-सर्वदा उसकी महिमा गायें।
स्वर्ग में विराजमान प्रभु! तू धन्य है,
सदा-सर्वदा प्रशंसनीय महिमामय और सर्वोच्च।

अग्र. : तेरी सारी सृष्टि, हे पावन त्रित्व, उचित ही तेरी स्तुति, तेरा सम्मान और तेरी महिमा करती है।

अग्र. 3 : उसी से, उसी के द्वारा और उसी में सब कुछ बना रहता है। सदा-सर्वदा उसकी महिमा हो।


स्तोत्र 149 सन्तों का उल्लास।

प्रभु के आदर में नया गीत गाओ,
भक्तों की सभा में उसकी स्तुति करो।

इस्राएल अपने सृष्टिकर्ता में आनन्द मनाये।
सियोन के पुत्र अपने राजा का जयकार करें।

वे नृत्य करते हुए उसका नाम धन्य कहें,
डफली और सितार बजाते हुए प्रभु का भजन गायें;

क्योंकि प्रभु अपनी प्रजा को प्यार करता
और पददलितों का उद्धार करता है।

प्रभु के भक्त विजय के गीत सुनायें
और अपने शिविर में आनन्द मनायें।

उनका कण्ठ ईश्वर का गुणगान करे।
उनके हाथ में दुधारी तलवार हो,
जिससे वे अन्य जातियों से बदला चुकायें, राष्ट्रों को दण्डित करें,

उनके राजाओं को बेड़ियाँ पहना दें,
उनके नेताओं को लोहे की श्रृंखलाओं से बाँध लें
और उनके विरुद्ध दिया हुआ दण्ड पूरा करें।
इस में सभी भक्तों का गौरव है।

अग्र. : उसी से, उसी के द्वारा और उसी में सब कुछ बना रहता है। सदा-सर्वदा उसकी महिमा हो।

धर्मग्रन्थ-पाठ : 1 कुरिन्थियों 12:4-6

कृपादान तो नाना प्रकार के होते हैं, किन्तु आत्मा एक ही है। सेवाएँ तो नाना प्रकार की होती हैं, किन्तु प्रभु एक ही हैं। प्रभावशाली कार्य तो नाना प्रकार के होते हैं, किन्तु एक ही ईश्वर द्वारा सबों में सब कार्य सम्पन्न होते हैं।
लघु अनुवाक्य
अगुआ : ओ पवित्र त्रित्व, तेरी प्रशंसा और महिमा हो।
समूह : ओ पवित्र त्रित्व, तेरी प्रशंसा और महिमा हो।
• युगानुयुग तेरा धन्यवाद हो।
• पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।


ज़ाकरी गान

अग्र. : सारी सृष्टि के कर्त्ता और राजा, पवित्र और अखंड त्रित्व, अब और युगानुयुग तु धन्य हो।

धन्य है प्रभु, इस्राएल का ईश्वर!
उसने अपनी प्रजा की सुध ली है
और उसका उद्धार किया है।
उसने अपने दास दाऊद के वंश में
हमारे लिए एक शक्तिशाली मुक्तिदाता उत्पन्न किया है।

वह अपने पवित्र नबियों के मुख से
प्राचीन काल से यह कहता आया है
कि वह शत्रुओं और सब बैरियों के हाथ से हमें छुड़ायेगा
और अपने पवित्र विधान को स्मरण कर
हमारे पूर्वजों पर दया करेगा।

उसने शपथ खा कर हमारे पिता इब्राहीम से कहा था
कि वह हम को शत्रुओं के हाथ से मुक्त करेगा,
जिससे हम निर्भयता, पवित्रता और धार्मिकता से
जीवन भर उसके सम्मुख उसकी सेवा कर सकें।

बालक! तू सर्वोच्च ईश्वर का नबी कहलायेगा,
क्योंकि प्रभु का मार्ग तैयार करने
और उसकी प्रजा को उस मुक्ति का ज्ञान कराने के लिए,
जो पापों की क्षमा द्वारा उसे मिलने वाली है,
तू प्रभु का अग्रदूत बनेगा।

हमारे ईश्वर की प्रेमपूर्ण दया से
हमें स्वर्ग से प्रकाश प्राप्त हुआ है,
जिससे वह अन्धकार और मृत्यु की छाया में बैठने वालों को ज्योति प्रदान करे
और हमारे चरणों को शान्ति-पथ पर अग्रसर करे।"

पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो
जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन।

अग्र. : सारी सृष्टि के कर्त्ता और राजा, पवित्र और अखंड त्रित्व, अब और युगानुयुग तु धन्य हो।


सामूहिक निवेदन


अगुआ :आज की इस प्राभात-बेला में हम हर्षित मन से पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा की उपासना करते हुए उनकी महिमा गाते हैं।
समूह : पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।
• हे पावन पिता, अपने से हम कुछ भी नहीं हैं; हम तुझसे निवेदन करते हैं, तू अपने पवित्र आत्मा को हममें भेज दे – वह आकर हमें सबल बनावे और तेरे सामने हमारा मध्यस्थ बना रहे।
• हे ईश्वर के पुत्र, कलीसिया में सान्त्वनादात को भेजने का तूने पिता से निवेदन किया – वह सत्य का आत्मा सदा-सर्वदा हमारे साथ रहे।
• हे पवित्र आत्मा, तू आ जा, अपने वरदान हमें प्रदान दर। हमें प्रेम, दया, आनन्द, शान्ति और धैर्य के सदगुणों की समृध्दि से भर दे – हमें मेल-मिलाप, धीरज, विनम्रता एवं विश्वास में शालीनता, आत्म-संयम, निर्दोषता और शुध्दता प्रदान कर।
• हे सर्वशक्तिमान ईश्वर, अपने पुत्र के आत्मा को हमारे हृदय में भेज दे – जिससे हम ख्रीस्त के साथ तेर उत्तराधिकारी और सह-उत्तराधिकारी बन सकें।
• हे प्रभु येसु ख्रीस्त, तूने पिता की ओर से पवित्र आत्मा को अपने साक्षी के रूप में भेजा – मनुष्यों के सामने हमें भी अपना साक्षी बना ले।

हे हमारे पिता ....



समापन प्रार्थना


अगुआ :हे पिता ईश्वर, तूने अपने अनादि शब्द और पवित्र आत्मा को इस संसार में भेज कर मनुष्यों को अपना अगाध रहस्य प्रकट किया है। हमें यह कृपा दे कि हम सच्चा धर्म स्वीकार करते हुए, शाश्वत त्रित्व में अपना विश्वास प्रकट करें और उसकी अतुल्य एकता की आराधना करें। हम यह प्रार्थना करते हैं, उन्हीं हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त तेरे पुत्र के द्वारा जो परमेश्वर होकर तेरे तथा पवित्र आत्मा के साथ युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं।

समूह : आमेन।

अगुआ : प्रभु हमको आशीर्वाद दे, हर बुराई से हमारी रक्षा करे और हमें अनन्त जीवन तक ले चले।

समूह : आमेन।


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Praise the Lord!