प्रभात वन्दना

वर्ष का सामान्य सप्ताह 1 - मंगलवार


अगुआ : प्रभु! हमारे अधरों को खोल दे।

समूह : और हम तेरे नाम का गुणगान करेंगे।


आमंत्रक स्तोत्र

आमन्त्रक अग्र. :प्रभु एक महान राजा है। आइये, हम उसकी आराधना करें।

मंगलगान

जय-जय जग के स्वामी! तुमको बलिहारी,
जय प्रभु घट-घट-वासी, जय भव-भय-हारी॥
जय देव! मम देव!

अखिल विश्व के नायक, हे अन्तर्यामी!
कण-कण में हो व्यापक जग के, हे स्वामी!
जय देव! मम देव!

सूर्य, चंद्र अरु तारे, महिमा तव गाते,
जल-थल-नभ-चर सारे निज शीश नवाते,
जय देव! मम देव!

अग्र. 1 : जिसके हाथ निर्दोष हैं और जिसका हृदय निर्मल है, वही प्रभु के पर्वत पर चढ़ेगा।


स्तोत्र 23 प्रभु का मन्दिर में प्रवेश।


पृथ्वी और जो कुछ उस में है,
संसार और उसके निवासी-सब प्रभु का है;
क्योंकि उसी ने समुद्र पर उसकी नींव डाली
और जल पर उसे स्थापित किया है।

प्रभु के पर्वत पर कौन चढ़ेगा? उसके मन्दिर में कौन रह पायेगा?
वही, जिसके हाथ निर्दोष और हृदय निर्मल है,
जिसका मन असार संसार में नहीं रमता
जो शपथ खा कर धोखा नहीं देता।

ऐसे ही हैं वे लोग, जो प्रभु की खोज में लगे रहते हैं,
जो याकूब के ईश्वर के दर्शनों के लिए तरसते हैं।
प्रभु की आशिष उसे प्राप्त होगी,
मुक्तिदाता ईश्वर उसे धार्मिक मानेगा।

फाटको! मेहराब ऊपर करो!
प्राचीन द्वारो! ऊँचे हो जाओ!
महाप्रतापी राजा को प्रवेश करने दो।

वह महाप्रतापी राजा कौन है?
प्रभु ही वह महाप्रतापी राजा है-
समर्थ, शक्तिशाली और पराक्रमी।

हे फाटको! मेहराब ऊपर करो!
हे प्राचीन द्वारो! ऊँचे हो जाओ!
महाप्रतापी राजा को प्रवेश करने दो।

वह महाप्रतापी राजा कौन है?
वह महाप्रतापी राजा विश्वमण्डल का प्रभु है।

अग्र. : जिसके हाथ निर्दोष हैं और जिसका हृदय निर्मल है, वही प्रभु के पर्वत पर चढ़ेगा।

अग्र. 2 : अपने सभी काम-धाम में युग-युगों के राजा का स्तुतिगान करो।


भजन स्तुति : टोबीत 13:1-5, 7-8


जीवन्त ईश्वर सदा-सर्वदा धन्य है! उसका राज्य धन्य है।
वह दण्ड देता और दया करता है।

वह अधोलोक में उतारता और फिर महागर्त से निकलता है।
उसके हाथ से कोई नहीं बचता।

इस्राएल के पुत्रो! राष्ट्रों में उसका स्तुतिगान करो,
क्योंकि उसने तुम लोगों को उन में निर्वासित किया है।

उसने वहाँ अपनी महत्ता दिखलायी है।
समस्त प्राणियों के सामने उसकी स्तुति करो;

क्योंकि वह हमारा प्रभु है, हमारा ईश्वर और हमारा पिता।
वह सदा-सर्वदा ईश्वर हैं।

वह तुम्हारे अधर्म के कारण तुम को दण्ड देता है,
किन्तु वह तुम सब पर दया करेगा

देखो, उसने तुम्हारे लिए क्या किया
और ऊँचे स्वर में उसकी स्तुति करो।

प्रभु की दयालुता की स्तुति करो
और युग-योगों ते अधीश्वर को धन्य कहो।

जिस देश में निर्वासित हूँ,
वहाँ मैं उसकी स्तुति करता हूँ।

मैं एक पापी राष्ट्र के सामने
उसका सामर्थ्य और उसकी महिमा प्रकट करता हूँ।

पापियों! प्रभु के पास लौटो और उसके सामने धर्माचरण करो।
क्या जाने, वह तुम पर प्रसन्न हो जाये और तुम पर दया करे।
मैं अपने ईश्वर का स्तुतिगान करता हूँ
मैं स्वर्ग के राजा के कारण उल्लसित होकर आनन्द मनाता हूँ।

सब लोग उसकी महिमा करें
और येरूसालेम में उसका स्तुतिगान करें।

अग्र. : अपने सभी काम-धाम में युग-युगों के राजा का स्तुतिगान करो।

अग्र. 3 : स्तुतिगान करना भक्त हृदयों के लिए उचित है।


स्तोत्र 32 विधाता का सुतिगान।


धर्मियों! प्रभु में आनन्द मनाओ!
स्तुतिगान करना भक्तों के लिए उचित है।
वीणा बजाते हुए प्रभु का धन्यवाद करो,
सारंगी पर उसका स्तुतिगान करो।

उसके आदर में नया गीत गाओ,
मन लगा कर वाद्य बजाओ।
प्रभु का वचन सच्चा है,
उसके समस्त कार्य विश्वसनीय हैं।

प्रभु को धार्मिकता और न्याय प्रिय हैं;
पृथ्वी उसकी सत्यप्रतिज्ञता से परिपूर्ण है।
उसके शब्द मात्र से आकाश बना है,
उसके श्वास मात्र से समस्त तारागण।

वह समुद्र का जल बाँध से घेरता
और महासागर को भण्डारों में एकत्र करता है
समस्त पृथ्वी प्रभु का आदर करे,
उसके सभी निवासी उस पर श्रद्धा रखें।

उसके मुख से शब्द निकलते ही यह सब बना है,
उसके आदेश देते ही यह अस्तित्व में आया है।
प्रभु राष्ट्रों की योजनाएं व्यर्थ करता
और उसके उद्देश्य पूरे नहीं होने देता है;

किन्तु उसकी अपनी योजनाएं चिरस्थायी हैं,
उनके अपने उद्देश्य पीढ़ी-दर-पीढ़ी बने रहते हैं।
धन्य है वह राष्ट्र, जिसका ईश्वर प्रभु है,
जिसे प्रभु ने अपनी प्रजा बना लिया है!

प्रभु आकाश के ऊपर से देखता
और समस्त मानवजाति पर दृष्टि दौड़ाता है।
वह अपने सिंहासन पर से
पृथ्वी के सब निवासियों का निरीक्षण करता है।

उसी ने सबों का हृदय गढ़ा है;
वह उनके सब कार्यों का लेखा रखता है।
राजा की सुरक्षा विशाल सेना से नहीं होती,
शूरवीर अपने बाहुबल से अपनी रक्षा नहीं कर सकता।

युद्धाश्व द्वारा विजय की आशा व्यर्थ है-
वह कितना ही बलवान् क्यों न हो, बचाने में असमर्थ है।

प्रभु की दृष्टि अपने भक्तों पर बनी रहती है,
उन पर, जो उसकी कृपा से यह आशा करते हैं
कि वह उन्हें मृत्यु से बचायेगा
और अकाल के समय उनका पोषण करेगा।

हम प्रभु की राह देखते रहते हैं,
वही हमारा सहायक और रक्षक है।
हम उसकी सेवा करते हुए आनन्दित हैं,
हमें उसके पवित्र नाम का भरोसा है।

प्रभु! तेरी कृपा हम पर बनी रहे,
जैसी हम तुझ से आशा करते हैं।

अग्र. : स्तुतिगान करना भक्त हृदयों के लिए उचित है।

धर्मग्रन्थ-पाठ : रोमियो 13:11-13


आप लोग जानते हैं कि नींद से जागने की घड़ी आ गयी है। जिस समय हमने विश्वास किया था, उस समय की अपेक्षा अब हमारी मुक्ति अधिक निकट है। रात प्रायः बीत चुकी है, दिन निकलने को है, इसलिए हम, अन्धकार के कर्मों को त्याग कर, ज्योति के शस्त्र धारण कर लें। हम दिन के योग्य सदाचरण करें।
लघु अनुवाक्य
अगुआ : ईश्वर मेरा सहायक है, मैं उस पर भरोसा करूँगा
समूह : ईश्वर मेरा सहायक है, मैं उस पर भरोसा करूँगा
• वह मेरी शरण है, उसने मुझे मुक्त किया।
• पिता और पुत्र और पवित्र आत्म की महिमा हो।

ज़ाकरी गान

अग्र. :प्रभु ने हमारे लिए एक शक्तिशाली मुक्तिदाता दिया है – जैसा कि वह निबियों के मुख से बोला है।

धन्य है प्रभु, इस्राएल का ईश्वर!
उसने अपनी प्रजा की सुध ली है
और उसका उद्धार किया है।
उसने अपने दास दाऊद के वंश में
हमारे लिए एक शक्तिशाली मुक्तिदाता उत्पन्न किया है।

वह अपने पवित्र नबियों के मुख से
प्राचीन काल से यह कहता आया है
कि वह शत्रुओं और सब बैरियों के हाथ से हमें छुड़ायेगा
और अपने पवित्र विधान को स्मरण कर
हमारे पूर्वजों पर दया करेगा।

उसने शपथ खा कर हमारे पिता इब्राहीम से कहा था
कि वह हम को शत्रुओं के हाथ से मुक्त करेगा,
जिससे हम निर्भयता, पवित्रता और धार्मिकता से
जीवन भर उसके सम्मुख उसकी सेवा कर सकें।

बालक! तू सर्वोच्च ईश्वर का नबी कहलायेगा,
क्योंकि प्रभु का मार्ग तैयार करने
और उसकी प्रजा को उस मुक्ति का ज्ञान कराने के लिए,
जो पापों की क्षमा द्वारा उसे मिलने वाली है,
तू प्रभु का अग्रदूत बनेगा।

हमारे ईश्वर की प्रेमपूर्ण दया से
हमें स्वर्ग से प्रकाश प्राप्त हुआ है,
जिससे वह अन्धकार और मृत्यु की छाया में बैठने वालों को ज्योति प्रदान करे
और हमारे चरणों को शान्ति-पथ पर अग्रसर करे।"

पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो
जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन।

अग्र. : प्रभु ने हमारे लिए एक शक्तिशाली मुक्तिदाता दिया है – जैसा कि वह निबियों के मुख से बोला है।


सामूहिक निवेदन

अगुआ : मसीही होने के नाते हम ईश्वरीय जीवन के सहभागी होने के लिए बुलाये गये हैं। इसलिए हम अपने विश्वास के महापुरोहित मसीह का यशोगान करें।

समूह : तू हमारा मुक्तिदाता और ईश्वर है।
• हे सर्वशक्तिमान राजाधिराज, बपतिस्मा संस्कार के द्वारा तूने हमें एक राजकीय याजक वर्ग बनाया है – हम तुझे प्रशंसा-गान की भेट निरंतर चढ़ाते रहें।
• तेरे नियमों का पालन करने के लिए हमारी सहायता कर – जिससे तेरे पवित्र आत्मा के द्वारा हम तुझमें निवास करें और तू हम में।
• हे ईश्वर की सनातन प्रज्ञा, हमारे पास आ जा – हमारे साथ रह और आज हम में तू अपनी कार्यशीलता बनाये रख।
• हमें सहिष्णुता एवं दया-भाव प्रदान कर – जिन लोगों से हम मिलते हैं उन्हें हम दुख-दर्द नहीं, बल्कि सुख-चैन पहुँचावें।


हे हमारे पिता ....


समापन प्रार्थना

अगुआ :हे प्रभु, हमारी प्रभात-वन्दना पर कृपा दृष्टि डाल। अपने मुक्तिदायी प्रेम के कारण अपनी दिव्य ज्योति से हमारे हृदय के गूढ़ से गूढ़ अन्तर्भाग को भी आलोकित कर। स्वार्थपूर्ण इच्छाएँ हमारे मन को धूमिल न कर पावें, क्योंकि तेरी दिव्य कृपा से हम नवीकृत होकर तेरी दिव्य ज्योति से आलोकित हुए हैं। हम यह प्रार्थना करते हैं, उन्हीं हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त तेरे पुत्र के द्वारा जो परमेश्वर होकर तेरे तथा पवित्र आत्मा के साथ युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं।

समूह : आमेन।

अगुआ : प्रभु हमको आशीर्वाद दे, हर बुराई से हमारी रक्षा करे और हमें अनन्त जीवन तक ले चले।

समूह : आमेन।


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Praise the Lord!