प्रभात वन्दना

वर्ष का सामान्य सप्ताह 2 - मंगलवार


अगुआ : प्रभु! हमारे अधरों को खोल दे।

समूह : और हम तेरे नाम का गुणगान करेंगे।


आमंत्रक स्तोत्र

आमन्त्रक अग्र. :प्रभु एक शक्तिशाली ईश्वर है, आइये हम उसकी आराधना करें।


मंगलगान


मैं तेरी करुणा के गीत गाता रहा हूँ, गाता रहूँगा।
पीढ़ी से पीढ़ी तक, हर युग में तेरी सच्चाई जताता रहूँगा।

स्वर्ग में अदभुत तेरे काम की, होगी प्रशंसा तेरे नाम की,
सानी वहाँ तेरा कोई नहीं, उपमायें ढ़ूँढ़ी न पायी कहीं।
मैं तेरी महिमा के गीत गाता रहा हूँ, गाता रहूँगा।

लहरों की सीमाओं को तोड़कर सागर उमड़ता है जब शोर कर
तेरे इशारे से ही शाम हो, जाता सिमट भय से आक्रान्त हो।
मैं तेरी गरिमा के गीत गाता रहा हूँ, गाता रहूँगा।

तेरी है धरती, तेरा है गगन, जो भी है उसमें, है तेरा सृजन
धर्म और न्याय है तेरा चलन करुणा सच्चाई तेरा अनुगमन।
मैं तेरी करुणा के गीत गाता रहा हूँ, गाता रहूँगा।

अग्र. 1 : प्रभु अपनी ज्योति और अपना सत्य भेज दे।


स्तोत्र 42 मन्दिर के दर्शनों की अभिलाषा।

ईश्वर! मुझे न्याय दिला, इस विधर्मी पीढ़ी के विरुद्ध मेरा पक्ष ले।
ईश्वर! कपटी और कुटिल लोगों से मुझे बचाये रखने की कृपा कर।

ईश्वर! तू ही मेरा आश्रय है। तूने मुझे क्यों त्याग दिया?
शुत्र के अत्याचार से दुःखी हो कर मुझे क्यों भटकना पड़ता है?

अपनी ज्योति और अपना सत्य भेज।
वे मुझे मार्ग दिखा कर तेरे पवित्र पर्वत तक,
मेरे निवासस्थान तक पहुँचा देंगे।

मैं ईश्वर की वेदी के पास जाऊँगा,
ईश्वर के पास, जो मेरा आनन्द और उल्लास है।
मैं वीणा बजाते हुए अपने प्रभु-ईश्वर की स्तुति करूँगा।

मेरी आत्मा! उदास क्यों हो? क्यों आह भरती हो?
ईश्वर पर भरोसा रखो। मैं फिर उसका धन्यवाद करूँगा।
वह मेरा मुक्तिदाता और मेरा ईश्वर है।

अग्र. : प्रभु अपनी ज्योति और अपना सत्य भेज दे।

अग्र. 2 : प्रभु जीवन भर हमारी रक्षा कर।

भजन स्तुति : इसायाह 38:10-14, 17-20

मैंने कहा, “अपने जीवन के मध्य काल में मुझे जाना पड़ रहा है।
मुझे अपने जीवन के शेष वर्ष
अधोलोक के फाटक पर बिताने होंगे।“

मैंने कहा, “मैं जीवितों के देश में प्रभु को फिर कभी नहीं दूखूँगा।
पृथ्वी के निवासियों में से
मैं किसी को फिर कभी नहीं देखूँगा।
चरवाहे के तम्बू की तरह मेरा जीवन उखाड़ा और मुझ से ले लिया गया है।
तूने मेरा जीवन इस प्रकार समेट लिया है,
जिस प्रकार जुलाहा करघे पर से तागे काट देता है।

सुबह से शाम तक तू मुझे तड़पाता है। मैं रात भर पुकारता रहता हूँ।
उसने सिंह की तरह मेरी सब हड्डियों को रौंदा है।
सुबह से श्याम तक तू मुझे तड़पाता है।

मैं अबाबील की तरह चींचीं करता हूँ, कपोत की तरह कराहता हूँ।
मेरी आँखें ऊपर देखते-देखते धुँधला रही हैं।

तूने मेरी आत्मा को विनाश के गर्त में गिरने से बचाया,
तूने मेरे सब पापों को अपनी पीछे फेंक दिया।

अधोलोक तेरा गुणगान नहीं करता, मृत्यु तेरी स्तुति नहीं करती।
जो गर्त में उतरे हैं, उन्हें तेरी सत्यप्रतिज्ञता का भरोसा नहीं।

जीवित मनुष्य ही तेरी स्तुति करता है, जैसा कि मैं आज कर रहा हूँ।
पिता अपने पुत्रों को तेरी सत्यप्रतिज्ञता का ज्ञान करायेगा।

प्रभु! तूने मेरा उद्धार किया।
इसलिए हम जीवन भर प्रभु के मन्दिर में
वीणा बजाते हुए तेरी स्तुति करेंगे।

अग्र. : प्रभु जीवन भर हमारी रक्षा कर।

अग्र. 3 : हे ईश्वर, सियोन में तेरा गुणगान करना उचित है।


स्तोत्र 64 धन्यवाद का भजन।

ईश्वर! सियोन में तेरा स्तुतिगान करना हमारे लिए उचित है।
हम तेरे लिए अपनी मन्नतें पूरी करते हैं।

सब मनुष्य तेरे पास आते हैं, क्योंकि तू प्रार्थनाएँ सुनता है।
हमारा अधर्म हम पर हावी हो गया,
किन्तु तू हमारा पाप क्षमा करता है।

धन्य है वह, जिसे तू चुनता
और अपने मंदिर में निवास करने देता है।
हम तेरे घर के वैभव से,
तेरे मंदिर की पवित्रता से समृद्ध होंगे।

अपने न्याय के अनुरूप तू अपने चमत्कारों द्वारा
हमारी प्रार्थना का उत्तर देता है।
तू हमारा उद्धारक ईश्वर है,
समस्त पृथ्वी और सुदूर द्वीपों की आशा।

वह अपने सामर्थ्य से पर्वतों को स्थापित करता है।
वह पराक्रम से विभूशित है।
वह समुद्र का गर्जन, उसकी लहरों का कोलाहल
और राष्ट्रों का उपद्रव शान्त करता है।

पृथ्वी के सीमान्तों के निवासी
तेरे चमत्कार देख कर आश्चर्यचकित हैं।
पूर्व और पश्चिम के प्रदेश तेरे कारण
उल्लसित हो कर आनन्द मनाते हैं।

तूने पृथ्वी की सुधि ली, उसे सींचा
और उपज से भर दिया।
तू मनुष्य के अन्न का प्रबन्ध करता है।

तू भूमि को इस प्रकार तैयार करता है।
तू जोती हुई भूमि सींचता है,
उसे बराबर करता, पानी बरसा कर नरम बनाता
और उसके अंकुरों को आशिष देता है।

तू वर्ष भर वरदान देता रहता है,
तेरे मार्गों के आसपास की भूमि अच्छी फसल से भरी हुई है।

मरुभूमि के चरागाह हरे-भरे हैं। पहाड़ियों में आनन्द के गीत गूँजते हैं।
चरागाह पशुओं से भरे हुए हैं।
घाटियाँ अनाज की फसल से ढक जाती हैं।
सर्वत्र आनन्द तथा उल्लास के गीत सुनाई पड़ते हैं।

अग्र. : हे ईश्वर, सियोन में तेरा गुणगान करना उचित है।


धर्मग्रन्थ-पाठ 1 थेसलनीकियों 5:4-5

भाइयो! आप तो अन्धकार में नहीं हैं, जो वह दिन आप पर चोर की तरह अचानक आ पड़े। आप सब ज्योति की सन्तान हैं, दिन की सन्तान हैं। हम रात या अन्धकार के नहीं है।

लघु अनुवाक्य
अगुआ : हे प्रभु मेरी पुकार सुन। मुझे तेरे वचनों पर भरोसा है।
समूह : हे प्रभु मेरी पुकार सुन। मुझे तेरे वचनों पर भरोसा है।
• मैं प्रात:काल के पूर्व ही उठ कर सहायता के लिए दुहाई देता हूँ।
• पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।

ज़ाकरी गान

अग्र. :हे प्रभु! वैरियों के हाथ से हमें बचा।

धन्य है प्रभु, इस्राएल का ईश्वर!
उसने अपनी प्रजा की सुध ली है
और उसका उद्धार किया है।
उसने अपने दास दाऊद के वंश में
हमारे लिए एक शक्तिशाली मुक्तिदाता उत्पन्न किया है।

वह अपने पवित्र नबियों के मुख से
प्राचीन काल से यह कहता आया है
कि वह शत्रुओं और सब बैरियों के हाथ से हमें छुड़ायेगा
और अपने पवित्र विधान को स्मरण कर
हमारे पूर्वजों पर दया करेगा।

उसने शपथ खा कर हमारे पिता इब्राहीम से कहा था
कि वह हम को शत्रुओं के हाथ से मुक्त करेगा,
जिससे हम निर्भयता, पवित्रता और धार्मिकता से
जीवन भर उसके सम्मुख उसकी सेवा कर सकें।

बालक! तू सर्वोच्च ईश्वर का नबी कहलायेगा,
क्योंकि प्रभु का मार्ग तैयार करने
और उसकी प्रजा को उस मुक्ति का ज्ञान कराने के लिए,
जो पापों की क्षमा द्वारा उसे मिलने वाली है,
तू प्रभु का अग्रदूत बनेगा।

हमारे ईश्वर की प्रेमपूर्ण दया से
हमें स्वर्ग से प्रकाश प्राप्त हुआ है,
जिससे वह अन्धकार और मृत्यु की छाया में बैठने वालों को ज्योति प्रदान करे
और हमारे चरणों को शान्ति-पथ पर अग्रसर करे।"

पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो
जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन।

अग्र. : हे प्रभु! वैरियों के हाथ से हमें बचा।


सामूहिक निवेदन

अगुआ :हम अपने मुक्तिदाता को धन्य कहें, जिन्होंने अपने पुनरुत्थान द्वारा संसार को भय-मुक्त कर दिया है।
समूह : हे प्रभु, हमें सत्य की ओर ले चल।
• हे प्रभु, जैसे ही आज का दिन प्रारम्भ होता है हमें तेरे पुनरुत्थान की याद आती है – और हम विश्वास तथा भरोसे के आथ भविष्य की ओर देख सकते हैं।
• इस प्रात:काल में हम अपनी प्रार्थनाएँ तुझे चढ़ाते हैं – हमारी चिन्ताओं, आशाओं और आवश्यकताओं को भी तू ग्रहण कर।
• आज के दिन तेरे प्रति हमारा प्रेम बढ़ा दे – जिससे समस्त वस्तुओं में हम अपनी तथा दूसरों की भलाई देखें।
• हे प्रभु, हम तुझसे निवेदन करते हैं कि हम अपने कठिनाइयों द्वारा औरों के दुख-पीड़ाओं में सहानुभूति रखें – उनके प्रति दया दिखाने में हमारी सहायता कर।

हे हमारे पिता ....



समापन प्रार्थना


अगुआ :हे प्रभु येसु ख्रीस्त, संसार की ज्योति, तू सब मनुष्यों को मुक्ति-प्राप्ति के लिए आलोकित करता है। तुझसे हमारी प्रार्थना है – न्याय तथा शान्ति का मर्ग प्रशस्त करते हुए अपने आगमन का सन्देश घोषित करने के लिए हमें कृपा प्रदान कर। तू पिता तथा पवित्र आत्मा के साथ युगानुयुग जीता और राज्य करता है।

समूह : आमेन।

अगुआ : प्रभु हमको आशीर्वाद दे, हर बुराई से हमारी रक्षा करे और हमें अनन्त जीवन तक ले चले।

समूह : आमेन।


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