प्रभात वन्दना

वर्ष का सामान्य सप्ताह 2 - बृहस्पतिवार


अगुआ : प्रभु! हमारे अधरों को खोल दे।

समूह : और हम तेरे नाम का गुणगान करेंगे।


आमंत्रक स्तोत्र

आमन्त्रक अग्र. :आनन्द के गीत गाते हुए, प्रभु के सामने आओ।


मंगलगान

सदा तू मेरे साथ प्रभु, सदा मेरे साथ
ले चलता जीवन मार्ग पर, तू ही मेरे नाथ।

गर चढ़ जाऊँ आसमाँ या जाऊँ सागर तले
देखूँ सर्वत्र तेरा ही प्रेम, तेरे प्रेम से जाऊँ न दूर॥

माँ के गर्भ में जब मैं था तूने मुझे चुन लिया,
तू ही मेरा आसरा, तू ही मेरा जीवन॥

अग्र. 1 : प्रभु, अपना सामर्थ्य जगा दे और हमारा उध्दार कर।


स्तोत्र 79 प्रभु! अपनी दाखबारी पर दयादृष्टि कर।

तू, जो इस्राएल का चरवाहा है, हमारी सुन;
जो भेड़ों की तरह युसूफ को ले चलता है,
जो स्वर्गदूतों पर विराजमान है,

एफ्ऱईम, बेनयामीन और मनस्से के सामने अपने को प्रकट कर।
अपने सामर्थ्य को जगा और आ कर हमारा उद्धार कर।

ईश्वर! हमारा उद्धार कर।
हम पर दयादृष्टि कर और हम सुरक्षित रहेंगे।

विश्वमण्डल के प्रभु-ईश्वर!
तू कब तक अपनी प्रजा की प्रार्थना ठुकराता रहेगा?
तूने उसे विलाप की रोटी खिलायी
और उसे भरपूर आँसू पिलाये।

हमारे पड़ोसी हमारे लिए आपस में लड़ते हैं;
हमारे शत्रु हमारा उपहास करते हैं।

विश्वमण्डल के प्रभु! हमारा उद्धार कर।
हम पर दयादृष्टि कर और हम सुरक्षित रहेंगे।

तू मिस्र देश से एक दाखलता लाया,
तूने राष्ट्रों को भगा कर उसे रोपा।
तूने उसके लिए भूमि तैयार की,
जिससे वह जड़ पकड़े और देश भर में फैल जाये।

उसकी छाया पर्वतों पर फैलती थी
और उसकी डालियाँ ऊँचे देवदारों पर।
उसकी शाखाएँ समुद्र तक फैली हुई थीं
और उसकी टहनियाँ फ़रात नदी तक।

तूने उसका बाड़ा क्यों गिराया?
अब अधर से निकलने वाले उसके फल तोड़ते हैं।
जंगली सूअर उसे उजाड़ते हैं
और मैदान के पशु उस में चरते हैं।

विश्वमण्डल के ईश्वर! वापस आने की कृपा कर,
स्वर्ग से हम पर दयादृष्टि कर।
आ कर उस दाखबारी की रक्षा कर,
जिसे तेरे दाहिने हाथ ने रोपा है।

तेरी दाखलता काट कर जलायी गयी है।
तेरे धमकाने पर तेरी प्रजा नष्ट होती जा रही है।
अपने कृपापात्र पर अपना हाथ रख,
उस मनुष्य पर, जिसे तूने शक्ति प्रदान की थी।

तब हम फिर कभी तुझे नहीं त्यागेंगे।
तू हमें नवजीवन प्रदान करेगा
और हम तेरा नाम ले कर तुझ से प्रार्थना करेंगे।
विश्वमण्डल के प्रभु-ईश्वर! हमार उद्धार कर,
हम पर दयादृष्टि कर और हम सुरक्षित रहेंगे।

अग्र. : प्रभु, अपना सामर्थ्य जगा दे और हमारा उध्दार कर।

अग्र. 2 : प्रभु ने अपूर्व कार्य किये, समस्त पृथ्वी उनका बखान करे।


भजन स्तुति : इसायाह 12:1-6

प्रभु! मैं तुझे धन्यवाद देता हूँ; क्योंकि तू मुझ पर क्रुद्व हुआ,
किन्तु तेरा क्रोध शान्त हो गया और तू मुझे सान्त्वना देता है।

देखो, प्रभु मेरा उद्धरक है, वही मेरा भरोसा है।
अब मैं नहीं डरता; क्योंकि प्रभु मेरा बल है और मेरे गीत का विषय।

प्रभु ने मेरा उद्धार किया।“
तुम आनन्दित हो कर मुक्ति के स्रोत में जल भरोगे।

प्रभु का धन्यवाद करो, उसका नाम घोषित करो।
राष्ट्रों में उसके महान् कार्यों का बखान करो,
उसके नाम की महिमा गाओ।

प्रभु की स्तुति करो, उसने चमत्कार दिखाये।
पृथ्वी भर में उनका बखान करने जाओ।

सियोन की प्रजा! प्रफुल्लित हो कर आनन्द के गीत गाओ।
तुम्हारे बीच रहने वाला एस्राएल का परमपावन ईश्वर महान् है।

अग्र. : प्रभु ने अपूर्व कार्य किये, समस्त पृथ्वी उनका बखान करे।

अग्र. 3 : हमारे शक्तिशाली ईश्वर के लिए आनन्द का गीत गाओ।


स्तोत्र 80 विधान का समारोही नवीनीकरण।

हमारे शक्तिशाली ईश्वर के लिए आनन्द का गीत गाओ।
याकूब के ईश्वर का जयकार करो।

गीत गाओ, डफली बजाओ, सुरीली वीणा और तानपूरा सुनाओ।
पूर्णिमा के दिन, हमारे उत्सव के दिन, नये मास की तुरही बजाओ।

यही इस्राएल का विधान है, याकूब के ईश्वर का आदेश है।
जब वह मिस्र के विरुद्ध उठ खड़ा हुआ,
तो उसने यूसुफ़ के लिए यह नियम बनाया।

उसने एक अपरिचित वाणी को यह कहते सुना,
मैंने उनके कन्धों पर से भार उतारा
और उनके हाथ टोकरों से मुक्त हो गये।
तुमने संकट में मेरी दुहाई दी और मैंने तुम को छुड़ाया।

मैंने अदृश्य रह कर तुम को मेघ के गर्जन में से उतार दिया।
मैंने मरीबा के जलाशय के पास तुम्हारी परीक्षा ली।
मेरी प्रजा! मेरी चेतावनी पर ध्यान दो!
इस्राएल! मेरी बात सुनो!

तुम्हारे बीच कोई पराया देवता नहीं रहेगा,
तुम किसी अन्य देवता की आराधना नहीं करोगे।
मैं ही तुम्हारा प्रभु-ईश्वर हूँ। मैं तुम्हें मिस्र देश से निकाल लाया।
अपना मुँह पूरा-पूरा खोलो और मैं उसे भर दूँगा।

मेरी प्रजा ने मेरी वाणी पर ध्यान नहीं दिया,
इस्राएल ने मेरी एक भी नहीं मानी।
इसलिए मैंने उस हठधर्मी प्रजा का परित्याग किया
और वह मनमाना आचरण करने लगी।

ओह! यदि मेरी प्रजा मेरी बात सुनती,
यदि इस्राएल मेरे पथ पर चलता,
तो मैं तुरन्त ही उनके शत्रुओं को नीचा दिखाता
और उनके अत्याचारियों पर अपना हाथ उठाता।

तब ईश्वर के बैरी मेरी प्रजा की चाटुकारी करते
और उनकी यह स्थिति सदा के लिए बनी रहती,
जब मैं इस्राएल को उत्तम गेहूँ खिलाता
और उसे चट्टान के मधु से तृप्त करता।"

अग्र. : हमारे शक्तिशाली ईश्वर के लिए आनन्द का गीत गाओ।


धर्मग्रन्थ-पाठ : रोमियो 14:17-19

ईश्वर का राज्य खाने पीने का नहीं, बल्कि वह न्याय, शान्ति और पवित्र आत्मा द्वारा प्रदत्त आनन्द का विषय हैं। जो इन बातों द्धारा मसीह की सेवा करता है, वह ईश्वर को प्रिय और मनुष्यों द्वारा सम्मानित है। हम ऐसी बातों में लगे रहें, जिन से शान्ति को बढ़ावा मिलता है और जिनके द्वारा हम एक दूसरे का निर्माण कर सकें।

लघु अनुवाक्य
अगुआ : प्रात:काल होते ही मैं तेरी याद करूँगा, हे प्रभु।
समूह : प्रात:काल होते ही मैं तेरी याद करूँगा, हे प्रभु।
• तू मेरा सहायक रहा है।
• पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।

ज़ाकरी गान

अग्र. :हे प्रभु! अपने लोगों को मुक्ति-प्राप्ति का ज्ञान दिला और हमारे अपराध क्षमा कर।

धन्य है प्रभु, इस्राएल का ईश्वर!
उसने अपनी प्रजा की सुध ली है
और उसका उद्धार किया है।
उसने अपने दास दाऊद के वंश में
हमारे लिए एक शक्तिशाली मुक्तिदाता उत्पन्न किया है।

वह अपने पवित्र नबियों के मुख से
प्राचीन काल से यह कहता आया है
कि वह शत्रुओं और सब बैरियों के हाथ से हमें छुड़ायेगा
और अपने पवित्र विधान को स्मरण कर
हमारे पूर्वजों पर दया करेगा।

उसने शपथ खा कर हमारे पिता इब्राहीम से कहा था
कि वह हम को शत्रुओं के हाथ से मुक्त करेगा,
जिससे हम निर्भयता, पवित्रता और धार्मिकता से
जीवन भर उसके सम्मुख उसकी सेवा कर सकें।

बालक! तू सर्वोच्च ईश्वर का नबी कहलायेगा,
क्योंकि प्रभु का मार्ग तैयार करने
और उसकी प्रजा को उस मुक्ति का ज्ञान कराने के लिए,
जो पापों की क्षमा द्वारा उसे मिलने वाली है,
तू प्रभु का अग्रदूत बनेगा।

हमारे ईश्वर की प्रेमपूर्ण दया से
हमें स्वर्ग से प्रकाश प्राप्त हुआ है,
जिससे वह अन्धकार और मृत्यु की छाया में बैठने वालों को ज्योति प्रदान करे
और हमारे चरणों को शान्ति-पथ पर अग्रसर करे।"

पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो
जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन।

अग्र. : हे प्रभु! अपने लोगों को मुक्ति-प्राप्ति का ज्ञान दिला और हमारे अपराध क्षमा कर।


सामूहिक निवेदन

अगुआ :हमारा पिता ईश्वर धन्य है। वह अपने बच्चों की प्रार्थनाएँ सुनता है।
समूह : हे प्रभु, हमारी सुन।
• हे प्रभु! तूने अपने पुत्र को हमारे लिए भेजा है – तुझे हमारा धन्यवाद। दिन-भर हम उस पुत्र का स्मरण करें।
• अन्तर्ज्ञान को हमारा मार्गदर्शक बना – नया जीवन जीने में हमारी मदद कर।
• हे प्रभु! हमारी दुर्बलता में हमें बल प्रदान कर – हमें साहस दे कि जीवन की समस्याओं का सामना कर सकें।
• हे प्रभु! आज हमारे मन-वचन-कर्म का मार्गदर्शन कर – जिससे हम तेरी इच्छा जानें और उसका पालन कर सकें।

हे हमारे पिता ....



समापन प्रार्थना


अगुआ :हे प्रभु ईश्वर, सत्य ज्योति एवं समस्त ज्योति के स्रोत, ऐसी कृपा हमें दे कि जो भी पुनीत और पुण्य है, उस पर मनन करते हुए, हम सदा तेरी उपस्थिति के आलोक में जीवन व्यतीत करें। यह प्रार्थना हम करते हैं, उन्हीं हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त तेरे पुत्र के द्वारा जो परमेश्वर होकर तेरे तथा पवित्र आत्मा के साथ युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं।

समूह : आमेन।

अगुआ : प्रभु हमको आशीर्वाद दे, हर बुराई से हमारी रक्षा करे और हमें अनन्त जीवन तक ले चले।

समूह : आमेन।


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Praise the Lord!