प्रभात वन्दना

वर्ष का सामान्य सप्ताह 3 - शनिवार


अगुआ : प्रभु! हमारे अधरों को खोल दे।

समूह : और हम तेरे नाम का गुणगान करेंगे।


आमंत्रक स्तोत्र

आमन्त्रक अग्र. : पृथ्वी और उसकी समस्त वस्तुयें प्रभु की हैं; आइये, हम उसकी आराधना करें।

मंगलगान :

जिस ज्योति से जीवन-दीप जला, उस पर तन-मन बलिदान करें।
उस लौ में लय हो जाने का, नित नव-नूतन अभियान करें।

हो मन में हमारे प्रेम-अगन, उससे मिलने की तीव्र लगन।
उस रूप-राशि के चरणों का हर पल अभिनन्दन ध्यान धरें।

जब कोई न अपना सहारा हो और लम्बी डगर अँधियारा हो।
उस क्षण प्रभु –प्रेम की एक किरण नव मार्ग-प्रकाश प्रदान करे॥

हे जगत के त्राता ध्यान करो जीवन-नैया को पार करो,
भर दो हम में ऐसी शक्ति पर दुख में अर्पित प्राण करें॥

अग्र. 1 : हे प्रभु, तू निकट है; तेरे मार्ग सत्य है।


स्तोत्र 118:145-152

प्रभु! मैंने सारे हृदय से तुझे पुकारा, मेरी सुन।
मैं तेरी संहिता का पालन करूँगा।
मैंने तेरी दुहाई दी, मेरा उद्धार कर
और मैं तेरे आदेशों का पालन करूँगा।

मैं भोर से पहले तुझे पुकारता हूँ।
मुझे तेरी प्रतिज्ञा का भरोसा है।
तेरी शिक्षा का मनन करने के लिए
मेरी आँखें रात के पहरों में खुली रहीं।

अपनी सत्यप्रतिज्ञता के अनुरूप मेरी सुन। प्रभु!
अपने निर्णय के अनुसार मुझे नवजीवन दे।
तेरी संहिता की उपेक्षा करने वाले
दुष्ट अत्याचारी मेरे निकट आ रहे हैं।

प्रभु! तू भी तो निकट है।
तेरी सब आज्ञाएँ विश्वसनीय हैं।
मैं बहुत पहले से यह जानता हूँ
कि तूने सदा के लिए अपनी शिक्षा स्थापित की है।

अग्र. : हे प्रभु, तू निकट है; तेरे मार्ग सत्य है।

अग्र. 2 : प्रभु, तेरी प्रज्ञा मेरे साथ रहें मेरी मदद करे, मुझमें क्रियाशील बनी रहे।


भजन स्तुति : प्रज्ञा 9:1-6, 9-11

पूर्वजों के ईश्वर! दयासागर प्रभु!
तूने अपने शब्द से सब कुछ बनाया
और अपनी प्रज्ञा से मनुष्य को गढ़ा,

जिससे वह तेरी बनायी हुई सृष्टि का शीर्ष बने,
औचित्य और न्याय से संसार का शासन करें
और निष्कपट हृदय से निर्णय दे।

मुझे अपने सिंहासन पर विराजमान प्रज्ञा प्रदान कर
और अपने पुत्रों से मुझे अलग न कर।

क्योंकि मैं तेरा सेवक, तेरी दासी का पुत्र हूँ,
दुर्बल और अल्पायु मनुष्य हूँ,
मुझ में न्याय एवं विधि के ज्ञान का अभाव है।

वास्तव में यदि मनुष्यों में कोई पूर्ण हो,
किन्तु उस में तेरी प्रज्ञा न हो,
तो वह कुछ भी नहीं समझा जायेगा।

प्रज्ञा तेरे पास रहती है, वह तेरे कार्य जानती है।
वह विद्यमान थी, जब तूने संसार बनाया।
वह जानती है, कि तुझे क्या प्रिय है
और वह भी, जो तेरी आज्ञाओं के अनुकूल है।

प्रज्ञा को अपने पवित्र स्वर्ग से उतरने दे।
उसे अपने महिमामय सिंहासन से भेज,
जिससे वह मेरे साथ रह कर क्रियाशील हो
और मैं जानूँ कि तुझे क्या प्रिय है;

क्योंकि वह सब कुछ जानती और समझती है।
वह सावधानी से मेरा पथप्रदर्शन करेगी
और अपनी महिमा से मेरी रक्षा करेगी।

अग्र. : प्रभु, तेरी प्रज्ञा मेरे साथ रहें मेरी मदद करे, मुझमें क्रियाशील बनी रहे।

अग्र. 3 : प्रभु की सत्यता सदा-सर्वदा बनी रहती है।


स्तोत्र 116 परम दयालु प्रभु की स्तुति।

समस्त जातियों! प्रभु की स्तुति करो
समस्त राष्ट्रों! उसकी महिमा गाओ;

क्योंकि हमारे प्रति उसका प्रेम समर्थ है।
उसकी सत्यप्रतिज्ञता सदा-सर्वदा बनी रहती है।

अग्र. : प्रभु की सत्यता सदा-सर्वदा बनी रहती है।

धर्मग्रन्थ-पाठ : फिलिप्पियों 2:14-15

आप लोग भुनभुनाये और बहस किये बिना अपने सब कर्तव्य पूरा करें, जिससे आप निष्कपट और निर्दोष बने रहें और इस कुटिल एवं पथभ्रष्ट पीढ़ी में ईश्वर की सच्ची सन्तान बन कर आकाश के तारों की तरह चमकें।

लघु अनुवाक्य : अगुआ : मैंने तुझे पुकारा, हे प्रभु! तू मेरी शरण है।
समूह : मैंने तुझे पुकारा, हे प्रभु! तू मेरी शरण है।
• जीवितों के देश में तू ही मेरा सर्वस्व है।
• पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।

ज़ाकरी गान

अग्र. :हे प्रभु, तू उन्हें अपनी ज्योति प्रदान कर, जो अंधकार और मृत्यु की छाया में बैठे हैं।

धन्य है प्रभु, इस्राएल का ईश्वर!
उसने अपनी प्रजा की सुध ली है
और उसका उद्धार किया है।
उसने अपने दास दाऊद के वंश में
हमारे लिए एक शक्तिशाली मुक्तिदाता उत्पन्न किया है।

वह अपने पवित्र नबियों के मुख से
प्राचीन काल से यह कहता आया है
कि वह शत्रुओं और सब बैरियों के हाथ से हमें छुड़ायेगा
और अपने पवित्र विधान को स्मरण कर
हमारे पूर्वजों पर दया करेगा।

उसने शपथ खा कर हमारे पिता इब्राहीम से कहा था
कि वह हम को शत्रुओं के हाथ से मुक्त करेगा,
जिससे हम निर्भयता, पवित्रता और धार्मिकता से
जीवन भर उसके सम्मुख उसकी सेवा कर सकें।

बालक! तू सर्वोच्च ईश्वर का नबी कहलायेगा,
क्योंकि प्रभु का मार्ग तैयार करने
और उसकी प्रजा को उस मुक्ति का ज्ञान कराने के लिए,
जो पापों की क्षमा द्वारा उसे मिलने वाली है,
तू प्रभु का अग्रदूत बनेगा।

हमारे ईश्वर की प्रेमपूर्ण दया से
हमें स्वर्ग से प्रकाश प्राप्त हुआ है,
जिससे वह अन्धकार और मृत्यु की छाया में बैठने वालों को ज्योति प्रदान करे
और हमारे चरणों को शान्ति-पथ पर अग्रसर करे।"

पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो
जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन।


अग्र. :हे प्रभु, तू उन्हें अपनी ज्योति प्रदान कर, जो अंधकार और मृत्यु की छाया में बैठे हैं।

सामूहिक निवेदन

अगुआ :युगों के पूर्व से ही ईश्वर ने मरियम को ख्रीस्त की माता चुन लिया था। इसलिए वह स्वर्ग और पृथ्वी की समस्त सृष्टि में सर्वश्रेष्ठ हैं। उनके साथ मिल कर हम भी घोषित करें।
समूह : मेरी आत्मा प्रभु का गुणगान करती है।
• हे पिता, तेरे पुत्र ने अपनी माता को विश्वास के ज्वलंत आदर्श के रूप में कलीसिया को समर्पित किया – माता मरियम की भाँति हम भी तेरा वचन विश्वास के साथ ग्रहण करें।
• माता मरियम ने तेरे वचन का श्रवण किया और तेरे अनादि शब्द को जन्म दिया – तेरे आह्वान पर कान देते हुये हम भी तेरे पुत्र को लोगों के सामने प्रस्तुत करने में समर्थ होवे।
• क्रूस के पास रहने के लिए तूने मरियम को बल दिया और उसे पुनरुत्थान के अवसर पर आनन्द से भर दिया – उसकी मध्यस्थता द्वारा हमारी दुख-तकलीफों में दिलासा मिले और हमारी आशा सुदृढ़ हो।

हे हमारे पिता ....


समापन प्रार्थना

अगुआ :हे प्रभु, हमारे ईश्वर, तू ही हमारी मुक्ति का स्रोत एवं उदगम है। हम अपने जीवन से इस लोक में तेरी महिमा ऐसे घोषित करें कि स्वर्ग में निरन्तर तेरी प्रशंसा कर पायें। हम यह प्रार्थना करते हैं, उन्हीं हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त तेरे पुत्र के द्वारा जो परमेश्वर होकर तेरे तथा पवित्र आत्मा के साथ युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं।

समूह : आमेन।

अगुआ : प्रभु हमको आशीर्वाद दे, हर बुराई से हमारी रक्षा करे और हमें अनन्त जीवन तक ले चले।

समूह : आमेन।


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Praise the Lord!