प्रभात वन्दना

वर्ष का सामान्य सप्ताह 4 - सोमवार


अगुआ : प्रभु! हमारे अधरों को खोल दे।

समूह : और हम तेरे नाम का गुणगान करेंगे।


आमंत्रक स्तोत्र

आमन्त्रक अग्र. : आइये, हम प्रभु में आनन्द मनायें, भजन गाते हुये उसकी स्तुति करें।

मंगलगान :

उतर हे आत्मा सृजनहार, अपने लोगों को दर्शन दे
वरदान-आशिष से भर जावें, जो आत्मायें तूने सृजीं।

इन्द्री को प्रकाशमान कर दे, हृदय में प्रेमाग्नि सुलगा,
झुकती है नीचे पापमय देह, उसको नित दिन नया बल दे।

वैरी को हम से दूर हटा, हमें तुरन्त शान्ति बल दे,
कि पाकर तेरी अगुआई, हानि से हम बचे रहें।

हम पिता को जान लें तुझसे, हो विदित पुत्रेश ख्रीस्त हमें
तुम दोनों के ही आत्मा में, दृढ़ विश्वास सदा हम रखें।

अग्र. 1 : हे प्रभु, भोर को हमें अपना प्रेम दिखा।


स्तोत्र 89 हम प्रभु के महान कार्य देख सकें।

प्रभु! तू पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमारा आश्रय बना रहा।
पर्वतों की सृष्टि से पहले से,
पृथ्वी तथा संसार की उत्पत्ति के पहले से
तू ही अनादि-अनन्त ईश्वर है।

तू मनुष्य को फिर मिट्टी में मिलाते हुए कहता है:
"आदम की सन्तान! लौट जा"।
एक हज़ार वर्ष भी तुझे बीते कल की तरह लगते हैं;
वे तेरी गिनती में रात के पहर के सदृश हैं।

तू मनुष्यों को इस तरह उठा ले जाता है,
जिस तरह सबेरा होने पर स्वप्न मिट जाता है,
जिस तरह घास प्रातःकाल उग कर लहलहाती है
और सन्ध्या तक मुरझा कर सूख जाती है।

हम तेरे क्रोध से भस्म हो गये हैं; तेरे कोप से आतंकित हैं।
तूने हमारे दोषों को अपने सामने रखा,
हमारे गुप्त पापों को अपने मुखमण्डल के प्रकाश में।

तेरे क्रोध के कारण हमारे दिन मिटते हैं,
हमारे वर्ष आह भरते बीतते हैं।
हमारी आयु की अवधि सत्तर बरस है,
स्वास्थ्य अच्छा है, तो अस्सी बरस।

हम अपनी अधिकांश आयु कष्ट और दुःख मे बिताते हैं।
हमारे दिन शीघ्र ही बीतते हैं और हम चले जाते हैं।
तेरे क्रोध का बल कौन जानता है?
तेरे प्रकोप की थाह कौन ले सकता है?

हमें जीवन की क्षणभुंगुरता सिखा,
जिससे हम में सद्बुद्धि आये।
प्रभु! लौट आ। हम कब तक तेरी प्रतीक्षा करें?
तू अपने सेवकों पर दया कर।

भोर को हमें अपना प्रेम दिखा,
जिससे हम दिन भर आनन्द के गीत गायें।
दण्ड के दिनों के बदले, विपत्ति के वर्षों के बदले
हम को भविष्य में सुख-शान्ति प्रदान कर।

तेरे सेवक तेरे महान् कार्य देखें
और उनकी सन्तान तेरी महिमा के दर्शन करें।
हमारे प्रभु-ईश्वर की मधुर कृपा हम पर बनी रहे!
तू हमारे सब कार्यों को सफलता प्रदान कर।

अग्र. : हे प्रभु, भोर को हमें अपना प्रेम दिखा।

अग्र. 2 : पृथ्वी के सीमान्तों तक प्रभु की स्तुति करो।


भजन स्तुति : इसायाह 42:10-16

महासागर और जलचरो! द्वीपो! और उनके सब निवासियो!
प्रभु के आदर में नया गीत गाओ,
पृथ्वी के सीमान्तों तक उसकी स्तुति करो।
मरुभूमि और उसके नगर, केदार के ग्रामवासी ऊँचे स्वर में गायें;

चट्टान के निवासी उल्लसित हो कर गायें
और पर्वतों के शिखर से जयघोष करें।
वे प्रभु की महिमा गा कर सुनायें
और द्वीपों में उसकी स्तुति करें।

प्रभु शूरवीर की तरह प्रस्थान करेगा,
योद्धा की तरह अपना उत्साह बढ़ायेगा;
वह चिल्ला कर युद्ध का आह्वान करेगा
और अपने शत्रुओं पर विजयी होगा।

मैं बहुत समय तक निष्क्रिय रहा,
मैं मौन रहा और अपने को रोकता रहा;
किन्तु अब मैं प्रसव-पीड़ित स्त्री की तरह
आह भरता हूँ और हाँफते हुए चिल्लाता हूँ।

मैं पर्वतों और पहाड़ियों को उजाडूँगा
और उनकी हरियाली सुखा दूँगा।
मैं नदियों को टापू बनाऊँगा
और तालाबों को सुखा दूँगा।

मैं अन्धों को अपरिचित पथ पर ले चलूँगा,
मैं अपरिचित मार्गों पर उनका पथप्रदर्शन करूँगा।
मैं उनके लिए अन्धकार को प्रकाश में बदलूँगा
और ऊबड़-खाबड़ स्थानों को समतल बनाऊँगा।

अग्र. : पृथ्वी के सीमान्तों तक प्रभु की स्तुति करो।

अग्र. 3 : तुम जो प्रभु के मन्दिर में रहते हो, प्रभु के नाम की स्तुति करो।

स्तोत्र 134:1-12 प्रभु का चमत्कार।

प्रभु के नाम की स्तुति करो!
प्रभु के सेवकों! जो प्रभु के मन्दिर में,
हमारे ईश्वर के प्रांगण में रहते हो,
उसकी स्तुति करो।

प्रभु की स्तुति करो! वह भला है।
उसके नाम की स्तुति करो! वह प्रेममय है।
प्रभु ने याकूब को चुना है;
उसने इस्राएल को अपनी प्रजा बनाया है।

मैं जानता हूँ कि प्रभु महान है,
हमारा प्रभु सब अन्य देवताओं से महान् है।
आकाश में, पृथ्वी पर, समुद्रों और उनकी गहराइयों में
प्रभु जो चाहता है, वही करता है।

वह पृथ्वी की सीमान्तों से बादल ले आता
और वर्षा के लिए बिजली चमकाता है।
वह अपने भण्डारों से पवन निकालता है।
उसने मिस्र में मनुष्यों और पशुओं, दोनों के पहलौठों को मारा।

ओ मिस्र! उसने तुझ में फिराउन और उसके सब
सेवकों के विरुद्ध चिन्ह और चमत्कार दिखाये।
उसने बहुत से राष्ट्रों को हराया
और शक्तिशाली राजाओं को मारा,

अमोरियों के राजा सीहोन को, बाशान के राजा ओग को
और कनान के सब राजाओं को।
उसने उनका देश अपनी प्रजा इस्राएल को
विरासत के रूप में दे दिया।

अग्र. 3 : तुम जो प्रभु के मन्दिर में रहते हो, प्रभु के नाम की स्तुति करो।


धर्मग्रन्थ-पाठ : यूदीत 8:26-27

याद रखिए कि उसने इब्राहीम और इसहाक के साथ क्या-क्या किया और याकूब पर क्या-क्या बीती। क्योंकि जिस प्रकार उसने आग में उनके हृदय की परीक्षा ली उसी प्रकार वह हमें दण्ड नहीं दे रहा है, बल्कि प्रभु शिक्षा देने के उद्देश्य से उन लोगों को कोड़ों से मारता है, जो उसकी ओर अभिमुख होते हैं।"

लघु अनुवाक्य : अगुआ : ओ धर्मियो, प्रभु में आनन्द मनाओ, क्योंकि महिमागान करना सच्चे हृदय वालों के लिए शोभन है।
समूह : ओ धर्मियो, प्रभु में आनन्द मनाओ, क्योंकि महिमागान करना सच्चे हृदय वालों के लिए शोभन है।
• उसके आदर में नया गीत गाओ।
• पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।

ज़ाकरी गान

अग्र. :प्रभु को धन्य कहो जिसने हमारि सुधि लेकर हमारा उध्दार किया है।

धन्य है प्रभु, इस्राएल का ईश्वर!
उसने अपनी प्रजा की सुध ली है
और उसका उद्धार किया है।
उसने अपने दास दाऊद के वंश में
हमारे लिए एक शक्तिशाली मुक्तिदाता उत्पन्न किया है।

वह अपने पवित्र नबियों के मुख से
प्राचीन काल से यह कहता आया है
कि वह शत्रुओं और सब बैरियों के हाथ से हमें छुड़ायेगा
और अपने पवित्र विधान को स्मरण कर
हमारे पूर्वजों पर दया करेगा।

उसने शपथ खा कर हमारे पिता इब्राहीम से कहा था
कि वह हम को शत्रुओं के हाथ से मुक्त करेगा,
जिससे हम निर्भयता, पवित्रता और धार्मिकता से
जीवन भर उसके सम्मुख उसकी सेवा कर सकें।

बालक! तू सर्वोच्च ईश्वर का नबी कहलायेगा,
क्योंकि प्रभु का मार्ग तैयार करने
और उसकी प्रजा को उस मुक्ति का ज्ञान कराने के लिए,
जो पापों की क्षमा द्वारा उसे मिलने वाली है,
तू प्रभु का अग्रदूत बनेगा।

हमारे ईश्वर की प्रेमपूर्ण दया से
हमें स्वर्ग से प्रकाश प्राप्त हुआ है,
जिससे वह अन्धकार और मृत्यु की छाया में बैठने वालों को ज्योति प्रदान करे
और हमारे चरणों को शान्ति-पथ पर अग्रसर करे।"

पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो
जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन।


अग्र. :प्रभु को धन्य कहो जिसने हमारि सुधि लेकर हमारा उध्दार किया है।

सामूहिक निवेदन

अगुआ : हे सर्वशक्तिमान ईश्वर, समस्त आकाश में तेरी महानता नहीं समा सकती। फिर भी, तेरे पुत्र के द्वारा हमने यों कहना सीखा है।
समूह : हे पिता, तेरा राज्य आवे।
• तेरे पुत्र-पुत्रियाँ होने के नाते हम तुझे धन्य कहते हैं - मानव जाति के प्रेत्येक व्यक्ति के हृदय में तेरा नाम पवित्र रखा जाये।
• स्वर्ग-सुख की प्रत्याशा में हम वर्तमान जीवन बितावें – इस जीवन में तेरी इच्छा पूरी करने के लिए हमें तैयार कर।
• जैसे तू हमारे अपराध क्षमा करता है – वैसे ही आज हमें शक्ति दे कि हम दूसरों के अपराध क्षमा करें।
• हे पिता, हमारे साथ रह – और परीक्षा की घड़ी हमें अपने सान्निध्य से कभी दूर न रहने दे।

हे हमारे पिता ....


समापन प्रार्थना

अगुआ :हे प्रभु ईश्वर, तूने सारी पृथ्वी मनुष्य को सौंप दी है कि वह खेती-बारी करते हुए उसकी देखबाल करे। मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए तूने सूर्य की रचना की। हमें यह कृपा दे कि आज हम तेरे महिमार्थ और पडोसी के हितार्थ निष्ठापूर्वक काम करें। हम यह निवेदन करते हैं, उन्हीं हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त तेरे पुत्र के द्वारा जो परमेश्वर होकर तेरे तथा पवित्र आत्मा के साथ युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं।

समूह : आमेन।

अगुआ : प्रभु हमको आशीर्वाद दे, हर बुराई से हमारी रक्षा करे और हमें अनन्त जीवन तक ले चले।

समूह : आमेन।


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Praise the Lord!