📖 - एज़्रा का ग्रन्थ

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अध्याय 07

1) इसके बाद, फ़ारस के राजा अर्तज़र्कसीस के शासनकाल में, एज़्रा आया। एज़्रा सराया का पुत्र था, सराया अज़र्या का, अज़र्या हिलकीया का,

2) हिलकीया शल्लूम का, शल्लूम सादोक का, सादोक अहीटूब का,

3) अहीटूब अमर्या का, अमर्या अज़र्या का, अज़र्या मरायोत का,

4) मरायोत ज़रह्या का, ज़रह्या उज़्ज़ी का, उज़्ज़ी बुक्की का।

5) बुक्की अबीशूआ का, अबीशूआ पीनहास का, पीनहास एलआजर का और एलआजर महायाजक हारून का पुत्र था।

6) वही एज़ा बाबुल से लौट कर आया। वह शास्त्री था। वह मूसा की संहिता का विशेषज्ञ था, जिसे प्रभु, इस्राएल के ईश्वर ने दिया था। प्रभु, उसका ईश्वर उसके साथ था, इसलिए वह जो कुछ मांगता था, राजा उसे देता था।

7) उस समय, राजा अर्तज़र्कसीस के सातवें वर्ष, अनेक इस्राएली, याजक, लेवी, गायक, द्वारपाल और मन्दिर के सेवक येरूसालेम आये।

8) एज़्रा राजा के सातवें वर्ष के पाँचवें महीने येरूसालेम आया।

9) वह पहले महीने के पहले दिन बाबुल से चला गया और पाँचवें महीने के पहले दिन येरूसालेम पहुँचा। उसके ईश्वर की कृपा उसकी सहायता करती थी;

10) क्योंकि एज्ऱा़ ने प्रभु की संहिता के अध्ययन में, उसके पालन और इस्राएल की विधियों और रीति-रिवाजों की शिक्षा में मन लगाया था।

11) जो पत्र राजा अर्तज़र्कसीस ने याजक, शास्त्री और प्रभु की आज्ञाओं तथा इस्राएल की विधियों की पण्डित एज्रा़ को दिया था, उसकी प्रतिलिपि इस प्रकार हैः

12) "याजक और स्वर्ग के ईश्वर की संहिता के ज्ञाता एज़्रा के नाम राजाधिराज अर्तज़र्कसीस का पत्र। अभिवादन।

13) मेरा आदेश है कि मेरे राज्य के इस्राएली लोगों, उनके याजकों और लेवियों में ऐसा प्रत्येक व्यक्ति तुम्हारे साथ जा सकता है, जो येरूसालेम जाने को तैयार है।

14) तुम राजा और उसके सात मन्त्रियों की ओर से इसलिए भेजे जा रहे हो कि तुम अपने ईश्वर की संहिता के पालन के विषय में यूदा और येरूसालेम में पता लगाओ

15) और राजा तथा उसके मन्त्री येरूसालेम में निवास करने वाले ईश्वर को जो सोना-चाँदी स्वेच्छा से चढ़ाते हैं

16) और वह चाँदी, सोना, जो तुम्हें बाबुल के प्रान्त भर से मिलेगा तथा वे चढ़ावे, जो जनता और याजक येरूसालेम के अपने ईश्वर के मन्दिर में स्वेच्छा से अर्पित करेंगे, वह सब ले जाओ।

17) तुम उस द्रव्य से बछड़े, मेढ़े, मेमने और उनके साथ की अन्न-बलियाँ और अर्घ ख़रीदोगे और येरूसालेम में अपने ईश्वर के मन्दिर में चढ़ाओगे।

18) तुम्हें और तुम्हारे भाई-बन्धुओं को जैसा उचित लगे, शेष चाँदी और सोने का उपयोग अपने ईश्वर की इच्छा के अनुसार कर सकते हो।

19) जो वस्तुएँ तुम्हें अपने ईश्वर के मन्दिर की सेवा के लिए दी जाएँगी, उन्हें तुम येरूसालेम के ईश्वर के सामने रखोगे।

20) तुम राजा के कोषागार से वह सब ख़र्च करोगे, जो तुम्हारे ईश्वर के मन्दिर के उपयोग के लिए तुम्हें आवश्यक लगे।

21) "मैं, राजा अर्तज़र्कसीस, नदी के उस पार के ख़ज़ांचियों को यह आज्ञा देता हूँ कि याजक और स्वर्ग के ईश्वर की संहिता का शास्त्री एज्ऱा तुम से जो कुछ माँगे, वह उसे इतना ही दिया जाये,

22) अर्थात् एक सौ मन चाँदी, पैंतालीस हज़ार लिटर गेहूँ, साढे़ चार हज़ार लिटर अंगूरी, साढ़े चार हज़ार लिटर तेल और बिना माप-तौल के नमक।

23) स्वर्ग का ईश्वर स्वर्ग के ईश्वर के मन्दिर के लिए जो भी आज्ञा दे, उसक पालन तुरन्त किया जाये। कहीं ऐसा न हो कि राजा का शासन और उसके पुत्र उसके कोप-भाजन बन जायें।

24) हम तुम्हें यह आदेश भी देते हैं कि किसी याजक, लेवी, गायक, द्वारपाल, मन्दिर के सेवक या ईश्वर के मन्दिर के किसी अन्य कर्मचारी से कर, उपहार या चुंगी न ली जाये।

25) "और तुम, एज़्रा! तुम अपनी ईश्वर-प्रदत्त बुद्धि के अनुसार न्यायाधीशों और पदाधिकारियों को नियुक्त करोगे, जो नदी के उस पार के सब निवासियों का न्याय करेंगे, उनको जो तुम्हारे ईश्वर की विधियाँ जानते हैं जो उन्हें नहीं जानते है।, तुम उन्हें उनकी शिक्षा दोगे।

26) जो व्यक्ति तुम्हारे ईश्वर की संहिता और राजा की विधि का पूरा-पूरा पालन नहीं करे, उसे दण्ड दिया जाये-या तो प्राणदण्ड या निर्वासन या जुर्माना या कै़द।"

27) प्रभु, हमारे पूर्वजों का ईश्वर धन्य है! जिसने राजा के मन में येरूसालेम में प्रभु के मन्दिर का सम्मान करने का विचार उत्पन्न किया है

28) और मुझे राजा और उसके मन्त्रियों तथा राजा के सभी शक्तिशाली पदाधिकारियों का कृपापात्र बनाया है। प्रभु, मेरा ईश्वर मेरे साथ रहा। तभी तो मैं इस्राएलियों के बीच अपने साथ चलने वाले नेताओं को पा सका।



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