जनवरी 26

सन्त तिमथी और तीतुस

प्रेरित-चरित 16:1-4 के अनुसार दरबे में “तिमथी नामक एक शिष्य था, जो ईसाई यहूदी माता तथा यूनानी पिता का पुत्र था। लुस्त्रा और इकोनियुम के भाइयों में उसका अच्छा नाम था। पौलुस चाहता था कि वह यात्रा में उसका साथी बने। उस प्रदेश में रहने वाले यहूदियों के कारण उसने तिमथी का ख़तना कराया, क्योंकि सब जानते थे कि उसका पिता यूनानी है।“ 2 तिमथी 1:5 हमें यह पता चलता है कि तिमथी की नानी का नाम लोइस और माता का यूनीके थे। सबसे पहले लोइस ने ख्रीस्तीय धर्म को अपनाया था। सन्त पौलुस ने प्रभाव से ही तिमथी का धर्मपरिवर्तन हुआ था। तिमथी ने सन्त पौलुस के साथ लगभग 15 साल प्रेरिताई कार्य किया। तिमथी शान्त स्वभाव का व्यक्ति था और एक संयमी जीवन बिताता था।

तीतुस शायद अंतखिया का निवासी था। वे यूनानी थे। वे सन्त पौलुस के साथ मिशनरी कार्य करते थे। तीतुस के नाम सन्त पौलुस का दूसरा पत्र पढ़ने से हमें यह मालूम होता है कि सन्त पौलुस और तीतुस के बीच घनिष्ठ मित्रता थी।


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